अब तो जागो ‘सरकार’……. पुरोहित मामले में तत्कालीन सेना प्रमुख की हो जांच

कर्नल प्रसाद श्रीकान्त पुरोहित मामले में तत्कालीन सेनाप्रमुख ने सैन्य सुनवाई क्यों नहीं की

कर्नल प्रसाद श्रीकान्त पुरोहित वाले मालेगाँव विस्फोट मामले में भारतीय सेना ने जाँच के दौरान कहा कि सेना RDX का प्रयोग ही नहीं करती, भारतीय सेना के गोदामों में RDX कभी भी नहीं रहता है | आज रिपब्लिक टीवी ने भी सेना के इस बयान का खुलासा किया है | कर्नल पुरोहित पर मुख्य आरोप यह है कि उन्होंने ही भगवा आतंकियों को विस्फोट के लिए RDX उपलब्ध कराया था |
कर्नल पुरोहित जब ड्यूटी पर थे तो गोलीबारी का सामना करते हुए पाकिस्तानी घुसपैठियों को नाकाम किया और सीमा पार खदेड़ दिया जिसके लिए भारतीय सेना ने उनको सम्मानित किया था — आज रिपब्लिक टीवी ने यह दस्तावेज भी दिखाया है | प्रश्न तो यह उठना चाहिए कि ऐसे व्यक्ति को पाकिस्तानी सेना अथवा ISI क्या RDX दे सकती है ?

तब प्रश्न उठता है कि कर्नल पुरोहित पर कांग्रेस सरकार के राज में अफसरों ने जो RDX उपलब्ध कराने का आरोप लगाया उस RDX का स्रोत क्या है ? पाकिस्तानी सेना अथवा ISI के सिवा समूचे भारतीय उपमहाद्वीप में RDX का कोई अन्य स्रोत नहीं है, और वे लोग अपने विश्वस्त लोगों को ही RDX दे सकते हैं, तथाकथित भगवा आतंकियों को RDX क्यों देंगे ?
कर्नल पुरोहित जब गिरफ्तार हुए तब वे क्या कर रहे थे ? ‘अभिनव भारत’ नाम के संगठन से वे जुड़े हुए थे जिसमे कई कट्टर हिन्दू थे, जिनकी सहायता से इस्लामी आतंकी संगठनों की गतिविधियों की जानकारी जुटाकर कर्नल पुरोहित अपने वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को दे रहे थे | भारतीय सेना के आला अफसरों की जानकारी में कर्नल पुरोहित यह कार्य कर रहे थे, जिससे सिमी जैसे इस्लामी आतंकी संगठनों में खलबली मची थी | ‘अभिनव भारत’ कट्टर हिन्दुत्व वाला संगठन है, किन्तु आतंकी नहीं है |

पाकिस्तानी सेना और ISI केवल भारत-विरोधी इस्लामी आतंकी संगठनों को ही RDX दे सकती है | अतः उन इस्लामी आतंकी संगठनों के विरुद्ध सेना की निगरानी में कार्यरत कर्नल पुरोहित को जिस सरकार ने फँसाया उसने वोटबैंक की राजनीति के कारण देशद्रोहियों और पाकिस्तानियों से सांठगाँठ करके देशभक्त अधिकारी को फँसाया | नौ वर्ष हो गए उनको जेल में रखे हुए, चार्जशीट तक नहीं बना सकी !! छ वर्ष कांग्रेस के खाते में, और सवा तीन वर्ष भाजपा सरकार ने उनको जेल में रखा, बिना चार्जशीट के |

अब इस मुकदमें के कुछ अन्य पहलुओं पर गौर करें | मैं अपनी ओर से कुछ नहीं कहूंगा, केवल कुछ पब्लिक डोमेन की बातें प्रस्तुत कर रहा हूँ | पहले जी-न्यूज़ टीवी का यह समाचार देखें जिसके अनुसार मालेगांव विस्फोट के आरोपी दयानन्द पाण्डे का बयान था कि उनको RSS नेता श्याम आप्टे ने पुणे में बताया था कि RSS के दो दिग्गज नेता ISI से पैसा ले रहे थे — मोहन भागवत और इन्द्रेश कुमार (जो संघ के मुस्लिम मोर्चे के प्रभारी थे)| पुलिस के डिप्टी कमिश्नर के समक्ष दयानन्द पाण्डे ने बयान दिया कि उपरोक्त जानकारी मिलने के बाद कर्नल पुरोहित ने कप्तान जोशी को आज्ञा दी कि मोहन भागवत और इन्द्रेश कुमार की हत्या कर दो ! प्रस्तुत है जी-न्यूज़ का समाचार — http://zeenews.india.com/…/isi-funded-rss-leaders-pandeys-c…

दयानन्द पाण्डे कितना सच बोल रहा था यह तो इसी बात से स्पष्ट है कि उसके अनुसार कर्नल पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा ने मालेगाँव विस्फोट की योजना बनायी थी ताकि हिन्दू राष्ट्र स्थापित हो !! साध्वी प्रज्ञा पर यह आरोप सिद्ध नहीं हो पाया जिस कारण वह जेल से बाहर निकल पायी है | जब आरोप का यह भाग झूठा है तो कर्नल पुरोहित पर दयानन्द पाण्डे का आरोप कितना सच होगा ?
आश्चर्य तो इस बात का है कि कांग्रेस सरकार ने कर्नल पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा को जेल में डाला ताकि मोहन भागवत और इन्द्रेश कुमार की रक्षा हो सके ! कांग्रेस को RSS से इतना प्रेम कब से हो गया ? योजना यह थी कि पूरे RSS को बदनाम किया जा सके, कुछ को आतंकी कहकर और कुछ को पाकिस्तानी दलाल कहकर |

साध्वी प्रज्ञा के विरुद्ध यह “सबूत” था कि विस्फोट के स्थल पर जो मोटरसाइकिल बरामद हुई थी वह साध्वी के नाम से रजिस्टर्ड थी, ATS का आरोप था कि उसी मोटरसाइकिल में विस्फोटक था | सच्चाई यह है कि सुनील नाम के एक कट्टर हिन्दुत्ववादी ने साध्वी को दौरा आदि करने के लिए वह मोटरसाइकिल दान में दी थी, किन्तु बाद में साध्वी प्रज्ञा को सुनील से वैचारिक मतभेद हो गया | तब सुनील मोटरसाइकिल वापस ले गया — मालेगाँव काण्ड से दो वर्ष पहले | बेचारी साध्वी भोली थी, रजिस्ट्रेशन पर ध्यान नहीं दिया | सुनील मालेगाँव विस्फोट में घटनास्थाल पर मारा गया | पुलिस ने मामला बनाया कि सुनील ने ही विस्फोट किया था |

तो क्या सुनील आत्महत्या करने गया था ? पूरी घटना को गौर से देखिएगा तो यह असम्भव दिखता है | आत्मघाती हमले की आवश्यकता तब पड़ती है जब अन्य कोई उपाय न हो, वरना अपनी जान कोई मुफ्त में क्यों देगा ? मालेगांव विस्फोट का लक्ष्य कोई सैन्य ठिकाना या कमांडो सुरक्षा वाला मन्त्री तो नहीं था जहां आत्मघाती दस्ते की आवश्यकता पड़ती | तब सुनील स्वयं आतंकी था या आतंकियों द्वारा किये विस्फोट का शिकार था, जिसमें और भी लोग मारे गए ?

अब देखिये कांग्रेस प्रवक्ता शकील अहमद का बयान, इनका कहना था कि इन्द्रेश कुमार को ISI से 21 करोड़ रूपये के जाली भारतीय नोट दिए गए | शकील अहमद मेरे ही क्षेत्र के हैं, जो नेपाल का सीमावर्ती क्षेत्र है जहां पाकिस्तानी सम्बन्ध वाले जो आतंकी पकडाए हैं उनके घनिष्ठ सम्बन्ध शकील अहमद से रहे हैं | अतः वैसे आतंकी के बयान को सबूत बनाकर शकील अहमद जो कुछ भी कह रहे हैं वह शकील जी के सिखाने के अनुसार ही बोल रहा है | शकील जी सच बोलते हैं तो कांग्रेस की सरकार थी, इस आरोप को कांग्रेस क्यों नहीं सिद्ध कर सकी ? उनका झूठा बयान प्रस्तुत है :–
http://indiatoday.intoday.in/…/congress-asks-…/1/128054.html

इन्द्रेश कुमार RSS के “मुस्लिम राष्ट्रीय मंच” की देखरेख करते थे (आधिकारिक “मार्गदर्शक” थे), यह मंच भारतीय राष्ट्रवादियों का संगठन था या पाकिस्तानी दलालों का इसपर हिन्दू-विरोधी Wikipedia का विचार पढ़िए जो स्पष्ट लिखता है कि “मुस्लिम राष्ट्रीय मंच” हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रयास करता है और नरेन्द्र मोदी को प्रधानमन्त्री बनाने के लिए भी प्रयासरत था — क्या पकिस्तान ऐसे कार्यों के लिए 21 करोड़ रूपये देगा ? तब तो सम्पूर्ण RSS सहित नरेन्द्र मोदी भी ISI एजेंट हुए, केवल सोनिया और दिग्गी देशभक्त हैं !! पढ़िए विकिपीडिया :– https://en.wikipedia.org/wiki/Muslim_Rashtriya_Manch

सबसे कमाल का है मुंबई उच्च न्यायालय का यह निर्णय जिसमें न्यायालय ने इस आधार पर जमानत ठुकराया कि कर्नल पुरोहित को इस कारण जमानत नहीं दिया जा सकता क्योंकि उनके विरुद्ध अनेक गवाहों ने पुलिस (ATS) के समक्ष जो बयान दिया था उस बयान से बाद में पलट गए, अतः इस बात की सम्भावना है कि जमानत मिलने पर गवाहों को कर्नल पुरोहित धमकाने लगेंगे ! जो व्यक्ति जेल में था उसने धमकाकर गवाहों को बयान बदलने के लिए कहा, अथवा पुलिस के दवाब में जिन लोगों ने विवश होकर झूठे बयानों पर हस्ताक्षर किये थे उन बयानों से अदालत में पलट गए ? “माननीय” अदालत के इस “न्यायसंगत” तर्क के विरुद्ध मत बोलिए, “अवमानना” हो जायेगी , भले ही देश के बहादुर सैनिक बिना सबूत के जेल में सड़ते रहे |

सबसे महत्वपूर्ण यह समाचार है (http://indianexpress.com/…/malegaon-blasts-army-to-provide…/) जिसके अनुसार भारतीय सेना के कोर्ट ऑफ़ इन्क्वारी (कोर्ट मार्शल) की रिपोर्ट साफ़ कहती है कि सेना के उच्च पदाधिकारियों को कर्नल पुरोहित ‘अभिनव भारत’ की हर बैठक में हुई बातों का पूरा ब्यौरा देते थे | कर्नल पुरोहित पर यही तो मुख्य आरोप है कि ‘अभिनव भारत’ के मार्फत कर्नल पुरोहित ‘भगवा आतंकवाद’ फैला रहे थे | तब तो उनसे ऊपर के सेना के वे सारे अधिकारी भी भगवा आतंकवादी हो गए जिनकी जानकारी और देखरेख में कर्नल पुरोहित यह कार्य कर रहे थे !! कर्नल पुरोहित ने कोर्ट ऑफ़ इन्क्वारी की रिपोर्ट माँगी तो इनकार किया गया, जब अदालत के मार्फ़त माँगी तो भाजपा सरकार ने कहा कि कोर्ट ऑफ़ इन्क्वारी की पूरी रिपोर्ट नहीं दी जायेगी क्योंकि इससे देश की सुरक्षा को ख़तरा है, कुछ अंशों को छिपाकर शेष अंश कर्नल पुरोहित को देखने के लिए दिया जा सकता है |

सरकार के अनुसार कर्नल पुरोहित देशद्रोही आतंकवादी हैं, तो यदि उनके विरुद्ध कोर्ट ऑफ़ इन्क्वारी की रिपोर्ट में कर्नल पुरोहित केवल इतना देखना चाहते हैं कि सेना के अधिकारियों ने उनके बारे में क्या बयान दिया तो इससे देश की सुरक्षा को कौन सा ख़तरा हो जाएगा ? खैर, रिपोर्ट का जो अंश दिया गया उसके अनुसार सेना के ऊँचे अधिकारियों की देखरेख में कर्नल पुरोहित भगवा आतंकवाद कर रहे थे यह तो सिद्ध हो गया !! यह तीन मास पहले की घटना है |

कोर्ट ऑफ़ इन्क्वारी की रिपोर्ट के जिस भाग को भाजपा सरकार ने छुपा लिया उसमें साफ़ लिखा है कि कर्नल पुरोहित निर्दोष हैं और उनको सुनियोजित तरीके से फँसाया गया है | उस छुपे हुए गोपनीय अंश को प्रकट करने से कर्नल पुरोहित छूट जायेंगे, बस देश की सुरक्षा को यही “ख़तरा” है !! वरना उस गोपनीय अंश में भारत के हाइड्रोजन बम का फार्मूला तो नहीं है जिसे बताने से देश खतरे में पड़ जाएगा !
उस छुपे हुए गोपनीय अंश को प्रकट करने से केवल कांग्रेस के नेता ही फँसते तो भाजपा सरकार पूरी रिपोर्ट प्रकट कर देती, लेकिन सर्वोच्च स्तर के IAS अधिकारी (रक्षा सचिव आदि), थल सेना के कई ऊँचे अधिकारी (जिन लोगों ने जनरल वी के सिंह का कैरियर बिगाड़ा), और ATS एवं NIA के बहुत से वरिष्ठ अफसर भी पाकिस्तान से RDX मंगाकर मालेगाँव विस्फोट कराने और निर्दोषों को फँसाने के जघन्य काण्ड में फँसेंगे, उन्ही अफसरों के सम्मिलित दवाब के कारण भाजपा सरकार ने तय किया है कि अब कांग्रेस सरकार तो है नहीं, अतः इतने सारे अफसरों को बचाकर अपने पक्ष में करने के लिए एक कर्नल पुरोहित को बलि का बकरा बनाना “राजनैतिक लाभ” का सौदा है !
बिचारी निरपराध साध्वी प्रज्ञा से “अपराध” कबूल कराने के लिए किस प्रकार की यातनाएं दी गयीं यह बताऊंगा तो रूलाई छूट जायेगी | उस पाप का दण्ड सोनिया और दिग्गी को कुछ तो मिल चुका है, बाँकी भी मिल जाएगा |

कर्नल पुरोहित के साथ वैसा जघन्य शारीरिक अत्याचार करने की हिम्मत तो कोई नहीं कर सकेगा, क्योंकि तब सेना के अफसर रक्षा मन्त्रालय में टैंक और तोप घुसा देते इसका भय था, लेकिन निर्दोष और देशभक्त अधिकारी को पौने नौ साल तक जेल में रखने के पाप का 38% भाजपा के माथे पर है क्योंकि इस दीर्घ काल के 38% में नरेन्द्र मोदी का राज रहा है | कर्नल पुरोहित के साथ जो कुछ भी हो रहा है उसके विरुद्ध सेना के ईमानदार अफसरों में बहुत आक्रोश है | भाजपा सरकार को देशभक्त अधिकारियों की वफादारी चाहिए या गद्दारों की ? कहीं ऐसा न हो कि ईमानदार अफसरों का आक्रोश फूट पड़े |

उस छुपे हुए गोपनीय अंश की जानकारी मुझे कैसे मिली ? कोर्ट मार्शल (कोर्ट ऑफ़ इन्क्वारी) की उस रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने वाले जिस मिलिट्री इंटेलिजेंस वाले जज ने कर्नल पुरोहित को निर्दोष सिद्ध किया था उसका नाम बताऊंगा तो बिचारे की जान खतरे में पड़ जायेगी | वैसे भी यह सेना के अनुशासन के विरुद्ध है |
रिपब्लिक टीवी ने आज ही इस मामले पर एक बहस कराया और उसका विडियो Youtube पर डाला :-

– https://www.youtube.com/watch?v=dnI1UGEKOOE
NIA की रिपोर्ट में साफ़ लिखा है कि कर्नल पुरोहित को फँसाने के लिए ATS द्वारा विस्फोटक रखवाया गया था | यह भी लिखा है कि ATS को रिपोर्ट देने से पहले ठीक से जाँच करने का समय नहीं मिला, जिसका सीधा अर्थ यह है कि ऊपर से दवाब था कि जल्दी से ‘भगवा आतंकवाद’ सिद्ध करो | और यह भी लिखा है कि सेना के कोर्ट ऑफ़ इन्क्वारी में 76 वरिष्ठ अधिकारियों की गवाही हुई जिन्होंने स्वीकारा कि उन सबको कर्नल पुरोहित ‘अभिनव भारत’ की कार्यवाइयों की जानकारी देते थे ! कर्नल पुरोहित के विरुद्ध गवाह ने अदालत में कहा कि उसकी कनपट्टी में बन्दूक सटाकर उससे गवाही के बयान पर हस्ताक्षर कराया गया !

किन्तु रिपब्लिक टीवी के पास सेना के कोर्ट ऑफ़ इन्क्वारी की पूरी रिपोर्ट नहीं है जिसे सरकार ने दबा रखा है — NIA की रिपोर्ट में सारी उपरोक्त बातें सेना के कोर्ट ऑफ़ इन्क्वारी की रिपोर्ट से ही ली गयी हैं जो साढ़े आठ सौ पेज की है |
जबतक IAS प्रणाली को भंग नहीं किया जाएगा तबतक अच्छी सरकार भी होगी तो ऐसी गलतियां करती रहेगी क्योंकि पूरा IAS लॉबी एक संगठित गिरोह है जो रक्षा सचिव जैसे वरिष्ठ IAS अधिकारी के फंसने पर एकजुट होकर सरकार की खटिया खड़ी कर देगा | मोदी जी के स्थान पर मैं भी होता तो IAS लॉबी का विरोध नहीं कर पाता, क्योंकि सरकार चलाने के लिए उसका सहयोग अनिवार्य है | अतः सबकोई मिलजुलकर दवाब बनाएं, जनजागरण का प्रयास करें, तो नौकरशाही को धीरे-धीरे टेक्नोक्रेसी द्वारा विस्थापित किया जा सकता है | भारत को संस्कारी, सुशिक्षित, समृद्ध और महाशक्ति बनाने के लिए अन्य कोई विकल्प नहीं है — टेक्नोक्रेसी का अर्थ है जो जिस क्षेत्र का विशेषज्ञ है वही उस क्षेत्र में निर्णय ले | मेधावी का राज !! इतिहास या साहित्य की परीक्षा में आप अव्वल भी आ गए तो रक्षा सचिव के योग्य नहीं हो सकते, उस मामले में तो

मूर्ख ही हैं | और इतिहास भी कैसा पढ़े ? JNU टाइप का !!!
भारतीय सेना के कोर्ट मार्शल कोर्ट का वह जज कौन है यह कुछ सप्ताह पहले मैं लिख चुका हूँ, किन्तु उसका प्रचार न करें, दुष्ट लोग उसे परेशान करेंगे और पाप मुझे लगेगा — और आपको भी |
साध्वी प्रज्ञा की टीम के विश्वस्त सदस्य प्रयाग कुम्भ में उसी श्रीमठ में रहते थे जहां मैं टिका था और महंथ जी मुझसे रोज कुम्भ मेले में प्रवचन कराते थे | साध्वी प्रज्ञा की टीम के सदस्यों के साथ भी अमानवीय अत्याचार किया गया था |
मुझपर विश्वास करें, साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित दोनों पूरी तरह निर्दोष हैं, मैं सारी बातें नहीं बता सकता | अशुभ ग्रहों के कारण उनको कष्ट झेलने पड़े | किन्तु निर्दोषों को कष्ट देने वाले दुष्ट लोग ग्रहों को दोष देकर निर्दोष तो नहीं बन सकते ! सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि भगवा आतंकवाद का हौवा खड़ा करने के लिए पाकिस्तान से RDX मँगाकर मालेगाँव में विस्फोट किसकी आज्ञा से हुआ — क्या इसकी पूरी छानबीन की जायेगी ? बहुत से निर्दोष लोग मारे गए थे | भारत में RDX का एकमात्र स्रोत है ISI, भारत की सेना या पुलिस को RDX की आपूर्ति ही नहीं की जाती | तब ATS को RDX किसकी आज्ञा से उपलब्ध कराया गया ? किस नेता के तार ISI से जुड़े हैं ? क्या हमारे IAS अफसर इसकी जाँच कभी होने देंगे, क्योंकि वे भी तो फँसेंगे ???

तीन वर्षों की देर के पीछे भाजपा का दोष नहीं है | भाजपा ने ही साध्वी को छुडाया है और भाजपा शासन में ही कर्नल पुरोहित के पक्ष में कोर्ट मार्शल एवं NIA की रिपोर्ट बन पायीं है | समय इस कारण लगा चूँकि अत्यन्त गम्भीर आरोपों की तथाकथित ठोस सबूतों के साथ मोटी-मोटी फाइलें बना दी गयीं थी, उनका खण्डन करना दुष्कर था, और प्रशासन में हिन्दू विरोधी अफसर भरे थे (अभी भी मामूली कमी आयी है, लेकिन अच्छे अफसरों का साहस बढ़ा है)| सबसे बड़ी बाधा है हिन्दू-विरोधी शिक्षा प्रणाली और IAS लॉबी |

विनय झा जी के फेसबुक वाल से सभार

 

 

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