अखिलेश मेरे बेटे जैसे, मुझसे सीखना चाहिए: शिवपाल

shivpalलखनऊ। एसपी के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री पद बड़ी जिम्मेदारी होती है। इस पद पर बैठे व्यक्ति को घमंडी नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मैंने बहुत सीएम देखे हैं। मुख्यमंत्री की कुर्सी मिलते ही उनमें अहम आ जाता है। अखिलेश के पास अनुभव की कमी है। उन्हें मेरे और नेता जी के अनुभव का लाभ उठाकर सीखना चाहिए।’ शिवपाल ने कहा, ‘सीएम पद पर बैठने की उनकी कोई इच्छा नहीं है। वह इस पद के लिए अखिलेश का पूर्ण रूप से समर्थन करते हैं। नेता जी ने मुझे बहुत कुछ दिया। मैं आज जहां हूं, उनकी वजह से ही हूं, मैं इस बारे में कभी सोच भी नहीं सकता था।’

‘अखिलेश मेरे बेटे जैसे’
शिवपाल ने गोमती नगर के होटल में प्राइवेट चैनल के कार्यक्रम में कहा कि 4 साल की उम्र से मैंने अखिलेश को पाला है। जब तक वह पढ़े, हमारे साथ ही रहे। वह मेरे बेटे जैसे हैं। मुझे किसी बात से कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा कि वह तो कभी एमएलए बनेंगे, यह भी नहीं सोचा था। उन्होंने नौकरी की, खेती की और नेताजी का काम किया। 2012 में जब हमारी सीटें आईं तो हमने अखिलेश को सीएम बनाने का प्रस्ताव रखा। 2017 में भी जब हमारी संख्या आएगी तो हम फिर यही प्रस्ताव रखेंगे।

‘अमर सिंह से दिक्कत नहीं’
शिवपाल ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि अमर सिंह से किसी को दिक्कत होनी चाहिए। वह परिवार का नुकसान नहीं करेंगे। बीच वाले तो अखिलेश के इर्द-गिर्द भी हैं। अपना दिमाग लगाना चाहिए। टिकट बांटने का अधिकार केवल नेताजी का है। हम तो अपनी बात बताते हैं। 2012 में बीएसपी शासनकाल में भी तमाम संघर्ष नेताओं ने किया। मुझे पहले भी प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया गया था, लेकिन मैंने अखिलेश का स्वागत किया।’

‘समझदारी भरे कदम उठाएं’
शिवपाल ने अखिलेश को और समझदारी भरे कदम उठाने की नसीहत दे डाली। सीएम ने जिस तरह से इस पूरे विवाद में ‘बाहरी व्यक्ति’ की बात कही थी, उसके बाद शिवपाल यादव ने कहा, ‘कुछ लोग तो सीएम के इर्द-गिर्द भी रहते हैं। कुछ यहां भी बैठे हो सकते हैं, जो उन्हें वॉट्सएप कर रहे होंगे, लेकिन हमें समझदारी दिखानी चाहिए। पढ़ाया-लिखाया इसीलिए जाता है। जब सभी के लिए नेताजी ही सर्वमान्य हैं तो फिर विवाद क्यों? कुछ गलतफहमियां थीं, जो सामने बैठकर दूर हो गई हैं। हमने अपनी तकलीफ नेताजी को कह दी थी। उन्होंने बात सुन ली है। जो फैसला कर देंगे, मान लिया जाएगा।’

सब नेताजी की मंशा से
शिवपाल ने कहा कि पार्टी में हर काम मुलायम की इच्छा से होता है। कौमी एकता दल के विलय की बात भी मुलायम की इच्छा से आई थी। बाद में उन्होंने फैसला बदला तो वह वापस हुआ। अमर भी पार्टी में आए तो बिना नेताजी की मर्जी के नहीं आए। उनकी ही इच्छा थी। सब उनकी इच्छा से ही होगा।

 

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