आदित्य ठाकरे ने किया ऐलान- ‘1 साल के अंदर बीजेपी सरकार को श‍िवसेना कहेगी बाय-बाय’

मुंबई। महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन फिर संकट में पड़ता दिख रहा है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बेटे और युवा सेना के अध्यक्ष आदित्य ठाकरे जल्द बीजेपी से अलग होने का ऐलान किया है.  आदित्य ठाकरे ने 2019 का आमचुनाव श‍िवसेना द्वारा अकेले लड़ने का संकेत दिया है.

महाराष्ट्र में सियासी उठापठक के बीच शिवसेना की तरफ से इस तरह की प्रतिक्र‍िया से यह बात साफ हो गई है कि दोनों पार्टियों के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. आदित्य के अनुसार एक साल के भीतर बीजेपी सरकार को श‍िवसेना बाय बाय कह सकती है.

आपको बता दें कि नोटबंदी के बाद से ही शिवसेना कई मुद्दों पर बीजेपी और केंद्र सरकार पर लगातार हमलावर होते दिख रही है. इससे पहले कुछ दिन पहले आदित्य ठाकरे ने पीएम नरेंद्र मोदी पर भी तंज कसा था. अपने ट्वीट में पीएम मोदी की लीडरशीप और केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए आदित्य ने कहा था कि ”देश में अगर एक मजबूत लीडरशीप, बहुमत वाली सरकार, और मजबूत इंटेलिजेंस सर्विस होने के बाद भी कोई पार्टी कहती है कि पड़ोसी देश उसके राज्यों के चुनाव में लोगों के मन को प्रभावित कर सकता है तो सरकार क्या कर रही है? प्रचार कर रही है.”

आपको बता दें कि श‍िवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण है. एक तरफ वो केंद्र और राज्य में मोदी सरकार के साथ हैं, तो दूसरी ओर जनता से जुड़े मुद्दों पर मोदी सरकार और महाराष्ट्र सरकार से खुद को अलग दिखाने से भी नहीं चूकते. राज्य और राष्ट्रीय परिदृश्य पर बौने विपक्ष के सामने शिवसेना प्रमुख खुद को मराठी मानुष का सबसे बड़ा हितैषी दिखाना चाहते हैं, तो हिंदुत्व के मुद्दे पर वो बीजेपी के साथ हैं. जैसा कि हाल ही में शिवसेना प्रमुख ने कहा था कि हिंदुत्व के वोट बंट न जाएं इसलिए वो बीजेपी के साथ हैं. ऐसे में उन्हें अपने बेटे के रूप में एक साथ मिला है.

किसानों के मुद्दों पर घेरा था

आपको बता दें कि कुछ महीने पहले महाराष्ट्र में किसानों की कर्जमाफी के लिए उद्धव ठाकरे ने बीजेपी और मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस को घेरा था. किसानों की पूर्ण कर्जमाफी के लिए शिवसैनिक सड़क पर भी उतरे थे और उद्धव ठाकरे इस मुद्दे पर फड़णवीस सरकार के खिलाफ लगातार मुखर रहे हैं. महाराष्ट्र में किसानों की कर्जमाफी और आत्महत्या का मामला बहुत बड़ा है. शिवसेना की कोशिश इस मुद्दे पर जनता के साथ दिखने की रही और वह एक तरीके से विपक्ष की भूमिका में दिखी.

महाराष्ट्र सरकार में पिछले तीन वर्षों से शामिल शिवसेना भारतीय जनता पार्टी और मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस से समर्थन वापस लेने की बात कहती रही है. कुछ महीने पहले पार्टी नेताओं, विधायकों, सांसदों और मंत्रियों ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ बंद कमरे में हुई बैठक में शिकायतों की झड़ी लगाते हुए कहा था कि उनके विकास कार्यों को सरकार ने रोक दिया है, फाइलों को आगे नहीं बढ़ाया गया और कई निर्णयों को लागू नहीं किया गया.

इस साल दशहरे के मौके पर ठाकरे ने नोटबंदी व हिंदुत्व के एजेंडे से पीछे हटने को लेकर बीजेपी पर हमले किए और ईंधन कीमतों में लगातार वृद्धि से बढ़ रही महंगाई, बढ़ती बेरोजगारी, ग्रामीण भारत की परेशानियों, युवाओं की समस्या, वंदे मातरम गाने पर दोहरा मापदंड, जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर बीजेपी की नीतियों पर सवाल खड़े किए थे.

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button