अखिलेश बेटा लेकिन मैं शाहजहां बनने के लिए तैयार नहीं हूं: मुलायम

netaलखनऊ। समाजवादी पार्टी में पिछले कुछ दिनों से चल रहे आंतरिक कलह की शुरुआत की आखिर वजह क्या है? मुलायम सिंह यादव को पार्टी में अपने बेटे के कद को आखिर क्यों छोटा करना पड़ा? ऐसा क्या हुआ जिसकी वजह से एसपी मुखिया मुलायम को अपने बेटे के प्रति कठोर बनना पड़ा?

इस गृह कलह की शुरुआत हुई- गाजियाबाद में 5 सितंबर को आला हजरत हज हाउस के उद्घाटन समारोह से। 2005 में जिस हज हाउस का सीएम रहते हुए मुलायम सिंह यादव ने शिलान्यास किया था उसके उद्घाटन समारोह में उनकी तस्वीर नदारद थी जबकि वहां बड़े-बड़े पोस्टरों में अखिलेश और यूपी मंत्री आजम खान की तस्वीरें नजर आ रही थीं। नेता जी के समर्थकों को यह बात बिल्कुल हजम नहीं हुई।

स्थानीय विधायक अंशु मलिक ने तो खुले तौर पर सबके सामने पूछा कि वेन्यू से मुलायम सिंह की तस्वीरें गायब क्यों हैं। मुलायम के करीबियों ने कहा कि वह अखिलेश कैंप की इस गुस्ताखी को हल्के में नहीं लेने वाले हैं। सूत्रों के मुताबिक, मुलायम ने अपने करीबियों से कहा कि वह भले ही पुत्र प्रेमी और विनम्र पिता हैं लेकिन वह शाहजहां बनने के लिए तैयार नहीं हैं। मुलायम का इशारा मुगल बादशाह शाहजहां की तरफ था जो दारा शिकोह को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे लेकिन उसके छोटे बेटे औरंगजेब ने गद्दी पर कब्जा करने के लिए बंधक बना लिया था।
अखिलेश समर्थक पिछले 12 दिनों से मुलायम सिंह के घर के सामने प्रदर्शन कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी के युवा संगठन ने लखनऊ में बैरीकेड्स तोड़कर उनके घर में भी घुसने की कोशिश की और कड़े सुरक्षा घेरे को तोड़कर प्रवेश गेट तक पहुंच गए। पहली बार एसपी मुखिया को अपने पार्टी कार्यकर्ताओं की इस तरह की अनुशासनहीनता के नंगे नाच का सामना करना पड़ रहा था।

अखिलेश कैंप के 8 नेताओं जिसमें विधायकों समेत पार्टी के यूथ विंग के प्रमुख शामिल थे, को निष्कासित कर दिया गया। अखिलेश कैंप के इन नेताओं की छुट्टी करने वाले लेटर पर भले ही चाचा शिवपाल ने साइन किए हो लेकिन यह बिना पार्टी मुखिया की सहमति के बिना संभव नहीं था। इसके एक दिन बाद ही मुलायम सिंह ने अमर सिंह को पार्टी को जनरल सेक्रटरी नियुक्त कर दिया। इन सबसे 76 साल के मुलायम का गुस्सा साफ तौर पर दिख रहा था। मुलायम ने अपने परिवार वालों को सबक सिखाते हुए जता दिया कि अभी वही पार्टी के बॉस हैं।

कुछ दिन पहले अखिलेश ने अमर सिंह को ‘बाहरी’ करार दिया था और उन्हें पारिवारिक मामलों से दूर रखने का वादा किया था। लेकिन अखिलेश कैंप के अमर सिंह के खिलाफ कैंपेन ने मुलायम को और नाराज कर दिया।

पिछले सप्ताह जब वह अपने गुस्साए बेटे और भाई के साथ मौजूद थे, एक पार्टी कार्यकर्ता ने पूछ लिया कि आप अमर सिंह को कब निष्कासित कर रहे हैं? किसी भी तरह की नए विवादों की गुंजाइश न छोड़ते हुए उन्होंने मंगलवार को अमर सिंह की नियुक्ति कर दी।

जहां कई अन्य पार्टियों के नेताओं जैसे करुणानिधि और एचडी देवगौड़ा ने कुर्सी पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखी वहीं मुलायम ने 2012 में खुद बैकसीट पर जाते हुए अखिलेश को कमान सौंप दी। लेकिन मुलायम ने साफ कर दिया है कि अखिलेश को आगे करने का मतलब यह नहीं है कि उनका पार्टी पर नियंत्रण नहीं है और यही वजह है कि वह सबके सामने अपने बेटे को झिड़की लगाने में भी नहीं झिझक रहे हैं।

 

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