अंदर की खबर: कहां गायब थे प्रवीण तोगड़िया, आरएसएस से अदावत की पूरी कहानी?

नई दिल्ली। हिंदूवादी राजनीति के फायरब्रांड नेता प्रवीण तोगड़िया आज रोते हुए दिखे. विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया कल घंटों लापता रहने के बाद रात में एक अस्पताल में भर्ती मिले. तोगड़िया ने कहा कि उनके एनकाउंटर की साजिश रची जा रही है.

लेकिन अब कहानी कुछ और ही निकलकर आ रही है. सूत्र बता रहे हैं कि कल तोगड़िया अपने सहयोगी धीरू कपूरिया के साथ अकेले निकले, कमांडो को साथ नहीं ले गए. धीरू के साथ तोगड़िया दोस्त घनश्याम कपूरिया के घर गए. घनश्याम के घऱ से निकलने के बाद तीनों साथ में किसी काम के लिए बाहर निकले. शाम को प्रवीण तोगड़िया ने कंपकंपी लगने की शिकायत की. घनश्याम ने अपने ड्राइवर निकुल के मोबाइल से 108 इमरजेंसी सर्विस को फोन किया. तोगड़िया ने 108 एंबुलेंस के कर्मचारी को ब्लड प्रेशर चेक नहीं करने दिया. तोगड़िया ने एंबुलेंस वाले को सरकारी अस्पताल के बजाए चंद्रमणि अस्पताल ले जाने को कहा. चंद्रमणि अस्पताल का डॉक्टर तोगड़िया का क्लासमेट रहा है. दोनों ने एमबीबीएस साथ में किया था. घनश्याम, ड्राइवर निकुल और 108 एंबुलेंस के कर्मचारी के बयान दर्ज हो चुके हैं.

प्रवीण तोगड़िया ने मोर्चा खोला तो नेताओं की उनसे मिलने की झड़ी लग गयी. पाटीदार नेता हार्दिक पटेल भी मिलने पहुंचे. सूत्रों की मानें तो तोगड़िया ये मान रहे थे कि उन्हें विश्व हिंदू परिषद से हटाने की साजिश की जा रही थी. आरएसएस को इसके लिए जिम्मेदार बताया जा रहा था. सूत्रों के मुताबिक दिसंबर में भुवनेश्वर में हुए वीएचपी अधिवेशन में तोगड़िया को पदमुक्त करने की बात चली तो तोगड़िया समर्थकों ने हंगामा किया था. वीएचपी के अध्यक्ष पद के लिए आरएसएस ने हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल जस्टिस कोगजे का नाम आगे किया था. बात वोटिंग तक आयी तो हंगामा बढ़ा फिर भैयाजी जोशी ने मध्यस्थता कर मामला शांत किया और तोगड़िया को फिर से अध्यक्ष चुन लिया गया.

जानकारों के मुताबिक बीजेपी से तोगड़िया की नाराजगी की शुरूआत 2002 में उस वक्त हुई थी जब नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री बने. क्योंकि उसके पहले तक गुजरात में तोगड़िया की तूती बोलती थी. अहमदाबाद के वरिष्ठ पत्रकार जनक पुरहित बताते हैं कि पहले ऐसा होता था कि आईपीएस अधिकारी की लंबी लाइन प्रवीण तोगड़िया के बंगले पर रहती थी. सुबह में उनको सलाम मार कर ही ड्यूटी पर जाते थे. ये प्रवीण तोगड़िया को अच्छा लगता था, लेकिन मोदी ने ये सब बंद करवा दिया.

नाराजगी बढ़ी तो किसी ना किसी बहाने तोगड़िया राज्य की मोदी सरकार के खिलाफ बयानबाजी भी करते रहे. वैसे उन्होंने कभी भी नरेन्द्र मोदी का नाम तो नहीं लिया लेकिन इशारा मोदी और बीजेपी के खिलाफ होता था.

तोगड़िया पिछले कुछ समय से गुजरात में किसानों की समस्याओं पर बयानबाजी कर रहे थे. तोगड़िया जिस अमरेली जिले से आते हैं उसमें बीजेपी इस बार के विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पायी है. अमरेली जिला जिस सौराष्ट्र इलाके में आता है वहां भी बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा है.

 

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