देश की समृद्धि का आधार कृषि है: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री ने 06 दिवसीय शून्य लागत प्राकृतिक कृषि शिविर का उद्घाटन किया

कृषि की प्राचीन ऋषि परम्परा को अपनाकर हम स्वस्थ 

व सक्षम भारत की संकल्पना को साकार कर सकते हैं

खाद्य सुरक्षा एक वैश्विक समस्या

कृषि से नौजवानों के पलायन को रोकना होगा: मुख्यमंत्री

शून्य लागत प्राकृतिक कृषि, किसान व प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण

प्रकृति प्रदत्त गुणों के कारण ही गाय को माता की संज्ञा दी गई

कृषि देश में सबसे अधिक रोजगार देने वाला सेक्टर: मुख्यमंत्री

राज्य सरकार सभी नगर निगमों व बुन्देलखण्ड क्षेत्र में गो-अभ्यारण्य बनाएगी

सरकार के गठन के बाद से मात्र 09 माह में 43 स्वायल टेस्ट लैब खोले गए

किसान खेती के साथ-साथ पशुपालन डेरी उद्योग से भी जुडे़

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि देश की समृद्धि का आधार कृषि ही है। कृषि की प्राचीन ऋषि परम्परा को अपनाकर हम स्वस्थ व सक्षम भारत की संकल्पना को साकार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा एक वैश्विक समस्या है। जमीन घट रही है, जनसंख्या बढ़ रही है, अनाज की पूर्ति के लिए हम सभी को प्राकृतिक वस्तुओं का उपयोग करना होगा। गांवों का विकास कर ही हम देश का विकास कर सकते है। कृषि से नौजवानों के पलायन को रोकने के लिए आवश्यक है कि परम्परागत खेती नया स्वरूप प्रदान किया जाए।

मुख्यमंत्री जी ने यह विचार आज बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में लोक भारती के तत्वावधान में आयोजित 06 दिवसीय शून्य लागत प्राकृतिक कृषि शिविर के उद्घाटन के अवसर पर व्यक्त किए। अपने सम्बोधन में योगी जी ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश कृषि पर निर्भर सबसे बड़ा राज्य है। इस प्रकार की कार्यशाला किसानों को जागरूक करने में मददगार साबित होगी। शून्य लागत प्राकृतिक कृषि, किसान व प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से हम भूमि की उर्वरता को अक्षुण्ण बनाए रख सकते हैं। कृषि की इस विधा के माध्यम से कम लागत व कम पानी का उपयोग करने के साथ उपज को बढ़ाकर हम अपनी आय बढ़ा सकते हैं। इस तकनीक को समृद्ध करने में गोवंश का सबसे अधिक महत्व है। प्रकृति प्रदत्त गुणों के कारण ही गाय को माता की संज्ञा दी गई है। यह एक अभिनव प्रयोग है।

योगी जी ने कहा कि कृषि देश में सबसे अधिक रोजगार देने वाला सेक्टर है। देशी गोवंश को संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है। इसके लिए वर्तमान सरकार सभी नगर निगमों व बुन्देलखण्ड क्षेत्र में गो-अभ्यारण्य बनाने जा रही है। उन्होंने कहा कि कृषि के प्रति लोगों को जागरूक करना होगा। इसके दृष्टि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने किसानों के लिए स्वायल टेस्टिंग कार्ड बनवाने की दिशा में कार्य किया है। प्रदेश में भी स्वायल टेस्टिंग केन्द्र खोले गए हैं। उल्लेखनीय है कि आजादी से लेकर मार्च, 2017 तक प्रदेश में मात्र 33 स्वायल टेस्टिंग लैब थी, जबकि सरकार के गठन के बाद से मात्र 09 माह में 43 स्वायल टेस्ट लैब खोले गए हैं। सरकार योजनाओं की सब्सिडी का लाभ अब किसानों डी0बी0टी0 के माध्यम से मिल रहा है। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि वे खेती के साथ-साथ पशुपालन डेरी उद्योग से भी जुड़े। आधुनिक खेती से जहां जमीन की उर्वरता नष्ट हो रही हैं, वहीं कीटनाशकों के उपयोग से खाद्यान्न मानव शरीर को नुकसान पहुचान रहे हैं। देश में सबसे पहले पंजाब में आधुनिक खेती का प्रचलन हुआ और वहां की स्थिति काफी खराब हो गई है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सरकार ने एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स का गठन किया है, जिसके माध्यम से अब तक 44 हजार हेक्टेयर जमीन माफियाओं से मुक्त करायी जा चुकी हैं। ऐसी भूमि का उपयोग गो केन्द्र खोलने में भी किया जाएगा। इससे पूर्व, मुख्यमंत्री जी ने कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर उन्होंने मासिक पत्रिका ‘लोक सम्मान’ के विशेषांक का विमोचन भी किया। इस अवशर पर कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने बताया कि भौतिकता की आंधी ने धरती को बीमार कर दिया है। पीलीभीत में इतना अधिक यूरिया का इस्तेमाल हुआ कि सबसे अधिक कैंसर रोगी वहां पाए गए। रसायन और उर्वरकों के स्थान पर प्राकृतिक खेती ही विकल्प है।

भूमि का महत्व बीज से अधिक है। हर किसान के हाथ में मृदा परीक्षण कार्ड जाना चाहिए, उनकी जमीन का परीक्षण होना चाहिए। गोधारित खेती से इन समस्याओं का समाधान संभव है। फसल तंत्र के स्थान पर खेती तंत्र विकसित होना चाहिए। हमने आज तक कृषि तंत्र का कोई मॉडल ही विकसित नहीं किया गया। दलहन और तिलहन विदेशों से मंगाना पड़ रहा है। फसल चक्र अपनाकर 90 फीसदी यूरिया को कम किया जा सकता है। जीवामृत, बीजामृत और घनामृत के माध्यम से उर्वरक की जरूरत को पूरा किया जा सकता है। कृषि लागत यदि शून्य हो स्वतः कृषि आय दोगुनी हो जाएगी। आज हमारा बीज हर वर्ष बीज खरीदने की परंपरा बन गई है।

क्रॉस ब्रीड ने हमारी लागत बढ़ा दी है। खाद्य पदार्थों से पोषक तत्वों की मात्रा घट रही है। हमारा शरीर आज बीमार बन चुका है। सबसे अधिक प्राकृतिक संसाधन, मौसम, पर्यावरण और उपजाऊ जमीन हमारे पास है। इस वर्ष प्रदेश में 20 हजार किसानों को सोलर पंप देंगे। इससे सिंचाई की गारंटी मिलेगी, बिजली खपत कम होगी, आमदनी बढ़ेगी। वैश्विक जरूरतों की मांग को ध्यान में रखते हुए हमें अपना उत्पादन कटना होगा। मांग आधारित उत्पादन को ध्यान में रखकर हमें कृषि करने की जरूरत है। प्राकृतिक खेती पर आधारित पांच एकड़ में एक मॉडल विकसित किया जाएगा।

इस अवसर पर पद्मश्री सुभाष पालेकर ने कहा कि प्राकृतिक खेती को अपनाकर हम पूरी मानवता की वास्तविक सेवा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को अच्छा अनाज उपलब्ध हो इसके लिए रसायनिक खादों व उर्वरकों के उपयोग को बन्द करना होगा। इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही, परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती स्वाती सिंह सहित अनेक गणमान्य नागरिक मौजूद थे। साथ ही राज्यमंत्री स्वाति सिंह ने बताया कि गांधी ने कहा था कि हमारी मिट्टी में इतनी क्षमता है कि वो हमारी खाद्य जरूरतों को पूरा कर सकती है, बस हमारे लालच को पूरा करने की क्षमता उसमें नहीं है। मंडी परिषद ने कृषि छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति बढ़ाई गई। नील गायों की समस्या 9 महीने की नहीं है। शून्य लागत कृषि से हम।पानी की समस्या से निजात प्राप्त करेंगे। हमारे आलू के उत्पादन में पानी की मात्रा अधिक है इसलिए उसको प्रोसेसिंग यूनिट में नहीं इस्तेमाल कर सकते हैं।

मुख्य वक्ता प्राकृतिक कृषि प्रणेता पद्मश्री सुभाष पालेकर, विशिष्ट अतिथि कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही, राज्यमंत्री स्वाति सिंह, महापौर संयुक्ता भाटिया ने भी अपनी बात कही। इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय अधिकारी मधुभाई कुलकर्णी, डॉ दिनेश सिंह, अशोकजी बेरी, लोकभारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बृजेंद्र सिंह, कार्यक्रम समन्वयक गोपाल उपाध्याय, प्रचार प्रसार प्रमुख शेखर त्रिपाठी, मीडिया प्रभारी डॉ नवीन सक्सेना भी प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button