पत्थरबाजों और पुलिस के बीच खूनी जंग, कानपुर साउथ का इलाका बना कश्मीर

कानपुर। एक लेखक ने सच ही कहा है कि भारत को हमारे क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों से आजाद तो करवा लिया, लेकिन उनके बनाए कानून और सरकारी परिधान को नहीं बदलवा पाए। इसी का नतीजा है कि पुलिस, सरकारी अफसर अक्सर नौकर कम राजा बनकर पब्लिक पर रौब जताता रहता है।
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बर्रा थाने में शनिवार को हुए बवाल पर खाकी धारियों के काम करने के तरीके की पोल कर रख दी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर पुलिस चाहती तो बवाल को रोक सकती थी, पर उसने ऐसा नहीं किया, बल्कि पब्लिक को लाठी के बल पर काबू करना चाहा। अंजाम यह हुआ कि पब्लिक ने पत्थरबाजी शुरू की तो पुलिवालों ने बंदूक और लाठी का सहारा लिया और कानपुर साउथ का इलाका कश्मीर के रूप में तब्दील हो गया।
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हॉस्पिटल सीज करनें पर अड़े थे परिजन
ममला कानपुर के बर्रा थाना क्षेत्र स्थति जागृति हॉस्पटिल का है। शुक्रवार को यहां एडमिट एक छात्रा ने वार्ड ब्वॉय पर अपने सामने कपड़े चेंज करवाने और इंजेक्शन देकर रेप करने का आरोप लगाया था, जिसके बाद पुलिस ने आरोपी को अरेस्ट कर लिया। इसी मामले में शनिवार को छात्रा के परिजनों सहित सैकड़ों लोगों ने हॉस्पिटल सीज करने की मांग को लेकर बर्रा थाने पहुंचे, जहां पुलिस ने उन्हें टरका दिया। इससे नाराज लोगों ने नेशनल हाइवे – 2 जाम कर दिया।

बर्रा थाने की फोर्स जब जाम खुलवाने पहुंची तो पब्लिक के साथ पुलिस की भिडं़त हो गई। परिजनों ने पुलिस पर हॉस्पिटल संचालक से पैसे लेकर कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। इस बीच पुलिस ने जब लाठी भांजकर जाम खुलवाने की कोशिश की तो प्रदर्शनकारियों और भड़क गए। उन्होंने पुलिसकर्मियों पर ही अटैक कर दिया।
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दरोगा की लाल.घूंसों से की पिटाई
प्रदर्शनकारियों ने एक दारोगा को दबोच कर गिरा लिया और लात-घूंसों और पत्थर से जमकर पीटा, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। दारोगा के सिर से खून निकलने लगा। इस बीच दारोगा के साथ मौजूद पुलिसकर्मी प्रदर्शनकारियों को उग्र होता देख भाग खड़े हुए हुए। कुछ देर बाद सीनियर ऑफिसर ने रिवाल्वर निकाल दारोगा को भीड़ से बचाया। इस दौरान कई पुलिसवाले पब्लिक की पिटाई से घायल हुए, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर पुलिस हॉस्पिटल संचालक व अन्य कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करती तो बवाल रोका जा सकता था। लोगों का कहना है कि बर्रा इंस्पेक्टर ने पीडि़त परिवार की नहीं सुनी।
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… तो इसके चलते हुआ बवाल
छात्रा के पिता ने कहा कि जो मेरी बेटी के साथ हुआ और किसी के साथ न हो इसलिए हॉस्पिटल को सीज कराने की मांग कर रहे हैं। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार करने के बाद भी मुझे पूरे दिन थाने के चक्कर लगवाए। मुझे एफआईआर की नकल नहीं दी गई। पुलिस आरोपी को ट्रीटमेंट दे रहे थे। मुझे जमीन पर बैठाकर रखा था। जैसे मैं अपराधी हूं।
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पीडि़ता के पिता के मुताबिक पुलिस ने जहां पहले रेप का मामला दर्ज करने में देरी की, फिर हमारी बेटी का मेडिकल कराने को लेकर हमें गुमराह करती रही। जब मामला अलाघिकारियों तक पहुंचा तब कहीं केस दर्ज होने के बाद आरोपी को पकड़ा गया। अगर पुलिस सही तरह से काम करती तो हमें हंगामा करने की जरूरत नहीं पड़ती। मामले पर एडीजी जोन कानपुर अविनाश चंद्रा का कहना है कि मौके पर पुलिस समेत कई थानों की फोर्स मौजूद थी, लेकिन भीड़ आक्रोशित हो गई। पुलिस से मारपीट करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
पीडि़ता ने कुछ इस प्रकार दिया था बयान
पीडि़त ने बताया कि शुक्रवार को वार्ड व्वाय आया और बोला की तुम्हारे कपड़े गीले हो गए हैं, इन्हें चेंज करना होगा। मैंने उससे किसी नर्स या मम्मी को बुलाने को कहा, लेकिन उसने मना कर दिया। बोला इस टाइम कोई नर्स नहीं रहती और मम्मी वापस पार्टी में जा चुकी हैं। पापा दवा लेने गए हैं। इसके बाद वो मुझे वॉशरूम में ले गया और बोला मुझसे शर्म मत करो। मैंने उसके सामने कपड़े चेंज किए।
उसने कहा, ऊपर के भी कपड़े गीले हैं, इन्हें भी चेंज करो और खुद ही बटन खोलने लगा, जिसके बाद मैं भागकर बेड पर आ गई। बेड पर भी उसने मुझे जबरन किस किया। चिल्लाने पर भाग गया। थोड़ी देर बाद वह इंजेक्शन लेकर आया और मुझे लगा दिया। मैं नींद में चली गई। इसी का फायदा उठाकर उसने मेरे साथ रेप किया। मुझे कुछ गलत होने का अहसास हो रहा था, लेकिन मैं गहरी नींद में थी।
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