रूस में सुभाष चंद्र बोस से मिलने वाले थे शास्त्रीजी? थोड़ी देर बाद हुई मौत

नई दिल्ली। 1966 में पाकिस्तान से समझौता करने रूस गए तत्कालीन प्रधानमंत्री मौत से पहले क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस से मिलने जाने वाले थे? इस बात का खुलासा शास्त्रीजी के बेटे सुनील शास्त्री ने एक इंटरव्यू में किया था। सुनील का कहना था कि पिता लाल बहादुर शास्त्री के निधन से 40 मिनट पहले पहले रूस से उनके पिता का फोन आया था। बातचीत के दौरान लाल बहादुर शास्त्री ने उनसे कहा था कि वह किसी खास आदमी से मिलने जाने वाले हैं और भारत वापस आने पर वह देशवासियों को एक बड़ी खबर देंगे।
सुनील ने इंटरव्यू में बताया था कि हो सकता है की उनके पिता लाल बहादुर शास्त्री जिस बड़े व्यक्ति से मिलने जाने वाले थे वह सुभाषचंद्र बोस ही हो। उन्होंने यह बातें नेताजी के परिजनों को भी बताई थी। पश्चिम बंगाल सरकार ने जो 64 फाइलें सार्वजनिक की हैं, उनमें से एक फाइल नंबर -167Y/22, सीरियल नंबर3 और तारीख 29 अप्रैल, 1949 बताता है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत 1945 के विमान हादसे में नहीं हुई थी। फाइलों से यह भी पता चला है कि नेताजी 1966 तक जिंदा थे। भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खां के बीच 11 जनवरी 1966 को समझौता हुआ था। समझौते के कुछ ही घंटों बाद शास्त्री जी की रहस्यमय तरीके से मौत हो गई। शास्त्रीजी की मौत किन हालात में हुई यह बात आज भी रहस्य बनी हुई है। बताया जाता है कि शास्त्रीजी का शरीर मौत के बाद नीला पड़ गया था।
बेटे ने बताया हत्या
लालबहादुर शास्त्री के बेटे अनिल शास्त्री ने पिता की मौत को हत्या बताया है। साथ ही, उन्होंने शास्त्री की मौत से जुड़ी फाइलों को पब्लिक करने की मांग की है। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी से अपील की है कि उनके पिता की रहस्यमय मौत से पर्दा उठना चाहिए। सुनील शास्त्री का कहना था कि जब लाल बहादुर शास्त्री का शव उन्होंने देखा था तो छाती, पेट और पीठ पर नीले निशान थे जिन्हें देखकर साफ लग रहा था कि उन्हें जहर दिया गया है। लाल बहादुर शास्त्री की पत्नी ललिता शास्त्री का भी यही कहना था कि मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हुई थी। उनका कहना था कि मौत हृदय गति रुकने से नहीं, बल्कि जहर देकर मारा गया है। शास्त्रीजी की मौत के बाद उनके कुक को गिरफ्तार कर लिया गया था बाद में उसे छोड़ दिया गया।
नीला पड़ गया था शरीर
उनकी पत्नी के इस आरोप को उस समय सामने आए तथ्यों से बल भी मिला, जिन्हें बाद में दबा या छुपा दिया गया। मौत के तुरंत बाद शास्त्रीजी का शरीर नीला पड़ गया था। वहां पहुंचे दो ब्रिटिश डॉक्टरों ने अपनी रिपोर्ट में टिप्पणी की थी कि स्वाभाविक मौत में भी कई बार शरीर का रंग नीला हो जाता है पर उनके शरीर का रंग उससे ज्यादा गहरा है। उनका यह भी कहना था कि बिना पोस्टमॉर्टम और टॉक्सीकोलॉजिकल जांच के ये कहना संभव नहीं है कि मौत कैसे हुई है।
मौत की दो रिपोर्ट
शास्त्रीजी की मौत की दो अलग-अलग जांच रिपोर्ट रूस से आईं। उनके निजी चिकित्सक डॉ. चुग ने जो डेथ सर्टिफिकेट बनाया उसमें 6 सोवियत यूनियन के डॉक्टरों के साइन थे। ये सभी डॉक्टर उनकी मृत्यु के बाद आए थे। इसके कुछ ही दिन बाद रूस ने शास्त्रीजी की एक और मेडिकल रिपोर्ट जारी की। जिसमें छह के बजाए आठ डॉक्टरों के साइन थे। इस घटना को भी पचास साल होने जा रहे हैं पर सच्चाई आज तक सामने नहीं आ सकी है।
नहीं हुआ था पोस्टमॉर्टम
लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र सुनील शास्त्री और भांजे सिद्धार्थनाथ सिंह के साथ उनके परिजन भी चाहते हैं कि उनकी मौत के बारे व्याप्त संदेह को स्पष्ट कर दिया जाए पर अब तक किसी भी सरकार ने यह नहीं चाहा। हालांकि, सरकार ने यह स्वीकार किया कि सोवियत संघ में शास्त्रीजी का कोई पोस्टमॉर्टम नहीं कराया गया था। पूर्व प्रधानमंत्री के निजी चिकित्सक और रूस के कुछ डॉक्टरों की ओर से की गई चिकित्सीय जांच की एक रिपोर्ट उसके पास है पर वह इसे देश हित के कारण सार्वजनिक नहीं कर सकती।
सूचना देने से कर दिया मना
‘सी आईएज आई ऑन साउथ एशिया’ के लेखक अनुज धर ने सूचना के अधिकार के तहत तत्कालीन यूपीए सरकार से लाल बहादुर शास्त्री की मौत से जुड़ी जानकारी चाही थी। इस पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने यह कह कर सूचना सार्वजनिक न करने की छूट मांगी कि अगर उनकी मौत से जुडे दस्तावेज सार्वजनिक किए गए तो विदेशी संबंधों को नुकसान पहुंचेगा।
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