अब चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया नाराज हो गए हैं, फटकार भी लगाई है, कारण नहीं जानेंगे

नई दिल्ली। देश में न्यायपालिका को लेकर हाल फिलहाल कई सवाल खड़े हुए हैं, इनमें से कुछ सवाल तो खुद सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों ने खड़े किए हैं, पूरे देश में चर्चा है कि क्या सुप्रीम कोर्ट जो इंसाफ का आखिरी ठिकाना है, वहां पर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। इस तरह की बातें निकल कर सामने आ रही हैं, अब जस्टिस लोया की मौत को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। जस्टिस लोया की मौत को संदिग्ध मानते हुए इस पर सुनवाई हो रही है, ये मामला काफी चर्चा में रहा था। इस केस की सुनवाई चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच कर रही है। इस बेंच में जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस एएम खानविलकर भी शामिल हैं।

जस्टिस लोया की मौत के मामले में सुनवाई के दौरान तीखी बहस देखने को मिली। सुनवाई के दौरान तमाम पक्षकारों के बीच में जो बहस हुई उस से चीफ डस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा को गुस्सा आ गया। इस मामले में पीटीआई की तरफ से एक खबर आई है, जिस में कहा गया है कि सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने एक महिला वकील को फटकार लगाई है। दरअसल महिला वकील ने बात ही कुछ ऐसी कही थी, सूत्रों के मुताबिक महिला वकील ने सुनवाई के दौरान कहा कि सुप्रीम कोर्ट मीडिया का गला घोंट रहा है, इसी बात से चीफ जस्टिस नाराज हो गए, उन्होंने महिला वकील को फटकार लगते हुए अपने शब्द वापस लेने और माफी मांगने के लिए कहा।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की नाराजगी के बाद महिला वकील ने अपने शब्द वापस लिए और माफी मांगी। सुनवाई के दौरान किस ने क्या कहा इस के बारे में भी हम आपको बताते हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अभी तक जो भी रिपोर्ट सामने आई है उसके मुताबिक ये एक नेचुरल मौत है। वहीं हरीश साल्वे ने कहा कि जब कागजातों के मुताबिक ये प्राकृतिक मौत है तो इस में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का नाम लेने की क्या जरूरत है। याचिकाकर्ता से किसी भी तरह के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। वहीं दुष्यंत दवे ने कहा कि जस्टिस लोया के मामले में सरकार का जो रुख रहा है वो सही नहीं रहा है, ससंभव है कि उनकी मौत प्राकृतिक हो, लेकिन शक की गुंजाइश है, लिहाजा जांच की जानी चाहिए।

सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार की तरफ से मामले की पैरवी कर रहे हरीश साल्वे और दुष्यंत दवे के बीच नोक झोंक भी देखने को मिली। दुष्यंत दवे ने हरीश साल्वे द्वारा महाराष्ट्र सरकार की पैरवी करने का विरोध किया। उनका कहना था कि हरीश साल्वे ने पहले अमित शाह की तरफ से भी पैरवी की है,  ये गलत है, इस पर साल्वे ने कहा कि हमें आपके उपदेश की जरूरत नहीं है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि जस्टिस लोया से जुड़े किसी भी मामले की सुनवाई किसी भी कोर्ट में नहीं होगी केवल सुप्रीम कोर्ट में होगी। बॉम्बे हाईकोर्ट में जो याचिकाएं पेंडिंग हैं वो सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर की जाएं। साथ ही कोर्ट ने दोनों पक्षकारों से कहा है कि वो सारे दस्तावेज सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपे। इस मामले में 2 फरवरी को अगली सुनवाई होगी।

 

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