अकेले पड़ते केजरीवाल, 6 साल में साथ छोड़ गए 13 करीबी नेता

नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी को अपने विश्वस्त साथियों से लगातार झटका मिल रहा है. कुछ दिनों पहले पूर्व पत्रकार आशुतोष ने पार्टी छोड़ने का ऐलान किया, अब पार्टी संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के एक और अहम साथी आशीष खेतान ने एक्टिव पॉलिटिक्स से ब्रेक का ऐलान किया है. जानिए अब तक किन साथियों ने छोड़ा केजरीवाल का हाथ-

1- आशीष खेतान

AAP नेता आशीष खेतान ने ट्वीट कर कहा है कि अभी मेरा ध्यान पूरी तरह से अपनी लॉ प्रैक्टिस पर है, इसलिए मैं एक्टिव पॉलिटिक्स से दूर हूं. आशीष खेतान पहले ही दिल्ली डायलॉग कमिशन के वाइस चेयरमैन पद से इस्तीफा दे चुके हैं. इनके अलावा केजरीवाल के कानूनी सिपहसालार और नई दिल्ली लोकसभा सीट पर पार्टी के प्रभारी राहुल मेहरा भी लोकसभा चुनाव लड़ने में असमर्थता जता चुके हैं.

2- आशुतोष

आशुतोष ने 2014 में एक टीवी न्यूज चैनल के मैनेजिंग एडिटर के पद से इस्तीफा देकर आम आदमी पार्टी जॉइन की थी. उन्होंने 2014 में ही दिल्ली के चांदनी चौक से चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें बड़ी हार का सामना करना पड़ा था. माना जा रहा था कि आम आदमी पार्टी आशुतोष को राज्यसभा भेज सकती है. लेकिन ऐसा नहीं हो सका. आशुतोष ने ट्वीट कर लिखा कि हर सफर का अंत होता है. आम आदमी पार्टी के साथ मेरा शानदार और क्रांतिकारी सफर आज खत्म हुआ. मैंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने लिखा कि ये फैसला मैंने निजी कारणों से लिया है.

3- शांति भूषण

आम आदमी पार्टी को सबसे पहले चंदा देने वाले पूर्व कानून मंत्री सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील शांति भूषण थे. शांति भूषण ने पार्टी की स्थापना पर 1 करोड़ रुपए का चंदा दिया था. हालांकि, 2014 से ही उनका आप से मोहभंग हो गया था. उन्होंने केजरीवाल पर अनुभवहीन, दिल्ली विधानसभा चुनावों में टिकट बंटवारे में गड़बड़ी, पार्टी में मनमानी चलाने जैसे कई आरोप लगाए थे. शांति भूषण पार्टी का साथ छोड़ने वाले सबसे पुराने लोगों में से थे.

4- प्रशांत भूषण

एक समय में पार्टी के थिंक टैंक का अहम हिस्सा रहे और कानूनी मोर्चे पर पार्टी की कमान संभालने वाले प्रशांत भूषण अब पार्टी के साथ नहीं हैं. यूपीए शासन के घोटालों में उनकी शिकायतों पर पार्टी ने काफी सुर्खियां बटोरीं. 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले उन्होंने केजरीवाल पर टिकट बंटवारों में मनमानी का आरोप लगाया. उन्हें पार्टी की पीएसी, राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति से बाहर करने के बाद पार्टी से भी बाहर कर दिया गया. फिलहाल वह ‘स्वराज अभियान’ के साथ जुड़े हैं.

5- योगेंद्र यादव

राजनीतिक विचारक योगेंद्र यादव का भी आम आदमी पार्टी की स्थापना में अहम रोल रहा. योगेंद्र पार्टी के लिए चुनावी रणनीति बनाने में अहम भूमिका निभाते थे. हालांकि, उन्हें भी प्रशांत भूषण के साथ, पार्टी विरोधी गतिविधिय़ों के आरोप में पार्टी से निकाल दिया गया. फिलहाल वह प्रशांत के साथ ‘स्वराज अभियान’ का गठन करते किसानों के मुद्दे को उठा रहे हैं.

6- आनंद कुमार

समाजशास्त्री आनंद कुमार ने भी योगेंद्र और प्रशांत के साथ ही भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में हिस्सा लिया था. वह आम आदमी पार्टी के साथ शुरुआत से जुड़े थे. उन्होंने पार्टी की ओर से उत्तरी-पूर्वी दिल्ली से लोकसभा चुनाव लड़ा था और दूसरे नंबर पर रहे थे. उन्हें भी पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में आप से बाहर निकाला गया. फिलहाल वह अध्यापन कर रहे हैं.

7- अंजली दमानिया

पेशे से पैथोलॉजिस्ट रहीं अंजली दमानिया अरविंद केजरीवाल के साथ भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के समय से ही जुड़ गई थीं. वह महाराष्ट्र में आप की संयोजक भी रहीं. उन्होंने आरटीआई के जरिए 2011-2012 में कोंडाने बांध के घोटाले का खुलासा किया. 2012 में उन्होंने तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी पर एनसीपी नेता शरद पवार के साथ मिलकर बिजनेस करने का आरोप लगाया. वह 2014 में पार्टी की ओर से नागपुर से लोकसभा चुनाव भी लड़ीं, पर हार गईं. 2015 में अरविंद केजरीवाल पर कांग्रेसी सांसदों को खरीदने का आरोप लगा तो उन्होंने पार्टी छोड़ दी.

8- मयंक गांधी

सामाजिक कार्यकर्ता मयंक गांधी और अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में साथ आए थे. इस दौरान वह आंदोलन की कोर कमेटी के 24 सदस्यों में शामिल थे. इसके बाद वह आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल भी रहे. केजरीवाल से मतभेद होने तक वह महाराष्ट्र में पार्टी प्रमुख भी रहे. उन्होंने प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को पार्टी से बाहर करने पर भी सवाल खड़े किए थे. उन्होंने केजरीवाल पर ईमानदारी की राजनीति से पीछे हटने, कार्यकर्ताओं का इस्तेमाल करके उन्हें छोड़ देने और राजनीति में रुचि खत्म होने का हवाला देकर पार्टी से इस्तीफा दे दिया.

9- किरन बेदी

किरन बेदी भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल आंदोलन का बड़ा चेहरा थीं. केजरीवाल उन्हें अपनी बड़ी बहन मानते थे. राजनीति में आने के बाद केजरीवाल और बेदी में दूरियां बढ़नी शुरू हुईं. एक समय खूबसूरत रहा यह रिश्ता दिल्ली विधानसभा चुनावों में अपने सबसे बुरे दौर में आया जब दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के खिलाफ कई बार तल्ख बयान दिए.

10- शाजिया इल्मी

शाजिया इल्मी पत्रकारिता से अन्ना आंदोलन में आई थीं. इसके बाद वह आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी रहीं. वह आम आदमी पार्टी के चर्चित चेहरों में से एक थीं. 2014 के लोकसभा चुनावों में पार्टी की करारी हार के बाद शाजिया ने न सिर्फ पार्टी छोड़ी बल्कि केजरीवाल पर आतंरिक लोकतंत्र नहीं बनाने का आरोप लगाया. इन दिनों शाजिया बीजेपी में हैं.

11- विनोद कुमार बिन्नी

आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार में सबसे पहले विरोध की आवाज विनोद कुमार बिन्नी ने उठाई थी. बिन्नी आप के टिकट पर लक्ष्मीनगर से चुनाव जीते थे. आप में आने से पहले वह दो बार निर्दलीय चुनाव भी लड़ चुके थे. दिसंबर 2013 में वह मंत्रालय बंटवारे से नाखुश हुए थे. इसके बाद उन्होंने पार्टी पर अपने सिद्धांतों से हटने का आरोप लगाया. जनवरी 2014 में उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया. जनवरी 2015 में वह बीजेपी में शामिल हो गए.

12- कपिल मिश्रा

दिल्ली की आप सरकार में जल संसाधन मंत्री रहे कपिल मिश्रा से मई 2017 में उनका मंत्रालय ले लिया गया था. उन्हें पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी निलंबित कर दिया गया था. तब मिश्रा ने पार्टी छोड़ने की धमकी दे रहे कुमार विश्वास का साथ दिया था. मंत्रालय छिनने के बाद मिश्रा ने दावा किया था कि उन्होंने मुख्यमंत्री को एक शख्स से 2 करोड़ रुपए रिश्वत लेते देखा है. उन्होंने केजरीवाल सरकार पर कई घोटालों के आरोप भी लगाए थे और लगातार वे सवाल खड़े कर रहे हैं.

13- एमएस धीर

एमएस धीर AAP सरकार के पहले कार्यकाल में विधानसभा अध्यक्ष थे. यही धीर एक साल बाद हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए. दिल्ली में सिख समुदाय की संख्या देखते हुए धीर का जाना AAP के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा था. हालांकि धीर भी चुनाव हारे लेकिन केजरीवाल ने अपना एक सहयोगी तो खोया ही.

इन सबके अलावा कुमार विश्वास भी लगातार अरविंद केजरीवाल पर अप्रत्यक्ष तौर से हमला बोलते रहते हैं. हालांकि, वह अब भी पार्टी में ही बने हुए हैं.

 

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