अपने दम पर त्रिपुरा जीत लेंगे योगी आदित्यनाथ, मोदी की जरूरत नहीं पड़ेगी

सियासत का असली रंग देखना हो तो चुनाव के समय देखना चाहिए. कहा जाता है कि सियासत तो केवल चुनावों के समय होती है, बाकी के समय तो संगठन के काम होते हैं। इस लिहाज से देखें तो पिछला साल बीजेपी के नाम रहा, जिस ने 6 राज्यों के चुनाव में सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की, मणिपुर और गोवा में कम सीटों के बाद भी सरकार बनाने में सफलता मिली, ये बीजेपी की रणनीति और सियासी कामयाबी है। अब नए साल में फिर से चुनावी बिसात बिछने लगी है। इस साल भी कई राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, बीजेपी के लिए ट्रम्प कार्ट हमेशा की तरह नरेंद्र मोदी होंगे, लेकिन एक राज्य ऐसा है जो यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ अपने दम पर जीत सकते हैं।

योगी आदित्यनाथ बहुत तेजी से राजनीति की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं, यूपी की सत्ता संभालने के बाद से वो राष्ट्रीय नेता बनने की ओर अग्रसर हैं। खास तौर पर बात करें त्रिपुरा विधानसभा चुनाव की तो ये योगी के लिए बहुत आसान होगा, इसका कारण भी है। त्रिपुरा में नाथ संप्रदाय का बोलबाला है। 2011 की जनसंख्या के मुताबिक त्रिपुरा की कुल आबादी लगभग 37 लाख है, इनमें से 13 लाख लोग नाथ संप्रदाय के हैं, ये वही संप्रदाय है जो योगी ने अपनाया है, त्रिपुरा के लोगों में इस बात को लेकर गर्व है कि उनके संप्रदाय के एक धर्मगुरू देश के सबसे बड़े सियासी सूबे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। इसका फायदा निश्चित तौर पर बीजेपी को मिल सकता है।

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की एक अपील बीजेपी के लिए वोटरों की भीड़ खड़ी कर सकती है, यही कारण है कि कहा जा रहा है कि त्रिपुरा में ढाई दशक पुरानी वामपंथी सरकार को उखाड़ फेंकने के मिशन में योगी बीजेपी के लिए तुरुप का पत्ता साबित हो सकते हैं। केवल नाथ संप्रदाय की ही बात नहीं बल्कि योगी तेजी से बीजेपी के उन नेताओं मेंं शुमार हो रहे हैं जिनकी राष्ट्रीय अपील है, गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव में योगी की स्टार वैल्यू सभी ने देखी, कर्नाटक के लिए वो अभी से जोर लगा रहे हैं. एक तरह से मोदी के बाद योगी ही ऐसे नेता हैं जो हिंदुत्व की राजनीति को नए मुकाम पर ले जा रहे हैं। ऐसे में त्रिपुरा में तो योगी बीजेपी के सबसे बड़े हथियार हैं।

बता दें कि त्रिपुरा मं गोरक्षनाथ के दो मंदिर हैं, एक अगरतला में है तो दूसरा धर्मनगर में हैं। एक तिहाई आबादी नाथ संप्रदाय को फॉलो करती है। खास बात ये है कि योगी पूरे देश में नाथ संप्रदाय के प्रमुख हैं। उनके गुरू योगी अवैद्यनाथ दो बार त्रिपुरा आ चुके हैं। त्रिपुरा में नाथ संप्रदाय को मानने वाले ओबीसी वर्ग में आते हैं. लेकिन उन्हें ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है. ऐसे में अघर योगी नाथ संप्रदाय के लोगों को ओबीसी आरक्षण का भरोसा दिलाते हैं तो नाथों का एक एक वोट बीजेपी को मिल सकता है। राज्य के कई लोग मानते हैं कि योगी के आने से बहुत फर्क पड़ जाएगा, सवाल ये उठता है कि पहले भी तो योगी नाथ संप्रदाय में थे, लेकिन पहले के चुनावों में बीजेपी को फायदा नहीं दिला पाए, तो इसका जवाब ये है कि पहले योगी सांसद थे, अब वो एक बड़े प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, जिस से नाथ संप्रदाय के लोगों में गर्व है।

 

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