जननी सुरक्षा योजना में फर्जीवाड़ा: 10 महीने में 5 बार प्रेगनेंट हो गई 60 साल की महिला


मंगलवार को बदायूं में आशा देवी (40) जननी सुरक्षा योजना के तहत मिलने वाली राशि का चेक लेकर बैंक पहुंची। उसने इसी साल 28 फरवरी को बच्चे को जन्म देने का दावा कर 1400 रुपये लिए। 13 मार्च और फिर 20 मई को भी उसने डिलीवरी होने का दावा किया। ऐसे में बैंक अधिकारी को महिला पर शक हुआ, तो उसने स्वास्थ्य विभाग को इसकी सूचना दे दी। इसकी जांच के बाद फर्जीवाड़ा सामने आ गया। इसी तरह राजेश्वरी देवी (43) ने 24 अगस्त, 2011 को डिलीवरी का दावा किया था। जांच में पता चला कि वह 12 साल पहले ही मां बन चुकी थी। फिलहाल संबंधित अधिकारी पूरे मामले की गहनता से जांच-पड़ताल कर रहे हैं। इसके बाद दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. सुबोध शर्मा ने बताया, ‘मैंने सार्वजनिक और सामुदायिक केंद्रों से जुटाए गए रिकॉर्ड्स देखे हैं और अब बैंकों की रिपोर्टों का इंतजार कर रहा हूं। जब वे मुझे मिल जाएंगी, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।’ उन्होंने बताया कि जननी सुरक्षा योजना के तहत सरकारी अस्पताल में बच्चे को जन्म देने के बाद महिला को पौष्टिक भोजन के लिए 1400 रुपये दिए जाते हैं, ताकि जच्चा-बच्चा की सेहत ठीक रहे, लेकिन जिस तरह से इस योजना का दुरुपयोग हो रहा है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है।
क्या है जननी सुरक्षा योजना
जननी सुरक्षा योजना भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रायोजित योजना है इसकी शुरुआत 2001 में की गई थी। साल 2005 में इसे एक साथ सभी राज्यों में लागू किया गया। इसके अंतर्गत गरीबी रेखा से नीचे जीवन बिताने वाली महिलाओं को संस्थागत प्रसव कराने के लिए शहरी क्षेत्रों में 1000 रुपए और ग्रामीण क्षेत्रों में 1400 रुपए दिए जाते हैं।
शत-प्रतिशत केंद्र प्रायोजित इस योजना का उद्देश्य गरीब गर्भवती महिलाओं को प्रसव की संस्थागत सुविधा प्रदान करना है। योजना के अंतर्गत पंजीकृत हर लाभार्थी के पास एमसीएच कार्ड के साथ-साथ जननी सुरक्षा योजना कार्ड भी होना जरूरी है। आशा या कोई अन्य सुनिश्चित संपर्क कार्यकर्ता द्वारा ए.एन.एम. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधिकारी की देखरेख में अनिवार्य रूप से प्रसव की व्यवस्था करना जरूरी है। इससे गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य जांच और प्रसव के बाद देखभाल और निगरानी करने में सहायता मिलती है, ताकि जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ रहे।
जननी सुरक्षा योजना भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रायोजित योजना है इसकी शुरुआत 2001 में की गई थी। साल 2005 में इसे एक साथ सभी राज्यों में लागू किया गया। इसके अंतर्गत गरीबी रेखा से नीचे जीवन बिताने वाली महिलाओं को संस्थागत प्रसव कराने के लिए शहरी क्षेत्रों में 1000 रुपए और ग्रामीण क्षेत्रों में 1400 रुपए दिए जाते हैं।
शत-प्रतिशत केंद्र प्रायोजित इस योजना का उद्देश्य गरीब गर्भवती महिलाओं को प्रसव की संस्थागत सुविधा प्रदान करना है। योजना के अंतर्गत पंजीकृत हर लाभार्थी के पास एमसीएच कार्ड के साथ-साथ जननी सुरक्षा योजना कार्ड भी होना जरूरी है। आशा या कोई अन्य सुनिश्चित संपर्क कार्यकर्ता द्वारा ए.एन.एम. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधिकारी की देखरेख में अनिवार्य रूप से प्रसव की व्यवस्था करना जरूरी है। इससे गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य जांच और प्रसव के बाद देखभाल और निगरानी करने में सहायता मिलती है, ताकि जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ रहे।
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