इंडियन नेवी यूएस और जापान के साथ: भड़का चीन, कहा- विरोधी खेमे में न जाए भारत

class-submaतहलका एक्सप्रेस, नई दिल्ली। अमेरिका-जापान के साथ ज्वाइंट नेवल एक्सरसाइज में भारत अपनी खास सबमरीन के राज खोलने जा रहा है। बंगाल की खाड़ी में चल रही इस एक्सरसाइज में भारत बुधवार को किलो क्लास की सबमरीन को पहली बार दूसरे देशों की नेवी के सामने लाएगा। इस सबमरीन को ‘होल इन द वाटर’ कहा जाता है। इस एक्सरसाइज से चीन भड़क गया है। चीन की सरकारी मीडिया ने एक आर्टिकल में वॉर्निंग लहजे में कहा है कि भारत को चीन विरोधी खेमे में जाने पर सतर्क रहना चाहिए।
चीनी मीडिया का रिएक्शन
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में पब्लिश एक आर्टिकल में कहा गया है,”चीन-भारत के बीच रिश्ते बेहतर हो रहे हैं। सेहतमंद रिश्ते दोनों देशों के लिए फायदेमंद हैं। भारत को चीन विरोधी खेमे में जाने पर सतर्क रहना चाहिए।” आर्टिकल में कहा गया है कि इंडियन अफसर मल्टीपल डिप्लौमैटिक का रास्ता अपना रहे हैं। हालांकि, इस एक्सरसाइज पर चीनी विदेश मंत्रालय के स्पोक्सपर्सन हुआ चुनिंग ने दो दिन पहले कहा था, ”दुनिया में हर दिन कई गतिविधियां हो रही हैं। हम हर गतिविधि को चीन से नहीं जोड़ सकते।” बता दें कि रविवार से भारत और चीन के साथ ज्वाइंट मिल्ट्री ड्रिल भी हो रहा है। दस दिन तक चलने वाली इस एक्सरसाइज को हैंड-इन-हैंड का नाम दिया गया है।
चीन से क्या है खतरा?
– ऐसा पहली बार होगा जब नेवी बंगाल की खाड़ी में चल रही मलाबार सीरीज की एक्सरसाइज में किलो क्लास की सबमरीन डिप्लॉय करेगी। इसके पीछे चीन बड़ा कारण माना जा रहा है।
– चीन ने अपनी ताकत बढ़ाते हुए ऐसी 12 सबमरीन डेवलप कर ली है, जो तीनों देशों के लिए खतरे की बात है। भारत के मुकाबले चीन के पास इसका एडवांस्ड वर्जन है।
– इंडियन नेवी के साथ ट्रेनिंग से अमेरिका और जापान की नेवी को इस क्लास की सबमरीन को अच्छे से समझने का मौका मिलेगा।
– उन्हें यह अच्छी तरह से पता चल सकेगा कि साउथ चीन सागर या पैसेफिक में जंग के हालात में वे चीनी सबमरीन्स का मुकाबला कैसे करें।
अभी तक क्यों नहीं दी प्रैक्टिस की इजाजत
> अभी तक हमारी नेवी विदेशी फौजों को किलो क्लास सबमरीन के साथ ट्रेनिंग नहीं करने देती थी। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह था कि भारत इसकी जानकारी किसी देश के साथ शेयर नहीं करना चाहता था।
> भारत को यह भी डर था कि इसके साथ प्रैक्टिस करने की मंजूरी देने पर नेवी की अहम जानकारी लीक हो सकती है। प्रोफाइल रिकॉर्ड न हो, इसलिए भी इसे आज तक किसी को प्रैक्टिस के लिए नहीं दिया गया।
> इसके डाटा को नेवल इंटेलिजेंस सर्कल्स का गोल्ड माइन कहा जाता है। यानी इसके खुफिया रिकॉर्ड्स का पता लगा पाना नामुमकिन है।
> समुद्र के अंदर यह खास तरह की आवाज करती है। इस आवाज को आसानी से नहीं पकड़ा जा सकता। लेकिन साथ प्रैक्टिस करने के बाद विदेशी नौसेनाओं को भी इसकी जानकारी हो जाएगी। जंग के हालात में दूसरे देशों की नेवी इसका फायदा उठा सकती है। इसलिए भारत इस सबमरीन के साथ प्रैक्टिस नहीं करता था।
अमेरिका-जापान के लिए क्यों राजी हुआ भारत?
अमेरिका और जापान भारत के बड़े डिफेंस और बिजनेस पार्टनर हैं। दोनों देशों के साथ भारत के अच्छे रिश्ते हैं, जो नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद और मजबूत हुए हैं। इन देशों की आर्म्ड फोर्सेस के साथ भरोसा बढ़ने के बाद भारत ने इस सबमरीन को भी प्रैक्टिस के लिए उतारने का फैसला लिया है।
कैसे होगी प्रैक्टिस?
> मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस एक्सरसाइज का सबमरीन पार्ट आज से शुरू हो रहा है। इस दौरान इंडियन सबमरीन आईएनएस सिंधुराज एक खास जोन में यूएस-जापान-इंडियन फ्लीट की आवाजाही को इंटरसेप्ट करेगा।
> इस वॉर गेम में इंडियन कैप्टन एक छोटी सबमरीन के जरिए कम्बाइंड फोर्स से मुकाबला करेगा। इसकी आसमान से एयरक्राफ्ट और एंटी-सबमरीन हेलिकॉप्टर्स के जरिए निगरानी भी की जाएगी।
> इन जहाजों और एयरक्राफ्ट्स को क्लियर ऑर्डर होगा कि पानी में दुश्मन की सबमरीन है और उसे खत्म कर देना है। सबमरीन में बैठे कैप्टन के लिए यह एक अल्टीमेट टेस्ट होगा। दुश्मन के जहाज उसे खत्म कर दें, उससे पहले कैप्टन को सबमरीन में रेंगते हए टॉरपेडो या मिसाइल रेंज तक पहुंचना होगा।
> इस एक्सरसाइज में शामिल होने वाले इंडियन कमांडर के पास बंगाल की खाड़ी की बेहतर नॉलेज होगी। विशाखापट्टनम में बेस्ड सिंधुराज यहां आवाजाही करता रहता है और इसके कमांडिंग अफसर यहां के हालात से वाकिफ हैं।
> अमेरिका इस एक्सरसाइज में USS थियोडोर रूजवेल्ट को उतार रहा है। यह पहली बार 1991 में ऑपरेशन डिजर्ट स्ट्रॉम में शामिल हुआ था। बता दें कि यूएसएस रूजवेल्ट न्यूक्लियर कैपिसिटी वाला बेड़ा है। इसमें एकसाथ 90 फाइटर प्लेन पार्क हो सकते हैं।
> जापान ने अकिजू सबमरीन को इस प्रैक्टिस में भेजा है। इस सबमरीन को जापान ने अपनी नेवी में 2012 में शामिल किया था। बता दें कि यह एक्सरसाइज उस वक्त हो रही है, जब अमेरिका का एशिया-पैसेफिक रीजन की तरफ झुकाव बढ़ा है। चीन इसके लिए अमेरिका और जापान का विरोध करता रहा है।
क्या है किलो क्लास सबमरीन?
> रशियन डिजाइन वाला किलो क्लास सबमरीन भारत के लिए सबसे सेफ और एडवांस्ड सबमरीन है। इस क्लास की सबसे पहली सबमरीन सिंधुघोष को इंडियन नेवी में 30 अप्रैल, 1986 को शामिल किया गया। यह डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन है।
> इसे रूसी डिफेंस कंपनी Rosvooruzhenie और भारत की डिफेंस मिनिस्ट्री ने मिलकर तैयार किया है। इसे 877EKM के तहत डिजाइन किया गया है।
क्या हैं इसकी खूबियां?
> किलो क्लास सबमरीन इंडियन नेवी के लिए बहुत खास है। दूसरे देशों की नेवी या एडवांस्ड नेवल तकनीक भी समुद्र में इसके मूवमेंट का पता नहीं लगा पाती है। इस कारण यह भारत की सबसे सेफ सबमरीन में से एक है।
> 3,000 टन की ये सबमरीन्स समुद्र में मैक्सिमम 300 मीटर की गहराई में रह सकती हैं। इनकी टॉप स्पीड 18 नॉट्स होती है। एक बार में 53 क्रू के साथ ये 45 दिनों तक समुद्र के भीतर रहने की कैपिसिटी रखती हैं। ऐसी 10 सबमरीन्स इंडियन नेवी के पास हैं।
 

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