बलात्कारियों के मसीहा मुलायम ने गायत्री को बताया निर्दोष,जेल जाकर मिले प्रजापति से

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के संरक्षक एवं पूर्व मुख्य मंत्री मुलायम सिंह यादव ने कल  दोपहर जिला कारागार पहुंचकर सामूहिक  दुष्कर्म मामले में निरुद्ध पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति से मुलाकात की । गायत्री प्रजापति से मुलाकात के बाद मुलेयम ने उन्हें क्लीन चिट भी दी।

करीब एक घंटे जिला कारागार में रुके मुलायम ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को काले झंडे दिखाने के आरोप में बंद छात्रों का भी हालचाल लिया और उनसे भी मुलाकात की । मुलाकात के बाद कारागार परिसर से बाहर आए मुलायम सिंह ने पत्रकारों से बातचीत में पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद की खुलकर पैरोकारी की। उन्होंने कहा कि दुष्कर्म के आरोप में गायत्री को साजिश के तहत फंसाया गया, वह निर्दोष है। ज्ञात हो कि बलात्कार जैसे मामलों में मुलायम सदा आरोपियों का पक्ष ही लेते आये है। युवकों द्वारा किये गए बलात्कार को जवानी के जोश की गलतियां तंक बता चुके है।

मुलायम का कहना है कि गायत्री पर सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली महिला और उसकी बेटी के बयानों में विरोधाभास है। दोनों के बयान अलग-अलग हैं। पुलिस की जांच में सब कुछ साफ हो चुका है। बावजूद इसके गायत्री को जेल भेज दिया गया। मुलायम सिंह ने गायत्री के पक्ष में सफाई भी दी। उन्होंने कहा कि गायत्री पर दुष्कर्म व छेड़छाड़ के आरोप लगाने वाली महिला ने दो मुकदमे दर्ज कराएंं। पहला छेड़छाड़ और दूसरा दुष्कर्म का।

पुलिस की विवेचना में भी यह सामने आया था कि महिला की बेटी ने गायत्री और उनके साथियों को पहचानने से ही इन्कार कर दिया था।अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रजापति सपा संरक्षक मुलायम सिंह के बेहद करीबी लोगों में से एक हैं। सूत्रों की माने तो अखिलेश यादव अपनी सरकार के दौरान गायत्री की वज़ह से हो रही बदनामी के कारण उनसे दूरी बनाना चाहते थे, लेकिन मुलायम सिंह की वज़ह से ही गायत्री का पार्टी और सरकार में काफी रसूख रहा।

महिला जिस दिन की घटना बता रही है, उस दिन गायत्री समेत उनके साथियों और मुकदमा दर्ज कराने वाली महिला और उसकी बेटी की लोकेशन अलग-अलग स्थानों पर मिली है। जब लोकेशन अलग-अलग हैं, तो सामूहिक दुष्कर्म कैसे हो सकता है। उन्होंने कहा कि गायत्री के खिलाफ झूठा अभियान चलाया जा रहा है। उसे इस तरह टारगेट किया जा रहा है, जैसे कि वह कोई आतंकवादी हो।

मुलायम सिंह ने पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को काले झंडे दिखाने के आरोप में बंद छात्र-छात्राओं का हाल पूछा। उन्होंने आरोप लगाया कि इन छात्रों से आतंकियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है। केवल काले झंडे दिखाने पर ही पढऩे-लिखने वाले बच्चों से अमानवीय व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए। शासन व सत्ता का विरोध करना प्रजातंत्र में अधिकार होता है। मुलायम ने कहा कि मेरे मुख्यमंत्री रहते हुए भी कई बार विरोध जताते हुए काले झंडे दिखाए गए। शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए कार्रवाई के तौर पर झंडे दिखाने वाले लोगों को पकड़ा गया लेकिन, बाद में उनकी जमानत हो गयी। कभी इस तरह किसी छात्र को जेल में नहीं भेजा गया।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जेल में बंद गायत्री प्रजापति व छात्रों को न्याय दिलाने के लिए वह राज्यपाल से मिलेंगे और मुख्यमंत्री से भी मुलाकात करेंगे। जरूरत पड़ेगी तो प्रधानमंत्री से भी मिलेंगे।मुलायम सिंह का गायत्री प्रसाद से मोह नया नहीं पर इतने दिन बाद मोह कैसे जागा यह विचारणीय है- इसके पीछे कुछ और तो नही !

सपा सरकार में गायत्री को अहम ओहदा दिलाने में मुलायम की भूमिका अहम रहती थी। इसको लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी कई बार खुलेआम नाराजगी जताते रहे परंतु अंत तक कैबिनेट से न निकाल सके। खनन जैसा महत्वपूर्ण विभाग को संभालने वाले गायत्री पर मुलायम कृपा की अभी तक बनी है। जेल सूत्रों के मुताबिक गायत्री को मुलायम से मुलाकात के लिए जेल अधीक्षक कक्ष में लाया गया।

कक्ष में आते ही गायत्री ने मुलायम सिंह के पैर पकड़ लिए और फूट-फूट कर रोने लगे। गायत्री ने कहा, नेताजी मुझे गलत फंसाया गया। यह सिर्फ हमारी, आपकी और पार्टी की छवि को खराब करने के लिए साजिश रची गयी है। गायत्री को ढांढस बंधाने के दौरान मुलायम सिंह भी भावुक हो गए और उन्होने अपने बगल की कुर्सी पर बैठा लिया। इसके बाद उनसे लंबी बातचीत की।

गायत्री प्रजपति का मामला न्यायालय में विचाराधीन है और न्यायालय द्वारा आरोप सिद्ध पाये जाने पर ही उनके विरुद्ध आदेश पारित होगा अथवा वे बाइज़्ज़त बड़ी हो जायेगे। महत्वपूर्ण प्रश्न यह उठता है कि जब प्रजापति दोषी नही थे तो पुलिस से भागते क्यों रहे ?

 

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