बातचीत से पहले पाकिस्तान ने पेशावर अटैक के लिए भारत को ठहराया जिम्मेदार

indopakतहलका एक्सप्रेस ब्यूरो, नई दिल्ली। अगले महीने भारत और पाकिस्तान के नेशनल सिक्युरिटी एडवाइजर्स के बीच मीटिंग होने वाली है। इसके लिए पड़ोसी मुल्क अपनी तैयारियों में जुट गया है। एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान ‘बलूचिस्तान और कराची में टेररिज्म को बढ़ावा देने में भारत के रोल’ से जुड़ा एक डॉजियर (रिपोर्ट) तैयार कर रहा है। एक पाकिस्तानी अफसर के मुताबिक, ”भारत की ओर से कथित तौर पर बलूच विद्रोहियों को दी जाने वाली मदद और हाल ही में कराची में हुए ब्लास्ट में आतंकियों को कथित तौर पर दी गई ट्रेनिंग का मुद्दा हम उठाएंगे। पाकिस्तान समझौता ब्लास्ट मामले में धीमे ट्रायल का मामला भी उठाएगा।” गौरतलब है कि अफगानिस्तान और ईरान से सटे बलूचिस्तान में काफी वक्त से पाकिस्तान आर्मी और विद्रोहियों के बीच संघर्ष चल रहा है। विद्रोही आजाद मुल्क की मांग कर रहे हैं। पाकिस्तान आरोप लगाता रहा है कि बलूचिस्तान में अशांति को बढ़ावा देने में भारत का हाथ है।
डॉजियर पाकिस्तानी एनएसए सरताज अजीज लेकर आएंगे और भारतीय एनएसए अजीत डोभाल से मुलाकात के दौरान सामने रखेंगे। सरताज अजीज पीएम नवाज शरीफ के विदेश मामलों के सलाहकार भी हैं। मामले से जुड़े एक अफसर ने कहा कि पाकिस्तान घरेलू मुद्दों पर जनता के बीच बेहतर पैठ बनाने के लिए कुछ चुनिंदा मुद्दों को ही उठाएगा। बता दें कि दोनों देशों के पीएम नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ इस साल 10 जुलाई को रूस के उफा में मिले थे। यहीं दोनों देशों के एनएसए के बीच मुलाकात की रुपरेखा बनी थी। तय किया गया कि इस मुलाकात में आतंकवाद से जुड़े हर मुद्दे पर बातचीत होगी। हालांकि, पाकिस्तान में नवाज शरीफ के खिलाफ माहौल बन गया। कहा गया कि नवाज शरीफ का बयान भारत के पक्ष में गया। भारत इस मुलाकात में मुंबई पर हुए 26/11 हमलों में पाकिस्तान में चल रही धीमी ट्रायल और लश्कर के आतंकी जकीउर रहमान लखवी को बेल मिलने का मुद्दा उठाएगा।
जुलाई 2009 में पीएम मनमोहन सिंह की तब पाकिस्तान के पीएम रहे यूसुफ रजा गिलानी से मिस्र के शर्म-अल-शेख में मुलाकात हुई थी। तब दोनों देशों के ज्वाइंट स्टेटमेंट में टेररिज्म पर रियल टाइम इन्फॉर्मेशन शेयर करने और बलूचिस्तान का जिक्र था। इसके बाद जब मनमोहन देश लौटे तो उनकी विपक्ष ने काफी आलोचना की थी। कहा था- बलूचिस्तान का जिक्र होना एक ऐसी चूक है जो भारत को आगे आने वाले समय में भारी पड़ सकती है। वहीं, बलूचिस्तान के जिक्र के चलते गिलानी ने पाकिस्तान लौटकर अपनी पीठ थपथपाई थी। भाजपा का कहना था कि देश के इतने साल के इतिहास में पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था जब साझा बयान में हमने पाकिस्तान को बलूचिस्तान का जिक्र करने दिया हो। तब विेदेश मंत्रालय ने भी माना था कि साझा बयान का ड्राफ्ट तैयार करने में चूक हुई थी।
बलूचिस्तान की ऑटोनामी या आजादी की आवाज उठाने वाले अधिकतर विद्राेही नेता अफगानिस्तान में हैं। भारत की अफगानिस्तान से दोस्ती है। इसलिए पाकिस्तान को लगता है कि बलूच प्रांत में बगावत भड़काने में भारत का हाथ है। जबकि भारत कई बार यह साफ कर चुका है कि बलूचिस्तान में उसका कोई रोल नहीं है। इसके बावजूद जब कभी वहां गैस पाइपलाइन का मुद्दा उठता या ग्वादर पोर्ट पर किसी विदेशी का अपहरण होता है तो पाकिस्तान उल्टा भारत पर आरोप लगा देता है।
 

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