दादरी मामले में उलेमाओं ने कहा-साध्वी प्राची, महेश शर्मा को मौत की सजा जायज

लखनऊ /सहारनपुर। देवबंद के कई उलेमाओं ने कहा है कि साध्वी प्राची और केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा के साथ और बिसहड़ा में मारे गए अखलाक के हत्यारों को सजा-ए-मौत जायज है। उलेमा का कहना है कि साध्वी प्राची और महेश शर्मा नफरत का जहर घोलने का काम कर रहे हैं। इन उलेमाओं का ये भी कहना है कि दादरी में हुई अखलाक की हत्या हिंदू आतंकवादियों ने की है।
बता दें कि इससे पहले बिसहड़ा मामले को लेकर सपा नेता और देवबंद नगरपालिका परिषद के अध्यक्ष माविया अली साध्वी प्राची की हत्या को जायज बता चुके हैं। इस्लामिक विद्वान मौलाना नदीमुल वाजिदी ने माविया के बयान को साध्वी प्राची के जहरीले बयान की प्रतिक्रिया बताया। उन्होंने कहा कि देवबंद पालिकाध्यक्ष का बयान उन नेताओं के मुंह पर तमाचा है, जो देश में हिंदू-मुस्लिमों को आपस में लड़ा रहे हैं।
देवबंदी उलेमाओं ने कहा कि समाज और देश में नफरत का जहर घोलने वालों के लिए केवल मौत की सजा होनी चाहिए। वहीं, दारुल उलूम वक्फ के सीनियर उस्ताद मुफ्ती मोहम्मद आरिफ कासमी ने कहा कि पूरे देश और खासकर यूपी में हुकूमत के नरम रवैये का फायदा उठाकर गलत ताकतें देश को तोड़ने और कमजोर करने की साजिश रच रही हैं। साथ ही देश को तोड़ भी रही हैं।
साध्वी प्राची, संगीत सोम जैसे लोग खतरनाक
मुफ्ती मोहम्मद आरिफ कासमी ने कहा कि साध्वी प्राची, बीजेपी सांसद साक्षी महाराज और बीजेपी विधायक संगीत सोम जैसे लोगों के नफरत भरे बयान देश के सेक्युलर लोगों, खासतौर पर अल्पसंख्यकों और मुसलमानों को बहुत कुछ सोचने को मजबूर करते हैं। ऐसे लोगों के लिए सजा-ए-मौत जायज है।
मुफ्ती मोहम्मद आरिफ कासमी ने कहा कि साध्वी प्राची, बीजेपी सांसद साक्षी महाराज और बीजेपी विधायक संगीत सोम जैसे लोगों के नफरत भरे बयान देश के सेक्युलर लोगों, खासतौर पर अल्पसंख्यकों और मुसलमानों को बहुत कुछ सोचने को मजबूर करते हैं। ऐसे लोगों के लिए सजा-ए-मौत जायज है।
दारुल उलूम देवबंद एक वर्ल्ड फेमस इस्लामिक संस्था है, जहां से देवबंदी इस्लामिक मूवमेंट की शुरुआत हुई। यह सहारनपुर के देवबंद इलाके में है। इसे कई प्रमुख इस्लामी विद्वानों (उलेमा) ने 1866 में स्थापित किया था। देवबंद कई मुद्दों पर फतवे जारी करने के लिए जाना जाता है।
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