पढ़ें अखिलेश की चिट्ठी, 3 नवम्बर को निकलेंगे विकास रथ लेकर

akhilesh-yadav-3लखनऊ। यूपी में सत्ताधारी पार्टी में विधानसभा चुनाव से पहले चल रहा घमासान ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा है. इसी बीच अखिलेश यादव ने अपना तुरुफ का पत्ता चल दिया है. मुख्यमंत्री 3 नवम्बर को ‘समाजवादी विकास रथ यात्रा’ लेकर निकल रहे है. 3 नवम्बर की तारीख इस लिए भी अहम है क्योकि 5 नवम्बर को  समाजवादी पार्टी अपनी रजत जयन्ती समारोह माना रही है. अखिलेश के करीबियों ने इस समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है. अखिलेश यादव ने चिट्ठी लिख कर सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह को विकास रथ यात्रा की जानकारी दी.

विकास रथ यात्रा

इससे पहले समाजवादी पार्टी की  20 अक्टूबर को होने वाली सपा कार्यकारिणी की बैठक में अखिलेश को विशेष आमंत्रित सदस्य भी नहीं बनाया गया है.  इसके साथ ही 22 अक्टूबर को सभी ज़िला अध्यक्षों की बैठक भी बुलाई गई है. अखिलेश यादव यादव ने पिछले विधानसभा चुनाव में भी रथ ले कर निकले थे और सपा की सरकार बहुमत में आई थी.

 

इस बार भी अखिलेश अकेले ही विकास रथ लेकर निकलेंगे. इस बार  रजत जयन्ती समारोह से ठीक पहले अखिलेश का ये फैसला समाजवादी पार्टी के आकाओं के लिए एक सबक के रूप में है. अखिलेश पहले भी कहा चुके है कि जिसके पास ज्यादा हाथ होंगे जीतेगा वही. इसे पहले आजमगढ़ में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह की रैली को स्थगित करना पड़ा था. अखिलेश समर्थक पुरे जोश में है और अखिलेश के ही नेत्रत्व में चुनाव लड़ने को तैयार है.

अखिलेश समर्थकों में इस बात का रोष है कि बहुजन समाज पार्टी की सरकार में अन्याय के खिलाफ आन्दोलन करने वाले एमएलसी सुनील सिंह यादव, आनन्द भदौरिया, अरविन्द प्रताप यादव, संजय लाठर, समाजवादी युवजन सभा के प्रदेश अध्यक्ष बृजेश यादव, यूथ ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद एबाद, यूथ ब्रिगेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौरव दुबे, समाजवादी छात्र सभा के प्रदेश अध्यक्ष दिग्विजय सिंह को उनके संघर्षमय जीवन पर काला दाग लगाते हुए उन्हें अनुशासनहीन बताते हुए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया. बैठक में तय हुआ कि इस नादिरशाही फरमान के विरोध में समाजवादी पार्टी के युवा पदाधिकारी 5 नवम्बर को जनेश्वर मिश्र पार्क में प्रस्तावित पार्टी के रजत जयन्ती समारोह में शामिल नहीं होंगे. समाजवादी पार्टी के सैनिक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष कर्नल सत्यवीर सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में मौजूद नेताओं ने साफ़ कर दिया है कि उनकी निष्ठा और आस्था अखिलेश यादव के नेतृत्व में है.

 

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