अखिलेश और मायावती के कार्यकाल में जितना निवेश हुआ, उससे अधिक का शिलान्यास एक साथ करा रही है योगी सरकार

पीएम मोदी आज फिर लखनऊ में, 60 हजार करोड़ के निवेश प्रोजेक्ट का करेंगे शिलान्यास

लखनऊ। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मायावती के कार्यकाल में जितना निवेश हुआ, योगी सरकार उससे अधिक का शिलान्यास एक साथ करा रही है। वह भी डेढ़ वर्ष का कार्यकाल पूरा होने से पहले। प्रधानमंत्री रविवार को 60 हजार करोड़ की 81 परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे। इससे दो लाख से अधिक युवाओं को रोजगार मिलेगा।

निवेश व रोजगार को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर फरवरी में हुए इन्वेस्टर्स समिट से ही चल रहा है। पर, योगी सरकार ने पहले शिलान्यास समारोह के लिए 60 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट को ही क्यों चुना, इसके पीछे की रणनीति बिल्कुल साफ है।

आयोजन की तैयारियों से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पांच वर्ष के कार्यकाल में 50,187.89 करोड़ जबकि मायावती के पांच वर्ष के शासनकाल में 57,545.27 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब एकमुश्त 60,228 करोड़ की निवेश परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे तो योगी सरकार दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों से काफी आगे नजर आएगी। अत: इस शिलान्यास समारोह से ही विपक्षी नेताओं को जवाब मिल जाएगा।

पहले कम राशि के प्रोजेक्ट का होना था शिलान्यास

सूत्रों ने बताया कि अधिकारियों ने पहले 54,335.63 करोड़ के 64 प्रोजेक्ट के शिलान्यास की योजना बनाई थी। बाद में इसे बढ़ाकर 74 प्रोजेक्ट और 56,864.3 करोड़ का किया गया। मगर, मुख्यमंत्री ने जब समीक्षा की तो उन्होंने 60 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट शामिल करने के निर्देश दिए। यह राशि उनके पूर्ववर्ती मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल से अधिक है।

बताया जाता है कि जब अधिकारियों ने आंकड़ों का मिलान किया तो मुख्यमंत्री की रणनीति समझ में आई। इसके बाद 60,228.24 करोड़ के 81 निवेश प्रोजेक्ट शिलान्यास के लिए तय किए गए।

कार्यकाल पूरा होने से पहले तैयार हो जाएंगे प्रोजेक्ट
जानकार बताते हैं कि जिन परियोजनाओं का शिलान्यास मोदी कर रहे हैं उनमें ज्यादातर एक दो वर्ष में पूरे हो जाएंगे। कुछ में तीन साल से अधिक का समय लगेगा लेकिन, वे भी योगी सरकार का कार्यकाल पूरा होते-होते चालू हो जाएंगे। योगी इसे बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश कर सकते हैं। इस वर्ष की समाप्ति से पहले सरकार इन्वेस्टर्स समिट में किए गए एमओयू से जुड़े निवेश प्रोजेक्ट का कम से कम दो शिलान्यास समारोह और आयोजित करना चाहती है।

पिछली सरकारों में निवेश को लेकर मुख्य फोकस आखिरी वर्षों में दिखता था, जबकि योगी सरकार ने पहले साल से ही इसे अपने एजेंडे में रखा। उद्योग बंधु के आंकड़ों की मानें तो अखिलेश यादव के पांच वर्ष में सर्वाधिक निवेश आखिरी वर्ष 2016-17 में 15,382.17 करोड़ हुआ। इसी तरह बसपा सरकार में पांच वर्ष का लगभग आधा निवेश आखिरी वित्त वर्ष 2011-12 में दर्ज है।

एक साथ कभी नहीं हुआ इतनी परियोजनाओं का शुभारंभ

बताया जा रहा है कि इससे पहले प्रदेश के 24 जिलों को एक साथ कवर करने वाली अलग-अलग निवेश परियोजनाओं का शुभारंभ कभी नहीं किया गया। 21 और 22 फरवरी के इन्वेस्टर्स समिट से प्रदेश में निवेश की जो उम्मीद बंधी थी, छह महीने से भी कम समय में यह महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में सामने आ रही है।

इन कामों व उपलब्धियों से भी उम्मीद बढ़ी

– ईज ऑफ डुइंग बिजनेस में 92.87 प्रतिशत नंबर केसाथ पिछले वर्ष की अपेक्षा बेहतर प्रदर्शन
– इन्वेस्टमेंट फ्रेंडली माहौल के लिए ऑनलाइन सिंगल विंडो सिस्टम। यह सुविधा देने वाले देश के टॉप 5 राज्यों में यूपी शामिल।

– कर प्रक्रिया के सरलीकरण और औद्योगीकरण के लिए भूमि उपलब्धता व आवंटन में टॉप-5 राज्यों में शामिल।
– ऑनलाइन यूटिलिटी परमिट और उद्योगों को सरल व सहज पर्यावरण क्लीयरेंस देने वाले पांच शीर्ष राज्यों में शामिल।

– प्रोजेक्ट लगाने पर नीतियों के अनुसार प्रतिपूर्ति केलिए बजट में प्रावधान।
– पिछली सरकार में निवेश करने वाले उद्यमियों को सुविधाएं व वित्तीय प्रतिपूर्ति जारी रखना।

 

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