अपने कॅरियर के सवालों के साथ भावुक अखिलेश से भविष्य को सहेजते ‘बेफिक्र’ अखिलेश

tahalka3_1_2लखनऊ। शाम 6.40 का वक्त। चर्चाओं के अनुसार इससे भी करीब एक घंटे पहले सीएम अखिलेश यादव को 5 विक्रमादित्य मार्ग पर मुलायम और शिवपाल के साथ एक और बैठक के लिए मौजूद रहना था। उस समय सीएम 5 कालिदास मार्ग पर अपने आवास में थे। बाहर हौसला बढ़ाते जुनूनी कार्यकर्ताओं का हुजूम था। दम तोड़ती उम्मीदों के लिए आखिरी सांस की आस लगाए फरियादी भी थे। अचानक अंदर से इशारा हुआ और बंद दरवाजे सबके लिए खुल गए। अगले 40 मिनट तक पार्टी के अंदर चल रही सियासत से इतर सीएम जनता के दर्द के साझेदार बन गए। कार्यकर्ताओं के जख्म के ‘मरहम’ बने और साथ ही यह कहना नहीं भूले ‘कबीर’ को सुनना चाहिए।

सीएम ने जनता दर्शन इसी महीने की शुरूआत में बंद किया है। हालांकि, सोमवार की शाम का सीएम आवास का नजारा कुछ ऐसा ही रहा। सभागार जिसमें कुर्सियां मंच की ओर होती थीं उनकी दिशा आमने-सामने हो गई और बीच में गलियारा बन गया। सैकड़ों समर्थकों और फरियादियों से चंद मिनट में ही कुर्सियां भर गईं। इस अप्रत्याशित बुलावे का रोमांच और जोश भी सभागार में दिखा। अखिलेश हर कुर्सी तक गए। किसी का हौसला बढ़ाया, किसी को चुनाव में लगने को कहा। कहीं फरियाद सुनी तो बहुतों की फोटो खिंचाने की ख्वाहिश भी लगे हाथ पूरी की। दोपहर को सपा कार्यालय में अपने कॅरियर के सवालों के साथ भावुक अखिलेश से इतर शाम को जनता के बीच भविष्य को सहेजते ‘बेफिक्र’ अखिलेश नजर आए।

हाल में बैठे एक महिला पर नजर पड़ते ही सीएम ठिठक गए। कहा, ‘अरे तुम्हारी तो अभी अखबार में फोटो आई थी।’ महिला बिलख पड़ी। सीएम पास पहुंचे तो पता चला कि उनकी पहल के बाद भी उस तक मदद नहीं पहुंच सकी थी। दरअसल वह प्रतापगढ़ के पट्टी तहसील के कोनी गांव की रहने वाली सोनपती थी। सीएम ने उनके इलाज के लिए 4 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी थी। चेक पोस्ट से जब उनके घर पहुंचा तो पोस्टमैन कुछ पैसे मांगे। देने से मना किया तो उसने रिपोर्ट लगा दी कि फरियादी की मौत हो चुकी है। अब वह दुबारा अपनी समस्या लेकर सीएम के पास आई थी। सीएम ने प्रमुख सचिव सूचना नवनीत सहगल से कहकर वहां के डीएम को निर्देश जारी करवाए। समस्याओं के प्रार्थनापत्र रहें हो कार्यकर्ताओं के सिफारिशी लेकर ओएसडी के बजाय सीएम ने उन्हें खुद लिया। जिन्होंने मौखिक समस्याएं बताई उनको जहां जरूरी लगा कागज उपलब्ध कर लिखित प्रार्थनापत्र भी लिखवाए।

जनता दर्शन में पहुंच गए कुछ पत्रकारों से भी सीएम अनौपचारिक तौर पर मुखातिब हुए। हल्के मूड में कहा ‘आम दिन होता तो तुम लोगों को बिस्किट-पानी जरूर पिलाता लेकिन आज लोग कहने लगेगें कि यहां से खबरें चल रही हैं।’ जब पार्टी संकट पर उनसे सवाल पूछा गया तो हाल में बज रही कबीरवाणी की इशारा कर दिया कहा ‘इसे सुनो इसी में सब समस्या का हल है।’ पूछा गया बर्खास्त मंत्रियों को वापस लेंगे, उन्होंने एक फरियादी के अप्लीकेशन की ओर इशारा कर कहा ‘अभी इस पर ध्यान है।’ सवाल और बढ़े तो कहा, सब ठीक है। कहीं कोई दिक्कत नहीं है। यह हुआ कि अंदर चाचा (शिवपाल) बैठे हैं तो मुस्कराते हुए बोले ‘जनता से मिल लूं, उनसे भी मिलने जा रहा हूं।’ जाते-जाते अमिताभ बच्चन का डायलाग याद कर मीडिया की चुटकी ली ‘होता कुछ है, कहते कुछ हैं और दिखता कुछ है।’
 

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