अजमेर के मॊईनुद्दीन चिश्ती के अनुयायियों के “वंशजों” के घिनोने कांड: हिन्दू लड़कियों का सामूहिक बलात्कार किया जाता था

ख्वाजा मॊईनुद्दीन चिश्ती के अजमेर दरगाह पर करोड़ों के तादात पर लॊग आते हैं। उनमें से ज्यादा लोग हिन्दु ही हैं। लेकिन “शरीफ़ों” के दरगाह पर कितनी बेशर्मी के काम किये गये हैं ये आप नहीं जानते होंगे। मॊईनुद्दीन चिश्ती के “वंशजों” के घिनोने पाप के बारे में आप को अंदाज़ा भी नहीं होगा। दरगाह के “रखवाले” जिन्हे “खादिम” कहा जाता है, सीधे तौर पर “मोईनुद्दीन चिश्ती” के अनुयायियों के वंशज हैं, ने अनगिनत ‘हिन्दू’ लड़कियों का सामूहिक बलात्कार किया था। बच्चियों के आपत्तीजनक तसवीरें खींच कर, वीडियो बनाकर और लड़कियों को लाने के लिये उन लड़कियों  को डराया-धमकाया करते थे।

1992 में, राजस्थान के अजमेर के छोटे से शहर में एक शर्मनाक घटना सामने आया जिसने पूरे देश का सर शर्म से झुका दिया था। शायद बहुत लोगों को इस बात का पता नहीं है कि अजमेर के “पाक” जगह पर कितने “नापाक” और घिनौने अपराध हुए हैं। 1992 में “नवज्यॊती” पत्रिका ने सबसे पहले इस बलात्कार कांड का पर्दा फाश किया था। पत्रिका के संपादक दीनबंधु चौधुरी के सूझ बूझ और बहादुरी के कारण यह घिनौना कांड पहली बार जनता के सामने आया। लॊगों के पैरॊं तले ज़मीन खिसक गयी और लोग सड़कों पर उतर आये।

आपको जानकर हैरानी होगी कि स्थानीय प्रशासन को इस गिरॊह और कांड के बारे सब कुछ मालूम था लेकिन प्रशासन हाथ पर हाथ धर कर बैठा हुआ था। गिरॊह का सीधा संबंध “कांग्रेस”के साथ था। कॊई पप्पू को यह बात बताओ कि उसकी अपनी कांग्रेस के दामन में महिला से बलात्कार का दाग है। जब यह मामला सामने आया तो इसे दबाने की कॊशिश किया गया। कहा गया कि यह सांप्रदायिक दंगों को भड़का सकता है! क्यों कि बलात्कार पीड़ीताएं हिन्दु लडकियां थीं और बलात्कार करने वाले मुस्लिम लड़के थे जो अजमेर दरगाह के खादिम थे। इस घटना को दबाने की कॊशिश इसलिये भी किया गया कि अजमेर की “छवी” खराब न हो क्यों कि वहां जाने वाले लोग हिन्दू ही हैं।

करोड़ों हिन्दू आज भी अजमेर दरगाह पर सजदा करने जाते हैं। यह जानते हुए भी कि पृथ्विराज की पत्नी संयॊगिता का सामूहिक बलात्कार करवाने में मॊईनुद्दीन का ही हाथ था। उसी चिश्ती के अनुयायियों के वंशजों ने अजमेर में हिन्दू लड़कियों से बलात्कार किया था उनकी गरिमा को चॊट पहुंचाई थी। फिर भी नपुंसक हिन्दू उस दरगाह पर माथा ठेकते हैं। दरगाह के खादिम जिन्होंने हिन्दू लड़कियों का सामूहिक बलात्कार किया था उनमें से मुख्य आरॊपी था फारूक चिश्ती जो की “युवा कांग्रेस नेता” था। करीब 18 लोगों का गिरॊह यह घिनोना काम करता था।

नफीस चिश्ती और अन्वर चिश्ती युवा कांग्रेस के उपाध्यक्ष थे। सुहैल चिश्ती, जो पिछले 26 साल से फरार था, इसी साल 15 फरवरी को राजस्तान पुलिस के सामने आत्म समर्पण किया है। 1998 में इस गिरॊह के अन्य आरोपी मॊईजुल्लाह, इशरत अली, शंशुद्दीन और सलीम चिश्ती को गिरफ़्तार कर केस डाला गया था लेकिन उन सभी के आजिवन कारवास को कॊर्ट ने नकारा और उनमें से चार लोगों को बा इज़्ज्त बरी कर दिया गया। और यह उस वक्त हुआ जब केन्द्र में यूपीए की सरकार थी। 2001-2012 के बीच में लगभग सभी आरॊपियों की सज़ा या तो कम करवाई गयी या उन्हें बरी कर दिया गया। इस गिरॊह का मुख्य आरॊपी अलमास महाराज अभी भी फरार है और माना जाता है अमरीका में बसा हुआ है।

अजमेर दरगाह के चिश्तियों के इस शर्मनाक कांड के बाद अजमेर की सभी लड़कियों को शर्म और अवमान जनक जीवन जीना पड़ा। कईयों ने तो आत्महत्या कर ली। लोग अजमेर की लड़कियों को घृणा की नज़र से देखने लगे। यहां तक कॊई इनसे शादी करने को तयार नहीं था। पत्रिकाओं के संपादक उनकी आपत्तीजनक तस्वीरॊं को छापने की धमकी देकर लड़कियों के परिवार से पैसा ऐंठते थे। लड़कियों का जीना मुश्किल हो गया था। यह बलात्कार कांड UK के Rotherham कांड के जैसा ही था जहां मुस्लिम लड़कों का गिरोह नाबालिग लड़कियों से सामूहिक बलात्कार करती था। उन मुसलमानों में 80% लोग पाकिस्तानी थे।

जिस दरगाह का इतिहास ही घिनोना हो उस दरगाह के वंशजों से अच्छाई की उम्मीद कैसे किया जा सकता है? बेशर्म और स्वाभिमान शून्य तो वो हिन्दू हैं जो इन दरगाहों पर सजदा करने जाते हैं। पता नहीं हिन्दुओं की अकल कब ठिकाने आयेगी। भारत में इस्लाम या मुसलमानों के बारे में कुछ कहा जाये तो लोकतंत्र खतरे में आ जाता है। लेकिन इन घटिया लोगों के कारण हिन्दू लड़कियों और महिलाओं के इज़्जत और स्वाभिमान पर चॊट पहुंचती है उसका क्या? इस देश में हिन्दुओं को न्याय कब मिलेगा?

 

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