मोदी सरकार के GST का गुजरात ने किया विरोध

gst (1)तहलका एक्सप्रेस ब्यूरो, नई दिल्ली/गांधी नगर। मोदी सरकार के गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) को लेकर उनके राज्य गुजरात से ही विरोध के स्वर बुलंद हो रहे हैं। केंद्र सरकार ने गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स से होने वाली कमाई को राज्यों के बीच बंटवारे का जो फॉर्म्युला पेश किया है, उस पर गुजरात सरकार ने आपत्ति जताई है।
गुजरात की जो मुख्य आपत्ति है वह यह है कि गुजरात एक मैन्युफैक्चरिंग राज्य है जबकि टैक्स उपभोक्ता टैक्स मॉडल पर आधारित है। इससे राज्य को सेंट्रल सेल्स टैक्स में 2 फीसदी नुकसान के साथ-साथ अन्य टैक्सों से होने वाली कमाई का भी नुकसान होगा। राज्य सरकार के सूत्रों ने कहा कि प्रथम दृष्टया में केंद्र सरकार एकसमान जीएसटी शेयर के अलावा राज्य को 1 फीसदी अतिरिक्त कर राजस्व देने के लिए तैयार हो गई है लेकिन सिर्फ दो सालों के लिए। लेकिन, राज्य सरकार ने ज्यादा शेयर मांगा है और उल्लेख किया कि दो साल का मुआवजा पर्याप्त नहीं है। केंद्र सरकार का यह तर्क कि राज्यों को सर्विस टैक्स का अतिरिक्त लाभ मिलेगा, समझ में आने वाला नहीं है क्योंकि इस पर कोई स्पष्टता नहीं है। (वर्तमान में सेवा कर पूरी तरह केंद्र सरकार के पास है)। राज्य सरकार के सूत्रों ने बताया, गुजरात के पास अच्छी सर्विस इंडस्ट्री है लेकिन यह मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से होने वाली कमाई का मुकाबला नहीं कर सकता है। वर्तमान समय में राज्य की वैट और अन्य राज्यगत करों से करीब 62,000 करोड़ प्रति वर्ष कमाई हो रही है जिसमें से 45,000 करोड़ रुपये अकेले वैट से वसूली होती है। केंद्रीय टैक्सों में इसका हिस्सा करीब 14,000 करोड़ रुपये है। राज्य सरकार चाहती है कि टैक्स राजस्व में कम से कम 20 फीसदी प्रति वर्ष ग्रोथ के साथ करीब 76,000 करोड़ रुपये मिले। जीएसटी को लेकर केंद्र से बातचीत में शामिल राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘हमारे आय का मुख्य स्रोत वैट और सीएसटी है लेकिन उपभोग आधारित टैक्स सिस्टम से गुजरात को नुकसान हो सकता है जिसकी भरपाई मुश्किल है।

 

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