……..और तब अखाड़े का हुआ था शुद्धिकरण

प्रमुख अखाड़ों में से एक अटल टाल अखाड़े के उस्ताद दाऊजी पहलवान का कहना है कि अखाड़े में महिलाओं का उतरना नया नहीं है। 20 साल पहले शहर के प्रमुख लक्खी मेला श्रीदाऊजी महाराज में हुए दंगल में वह कानपुर, मेरठ और हरियाणा की पहलवानों की इनामी कुश्ती करा चुके हैं।
हालांकि महिलाओं की कुश्ती को तब यहां के अखाड़ों ने स्वीकार नहीं किया था और ऐसी कुश्ती के बाद अखाड़ों को शुद्ध किया जाता था। इसके पीछे मान्यता थी कि महिलाओं के अखाड़े में कुश्ती लड़ने से पहलवानों के इष्ट हनुमानजी रुष्ट हो जाते हैं, इसलिए अखाड़े को शुद्ध कर हनुमानजी को मनाया जाता है। हालांकि अब ऐसी कोई बात नहीं है।
उस्ताद का कहना है कि दस साल पहले तक कुश्ती की हालत काफी खराब हो चली थी। ओलंपिक में कुश्ती में पदक मिलने का सिलसिला शुरू होने पर अखाड़ों में जान सी आ गई है। महिला पहलवानों के बेहतर प्रदर्शन ने ओलंपिक में पदक की नई राह दिखाई है। साक्षी की जीत से ओलंपिक में दूसरे खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ेगा और ताकत मिलेगी।
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