अखिलेश जी देखिये, काम ऐसे बोलता है

राजेश श्रीवास्तव
इन दिनों सूबे में योगी सरकार का बोलबाला है। हालांकि अभी सरकार बने केवल छह दिन ही हुये हैं। लेकिन योगी सरकार का जादू आम आदमी के सिर चढ़कर बोलने लगा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन छह दिनांे में न कोई प्रेसवार्ता की है और न ही कोई सार्वजनिक भाषण दिया है। और तो और उन्होंने अभी तक मीडिया के किसी भी चैनल या किसी भी अखबार को अपना कोई साक्षात्कार ही दिया है। लेकिन फिर भी सारे अखबारों की सुर्खियां और चैनल की हेडलाइन से लेकर स्टोरी तक में योगी का काम बोल रहा है। यह हाल तब है जब सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने अभी तक अपने सरकारी आवास में कदम तक नहीं रखा है।
पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपना इस्तीफा देने से पूर्व अपनी अंतिम प्रेसवार्ता में कहा था कि मेरी सरकार का काम तब तक बोलेगा जब तक भाजपा की सरकार इससे ज्यादा काम न कर के दिखा दे। उन्होंने यह भी कहा था कि शायद जनता को मेरी सरकार से भी ज्यादा काम चाहिए। उन्होंने तंज भी करते हुए कहा था कि शायद जनता को मेट्रो नहीं बुलेट ट्रेन चाहिए। लेकिन तब उन्हें अंदाजा नहीं रहा होगा कि जनता को जो विकास चाहिए वह उसे समझ नहीं पा रहे। हालांकि अभी यह समय मुफीद नहीं है किसी भी सरकार के काम के मूल्यांकन का। किसी भी सरकार के कामकाज की समीक्षा कम से कम पांच-छह महीने बाद ही की जानी चाहिए। लेकिन यह कामकाज की समीक्षा नहीं बल्कि उसके आगाज की समीक्षा है। जिस तरह योगी सरकार ने अपने सरकार के शुरुआती दिनों के कामकाज का जो संदेश दिया है वह निश्चित रूप से सराहनीय है। जबकि अभी तक न तो कैबिनेट की एक भी बैठक हुई है। फिर भी सारे अधिकारी और कर्मचारी सुबह साढ़े नौ से शाम सात बजे तक अपने कार्यालय में मिल रहे हैं। जो कार्यालय अखिलेश राज में दोपहर बारह बजे तक खाली पड़े रहते थ्ो वहां अब हर कुर्सी सुबह से ही भरी दिखती है। अधिकारियों की छोड़िये लगभग हर मंत्री अपने विभाग में सुबह साढ़े नौ बजे ही धमक पड़ता है। पूरे दिन विभाग में रहना उसकी आदत में शुमार होता जा रहा है। किसी को अपने मंत्रियों को ढूंढ़ने के लिए उसके घर पर दरबार करने की जरूरत नहीं पड़ रही।
थानों पर सिपाही, इंस्पेक्टर की मौजूदगी, मंत्रियों की कार्यालय में अधिकारी की आफिस में और डाक्टर की मौजूदगी अस्पताल में हो इससे बेहतर आम जनता के लिए क्या हो सकता है। जनता को सुखद एहसास सिर्फ सरकार के कामकाज से ही होता है न कि किसी सरकार के बार-बार कहने से कि उसका काम बोलता है। क्योंकि काम तो अपने आप बोलता है, उसके लिए किसी नारे, भाषण या कहने की आवश्यकता नहीं पड़ती। जिस तरह राजधानी के 1०9० चौराहे की स्थिति कर दी गयी थी कि महिला सुरक्षा के नाम पर खुले वीमेन पावर लाइन के मुख्यालय की नाक के नीचे ही बीच चौराहे पर युगल सारी चुहलबाजियां किया करते थ्ो, वह सब मात्र तीन दिन में ही बंद हो गया। क्या यह हर परिवार के लिए सुखद संदेश नहीं है। लगभग हर पार्क चाहे रेजीडेन्सी हो, लोहिया पार्क हो, रिवर फ्रंट हो या फिर 1०9० हर जगह युगल उल्टी-सीधी हरकत करते दिख जाते थ्ो। स्थिति तो यह हो गयी कि इन जगहों पर परिवार के सदस्यों ने आना-जाना बंद कर दिया था। लेकिन आज सब स्थितियां बदली हुई हैं। अब पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश को यह तो समझ ही आ रहा होगा कि काम कैसे बोलता है।

 

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