राजकीय सम्मान के साथ निकाला जाएगा महाकवि गोपालदास ‘नीरज’ का अंतिम ‘कारवां’

लखनऊ। पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित मशहूर महाकवि और गीतकार गोपालदास ‘नीरज’ के निधन पर दुख प्रकट करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उनकी अंतिम यात्रा राजकीय सम्मान के साथ निकाली जाएगी. मुख्यमंत्री ने इसके लिए निर्देश दिए हैं. बता दें ‘नीरज’ के पार्थिव शरीर को शनिवार सुबह आगरा ले जाया जाएगा. वहां उनके चाहने वाले उनका अंतिम दर्शन करेंगे. इसके बाद पार्थिव शरीर को दोपहर बाद अलीगढ़ ले जाया जाएगा, जहां उनकी देह दान की जाएगी. इसके बाद उनका अंतिम संस्कार होगा.
श्री गोपाल दास ‘नीरज’ जी की अंतिम यात्रा राजकीय सम्मान के साथ निकाली जाएगी: #UPCM श्री #YogiAdityanath
— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) July 19, 2018
सीएम योगी ने ये भी ऐलान किया कि यूपी सरकार की तरफ से महाकवि की याद में हर साल प्रदेश के पांच नवोदित कवियों को एक-एक लाख रुपये के नकद पुरस्कार, अंगवस्त्र और सम्मान पत्र दिए जाएंगे.
#UPCM श्री #YogiAdityanath ने श्री गोपाल दास ‘नीरज’ जी की स्मृति में प्रत्येक वर्ष प्रदेश के 5 नवोदित कवियों को एक-एक लाख रुपये का पुरस्कार, अंगवस्त्र व सम्मान-पत्र दिए जाने की घोषणा की।
— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) July 19, 2018
आपको बता दें कि इससे पहले ‘नीरज’ के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट किया, ‘गोपाल दास नीरज के निधन से साहित्य जगत को हानि हुई उसकी भरपाई होना कठिन है.’ गौरतलब है कि गुरुवार शाम 7.50 बजे नीरज ने दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली. वे 93 साल के थे. नीरज के निधन पर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति से लेकर तमाम बड़ी हस्तियों ने दुख प्रकट किया. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी ट्वीट कर नीरज को श्रद्धांजलि दी.
2015 में लिया देहदान का संकल्प
महाकवि गोपालदास ‘नीरज’ ने 2015 में देहदान का संकल्प लिया था. वो चाहते थे कि मरने के बाद भी उनका शरीर समाज की सेवा करता रहे. महाकवि ‘नीरज’ ने कर्तव्य संस्था को देहदान के संकल्प से जुड़ा शपथ पत्र अक्टूबर 2015 में दिया था. साल 2010 में उन्होंने पहली बार इसकी इच्छा जाहिर की थी. देहदान की शपथ के बाद एएमयू के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के एनॉटमी विभाग में प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी. कवि ने संकल्प की घोषणा करते हुए कहा था कि वो चाहते हैं कि मेडिकल के छात्र उनकी देह पर शरीर की पूरी संरचना जानकर अच्छे डॉक्टर बनें. ऐसा हुआ तो वो अपने जीवन को सफल मानेंगे. अंगदान करने के बाद उन्होंने लोगों से आह्वान भी किया था कि वो भी देहदान के संकल्प के लिए आगे आएं. ताकि, शरीर मरने के बाद समाज के काम आता रहे.
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