देवबंद ने कहा- बिना वजह मुस्लिम महिलाओं का चुनाव लड़ना जायज नहीं

fatwaतहलका एक्सप्रेस
सहारनपुर। महाराष्ट्र के उलेमाओं ने मुस्लिम महिलाओं के चुनाव लड़ने के खिलाफ एक फतवा जारी किया है। अब इस पर इस्लामिक संस्था दारुल उलूम देवबंद ने भी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उनका मानना है कि महिलाएं पर्दे में रहे तो बेहतर हैं। यदि ज्यादा जरूरी है तो पर्दे में रहकर ही चुनाव लड़ा जाना चाहिए, बिना वजह या राजनीति में आने के लिए नहीं। बता दें कि यूपी में नौ अक्टूबर को पंचायत चुनाव तो अगले महीने महाराष्ट्र में नगर निगम चुनाव संपन्न होने हैं।
यूपी में पंचायत चुनाव की घोषणा होते ही जोरशोर से तैयारियां की जा रही हैं। वहीं, कुर्सी के लिए काफी संख्या में महिलाओं को प्रत्याशी बनाया जा रहा है। इनमें दलितों के साथ वह महिलाएं भी शामिल हैं, जो पर्दे में रहती हैं। ऐसे में कोल्हापुर के मौलवियों के संगठन ‘मजलिसे-शुरा-उलेमा-ए-कोल्हापुर’ ने तीन दिन पहले एक फतवा जारी किया था। हालांकि, इस फतवे का कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं और संगठनों ने विरोध किया है।
3 दर्जन से ज्यादा मुस्लिम महिलाओं ने किया नामांकन
जानकारी के मुताबिक, यूपी में हो रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए सहारनपुर जिले में पहले दो चरण में तीन दर्जन से ज्यादा मुस्लिम महिलाओं ने जिला पंचायत सदस्य बनने के लिए नामांकन किया है। वहीं, सैकड़ों महिलाओं ने क्षेत्र पंचायत सदस्य बनने के लिए नामांकन पत्र दाखिल किए। पहले चरण में जिला पंचायत सदस्य पद के लिए सिर्फ एक मुस्लिम महिला ने ही नामांकन वापस लिया है।
1996-97 में दारुल उलूम देवबंद ने जारी किया था फतवा
बताते चलें कि दारुल उलूम देवबंद की ओर से साल 1996-97 के चुनावी माहौल में एक फतवा जारी किया गया था। इस फतवे में कहा गया था कि मुस्लिम महिलाएं चुनाव नहीं लड़ सकती हैं। इस पर जमकर विरोध और बवाल मचा था, जिसके बाद दारुल उलूम ने फतवे में संशोधन किया था कि केवल आरक्षित सीट पर ही मुस्लिम महिलाएं पर्दे में रहकर चुनाव लड़ सकती हैं। अब कोल्हापुर के उलेमा द्वारा दिए नए फतवे से एक बार फिर सियासत गरमा गई है।
महिलाओं को शरीयत के नियमों का करना होगा पालन
मुफ्ती आरिफ कासमी ने कहा, “यदि ज्यादा जरूरी है, तब ही मुस्लिम महिला को चुनावी मैदान में आना चाहिए, अन्यथा नहीं। मामला चुनाव लड़ने का हो या अन्य मसला, महिलाओं को शरीयत के नियमों का पालन करना चाहिए। शरीयत के नियम के अनुसार महिला पर्दे में रहकर चुनाव लड़ सकती है। सरकार द्वारा मुस्लिम महिलाओं के लिए अलग से वार्डों का आरक्षण किया गया है, इन्हीं वार्ड से चुनाव लड़ना चाहिए, वह भी पर्दे में रहकर।”
प्रचार सामग्री पर फोटो छापना मना
मुफ्ती आरिफ कासमी ने बताया कि चुनाव की प्रचार सामग्री पर सिर्फ नाम ही छापना चाहिए, फोटो आदि नहीं। साथ ही यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि चुनाव राजनीति में आने के लिए नहीं, बल्कि कौम और मुल्क की सेवा करने के लिए लड़ा जाना चाहिए।
 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button