हिंदी सम्मेलन में मोदी ने कहा- चाय बेचते-बेचते मैंने सीखी थी हिंदी

कौन सा सम्मेलन | कब से कब तक | किस शहर में हुआ | किस देश में |
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पहला | 10-14 जनवरी 1975 | नागपुर | भारत |
दूसरा | 28-30 अगस्त 1976 | पोर्ट लुई | मॉरिशस |
तीसरा | 28-30 अक्टूबर 1983 | नई दिल्ली | भारत |
चौथा | 2-4 दिसंबर 1993 | पोर्ट लुई | मॉरिशस |
पांचवा | 4-8 अप्रैल 1996 | त्रिनिडाड-टोबेगो | त्रिनिदाद-टोबैगो |
छठा | 14-18 सितंबर 1999 | लंदन | इंग्लैंड |
सातवां | 5-9 जून 2003 | पारामरिबो | सूरीनाम |
आठवां | 13-15 जुलाई 2007 | न्यूयॉर्क | संयुक्त राज्य अमेरिका |
नौवां | 22-24 सितंबर 2012 | जोहानिसबर्ग | दक्षिण अफ्रीका |
पीएम मोदी ने विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि मैं अकसर सोचता हूं कि यदि मुझे हिंदी न आती तो मेरा क्या होता। मोदी ने कहा मैंने तो चाय बेचते-बेचते हिंदी सीखी थी। उन्होंने कहा, ‘मैं जिन लोगों से दूध लेता था, उनसे गाय और भैंस खरीदने-बेचने के लिए यूपी के लोग आते थे, जिनसे अकसर स्टेशन पर मुलाकात होती थी। मैं उनको चाय बेचता था, मुझे हिंदी नहीं आती थी और उन लोगों को गुजराती, लेकिन मैंने हिंदी सीखी।’
मोदी ने हिंदी अपनाने और बचाने की अपील करते हुए कहा कि लुप्त भाषा को पढ़ने में सालों लगते हैं। हमें विरासत को अपनी पीढ़ियों को सौंपना चाहिए। पक्षी-पौधों की तरह भाषा को भी बचाना होगा। मोदी ने कहा कि भाषा की चेतना को नापा नहीं जा सकता। मोदी ने कहा कि पिछले दिनों प्रवासी भारतीय सम्मेलन में विदेश मंत्रालय ने दुनिया भर में भारतीय लेखकों की किताबों को प्रदर्शित किया गया था। मॉरीशस के लोगों ने हिंदी में 150 किताबें लिखी थीं। तब महसूस किया कि दुनिया में वह कैसे हिंदी को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं।
पीएम मोदी ने अपनी कामयाबी को हिंदी से जोड़ते हुए कहा कि मैं समझता हूं कि मुझे हिंदी न आती तो मेरा क्या होता, मेरी मातृभाषा गुजराती है। मुझे इस भाषा की ताकत का अंदाजा है। हमारे देश में हिंदी भाषा का आंदोलन उन लोगों ने चलाया, जिनकी मातृभाषा हिंदी न थी। राजगोपालाचार्य, बोस, गांधी, लोहिया, तिलक ने आंदोलन चलाया। मोदी ने कहा कि गुजरात में दो लोगों में झगड़ा हो जाए तो वह गुजराती में झगड़ा नहीं कर सकते, लड़ाई की शुरुआत करते ही वह हिंदी में ही करते हैं। लोगों को लगता है कि हिंदी बोलूंगा तो लोग ताकत वाला आदमी समझेंगे।
दूसरी भाषाओं के शब्दों को भी जोड़ें
पीएम मोदी ने हिंदी में देश की अन्य भाषाओं के शब्दों और कहावतों को भी शामिल किए जाने की अपील की। उन्होंने कहा कि हमें हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के सम्मेलन आयोजित कराने चाहिए। मोदी ने कहा कि देश की सभी भाषाओं और बोलियों की उत्तम चीजों को हिंदी में शामिल करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मैं सार्वजनिक जीवन में काम करता हूं, मैं तमिलनाडु में वणक्कम बोल दूं तो वहां इसका करंट जैसा प्रभाव होता है, बंगाली से भालो आछी पूछो तो वह खुश हो जाता है। भाषा की यह ताकत है। हर राज्य के पास अपनी मातृभाषा है, उन सभी को जोड़ने का प्रयास करना चाहिए।
विश्व हिंदी सेंटर होगा स्थापित
पीएम मोदी ने कहा कि मैं पिछले दिनों उज्बेकिस्तान गया था। जहां हिंदी से उज्बेक और उज्बेक से हिंदी का शब्दकोश तैयार किया गया है। मोदी ने कहा कि चीन और मंगोलिया में भी हिंदी सीखने वाले मिलते हैं। मंगोलिया में मेरा भाषण हिंदी में हुआ, लेकिन समझने वाले लोग कम नही थे। मोदी ने मॉरीशस में विश्व हिंदी सेंटर शुरू करने की भी बात कही। सेंट्रल एशिया में आज भी बच्चे हिंदी फिल्मों के गीत गाते हैं। दुनिया में करीब छह हजार भाषाएं हैं, जिस तरह से दुनिया तेजी से बदल रही है, अनुमान है कि 2100 आते-आते 90 फीसदी भाषाएं समाप्त हो जाएंगी। अगर ये चेतावनी न समझे और अपनी भाषा के लिए न चेते तो हमें रोना पड़ेगा और भाषा पुरातत्व का विषय हो जाएगी।
प्रेमचंद और रेणु को किया याद
मोदी ने कहा कि हमारे जो साहित्य के महापुरुष हैं, वह हिंदी की प्रेरणा हैं। रेणु को न पढ़ें तो पता नहीं चलता कि बिहार की गरीबी कैसी थी, प्रेमचंद को न पढ़ें तो ग्रामीण जीवन का पता नहीं चलता। पीएम मोदी ने मैथिलीशरण गुप्त और जयशंकर प्रसाद को भी याद किया। उन्होंने अपनी दिये जलाकर यह साहित्य दिया है। भाषा नहीं बचेगी तो हिंदी का साहित्य कैसे बचेगा। आने वाले दिनों में डिजिटल वर्ल्ड बड़ा रोल है। मोदी ने कहा कि जो तकनीक के जानकार हैं, उनका कहना है कि आने वाले दिनों में डिजिटल में अंग्रेजी, चीनी और हिंदी भाषा का दबदबा रहेगा। जो तकनीक से जुड़े हैं, उनका दायित्व है कि वह भारतीय भाषाओं और हिंदी को तकनीक के अनुसार परिवर्तित करें।
ओबामा-पुतिन भी बोलते हैं सबका साथ, सबका विकास
पीएम मोदी ने कहा कि कुछ समय पहले इजरायल में मनाए जाने वाले हेनुका पर्व की हिब्रू भाषा में बधाई दी, जिसका जवाब वहां के पीएम ने मुझे हिंदी मे दिया। मोदी ने कहा कि इन दिनों दुनिया के जिन देशों में मैं जाता हूं, वह एक बात जरूर कहते हैं सबका साथ सबका विकास। ओबामा, पुतिन भी बोलते हैं।
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