व्‍यापमं पर बंटे मंत्री: उमा ने कहा- शिवराज के करीबियों की हो CBI जांच

vyapam22ग्वालियर/नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के व्यापमं (व्‍यावसायिक परीक्षा मंडल) घोटाले की सीबीआई जांच को लेकर केंद्र सरकार में दो राय बन गई है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस मामले की सीबीआई से जांच कराने की जरूरत नहीं है। उन्‍होंने इसे ‘नॉन इश्‍यू’ बताया। जबकि मंत्री उमा भारती ने एक टीवी चैनल से कहा कि वह खुद शिवराज से मिल कर सीबीआई जांच करवाने की मांग कर चुकी हैं। इस मामले में उनके करीबियों पर आरोप लगा है, तो उनकी सीबीआई जांच होनी ही चाहिए।
उधर, सोमवार को घोटाले की आरोपी एक ट्रेनी सब इंस्‍पेक्‍टर अनामिका कुशवाहा की लाश तालाब में पाई गई। शनिवार को घटना की रिपोर्टिंग कर रहे एक पत्रकार की मौत और रविवार को होटल में जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डीन की लाश मिलने के बाद सोमवार को अनामिका कुशवाहा की मौत से मध्‍यप्रदेश सरकार पर हमले और तेज हो गए। हालांकि, अनामिका की मौत को पुलिस दहेज के लिए सताए जाने के कारण की गई खुदकुशी मान रही है। पिछले सप्‍ताह मौत का शिकार बने एक डॉक्‍टर की पत्‍नी ने पुलिस पर घूस मांगने का आरोप लगा कर उसकी साख पर सवाल खड़ा कर दिया। इसके बाद विपक्ष ने मध्‍यप्रदेश सरकार को निशाने पर लिया तो केंद्र सरकार खुल कर बचाव में उतर गई। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि विपक्ष इस ‘नॉन इश्‍यू’ को तूल दे रहा है। सोमवार को व्‍यापमं घोटाले से जुड़ी हर हलचल पर एक नजर:
 घोटाले के सिलसिले में ग्वालियर के डॉक्टर राजेंद्र आर्य को भी गिरफ्तार किया गया था। करीब एक साल बाद उन्हें जेल से रिहा किया गया। राजेंद्र की पिछले सप्ताह मौत हो गई थी। बताया गया कि उनकी मौत किडनी खराब होने के चलते हुई। लेकिन राजेंद्र की पत्नी उषा ने आरोप लगाया है कि पुलिस उन्हें घूस देने के लिए परेशान कर रही थी। सोमवार को एक टीवी चैनल से बातचीत में उषा ने बताया, “राजेंद्र की तबियत बिल्कुल ठीक थी, उन्हें ठीक से भूख भी लगती थी।” ऊषा ने पुलिस के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया कि राजेंद्र को किडनी इन्फेक्शन था। ऊषा ने कहा, “जब से उन्हें जमानत पर रिहा किया गया तब से पुलिस उनसे लगातार रिश्वत मांग रही थी। राजेंद्र ने शिकायत इसलिए नहीं की क्योंकि उन्हें अपने बच्चों की चिंता थी।”
 गवर्नर को हटाया जाए या नहीं, सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई
 सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वह अर्जी मंजूर कर ली, जिसमें मध्‍य प्रदेश के राज्‍यपाल रामनरेश यादव को हटाने और उनसे पूछताछ की इजाजत देने की मांग की है। अर्जी पर सुनवाई 9 जुलाई के होगी। यादव के बेटे शैलेश यादव इस घोटाले में आरोपी थे, जिनकी बीते 26 मार्च को यूपी में संदिग्‍ध हालात में मौत हो गई थी। आरोप है कि खुद राज्‍यपाल भी फर्जीवाड़े में शामिल रहे हैं।
व्यापमं से जुड़ी एक और मौत
व्यापमं घोटाले से जुड़ी मौतों का सिलसिला थम नहीं रहा है। सोमवार सुबह मध्य प्रदेश के सागर पुलिस ट्रेनिंग अकादमी में 2014 बैच की सब इंस्पेक्टर की ट्रेनिंग कर रही अनामिका कुशवाहा की लाश तालाब से मिली। यह घोटाले से जुड़े लोगों की तीन दिन में तीसरी मौत है। सागर रेंज के आईजी (पुलिस) केपी खरे ने कहा है कि दहेज को लेकर अनामिका की अपने पति से अनबन चल रही थी।
चतुर्वेदी ने कहा, सबको एक्सपोज करूंगा
स मामले में व्हिसल ब्लोअर और कांग्रेस नेता अशीष चतुर्वेदी ने सोमवार को कहा कि राज्य पुलिस इस मामले की सही जांच नहीं कर सकती। आशीष ने कहा कि वह सीएम शिवराज सिंह चौहान और इस मामले से जुड़ी मछलियों को जरूर एक्सपोज करेंगे।
आशीष चतुर्वेदी के सुरक्षा गार्ड ने आशीष पर हमला किए जाने की आशंका जताते हुए यह सूचना अपने अफसरों को दी है। सुरक्षा गार्ड के मुताबिक कुछ लोग इस बारे में बात कर रहे थे। बता दें कि आशीष अपनी सुरक्षा को लेकर हाईकोर्ट से केंद्रीय बल की मांग कर चुके हैं।
कैलाश विजयवर्गीय की निंदा
 पत्रकार अक्षय सिंह की मौत से जुड़े एक सवाल पर गैरजिम्मेदाराना बयान देने वाले मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की आलोचना हो रही है। कैलाश ने एक सवाल के जवाब में कहा था, “पत्रकार-वत्रकार छोड़ो, आज हमसे बड़ा पत्रकार है क्या?” कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कैलाश के इस बयान की निंदा करते हुए कहा कि उन्हें देश से माफी मांगना चाहिए। बाद में कैलाश ने अपनी सफाई में कहा कि उनके बयान को गलत संदर्भ में लिया गया। कैलाश ने कहा, अक्षय मेरे परिचित थे और उनकी मौत दुखद है। कैलाश ने कहा कि उनके बयान को मीडिया के एक सेक्शन ने गलत तरीके से पेश किया। बता दें कि कैलाश ने ही अक्षय की मौत का कारण हार्ट अटैक बताया था।
अमित शाह से मिले कैलाश विजयवर्गीय
अक्षय सिंह की मौत पर दिए गए बयान पर हो रही निंदा के बीच कैलाश विजयवर्गीय ने सोमवार दोपहर दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की। हालांकि दोनों के बीच क्या बातचीत हुई इसके बारे में जानकारी नहीं मिल सकी।
मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने करियर के सबसे मुश्‍किल दौर से गुजर रहे हैं। यह वक्‍त उनके लिए 2007 से भी ज्‍यादा मुश्किल है। तब चौहान ‘डंपर स्कैम’ के घेरे में आ गए थे। आरोप था कि उनकी पत्नी साधना सिंह ने कंस्ट्रक्शन सेक्टर में इस्तेमाल किए चार स्पेशल ट्रक 2 करोड़ में खरीदे और उसे सीमेंट फैक्ट्री को लीज पर दे दिया। हालांकि बाद में इस मामले में उन्हें कोर्ट से क्लीन चीट मिल गई थी।
क्‍यों व्‍यापमं से शिवराज पर आ सकती है बड़ी मुसीबत
डंपर स्कैम में सिर्फ उन पर और उनकी पत्नी पर आरोप लगे थे। लेकिन व्यापमं की आग में अब तक दर्जनों लोग झुलस चुके हैं, आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक इससे जुड़े 25 लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य के गवर्नर के बेटे भी इसमें शामिल हैं और खुद गवर्नर राम नरेश यादव भी आरोपों के घेरे में हैं। व्यापमं देश के सबसे बड़े स्कैंडल में गिना जाने लगा है। करीब 2500 लोगों पर आरोप हैं, 2 हजार गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। कांग्रेस नेता जेपी धनोपिया कहते हैं, “आने वाले दिनों में शिवराज को सीबीआई जांच करवानी ही होगी।’ राजनीतिक विश्लेषक गिरिजा शंकर कहते हैं कि चौहान ने खुद ब्लंडर किया। पुराने सालों में हुए मामलों की जांच शुरू करके। देश के किसी भी हिस्से में ऐसी जांच का आदेश पहले कभी नहीं दिया गया। फिलहाल तो ऐसा नहीं लगता, लेकिन खुद मुख्यमंत्री का बयान कि मैं किसी भी स्थिति के लिए तैयार हूं, यह जरूर बताता है कि सीएम के लिए इस मुश्किल से निकलना आसान नहीं होगा। विपक्षी नेता और एक्टिविस्‍ट्स की ओर से मुख्यमंत्री पर इतनी मौत और इतने बड़े घोटाले की नैतिक जिम्मेदारी लेने का दवाब भी बढ़ता जा रहा है। बीजेपी के कुछ नेताओं को लगता है कि आखिरी फैसला पीएम नरेंद्र मोदी के हाथ में है। चौहान लालकृष्ण आडवाणी के वफादार माने जाते रहे हैं। हालांकि बीते दिनों में उन्होंने मोदी से नजदीकियां बढ़ाने की भी कोशिशें की हैं और अभी तक केंद्र या मोदी की ओर से ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है जिससे लगे कि चौहान की मुश्किल उनकी ओर से बढ़ाई जा रही है।
 

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