अब 2०19 के लिए भाजपा ने किया दूसरे नाथ पर भरोसा

 ठाकुरों को साधने के लिए योगी आदित्य नाथ तो ब्राह्मणों को साधने के लिए डा. महेंद्र नाथ

राजेश श्रीवास्तव

लखनऊ । भारतीय जनता पार्टी ने ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए एक बार फिर गुरुवार को केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री डॉ महेंद्र नाथ पांडे को उत्तर प्रदेश इकाई का नया अध्यक्ष बनाया है। वे इस पद पर राज्य के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की जगह लेंगे। महेंद्र नाथ पांडे मौजूदा लोकसभा में गृह मंत्री राजनाथ सिह के गृह जिले चंदौली के सांसद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक के पुराने कार्यकर्ता हैं।

इस फैसले से यह भी तय हो गया है कि वे अब केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं रहेंगे। अपनी नियुक्ति के थोड़ी देर बाद महेंद्रनाथ ने कहा भी कि उन्होंने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से अनुरोध किया है कि उन्हें ठीक से काम करने के लिए मंत्री पद की जिम्मेदारी से मुक्त किया जाए। उन्होंने इस नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का शुक्रिया अदा किया है।

भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के इस फैसले के मुख्य रूप से दो मतलब निकाले जा रहे हैं। पहला तो यही कि इसे राज्य के ब्राह्मण मतदाताओं को साधने की कोशिश माना जा रहा है। दूसरा, इस फैसले से एक बार फिर साबित हो गया है कि भाजपा के लिए राज्य के पूर्वांचल क्षेत्र का कितना महत्व है। राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहां गोरखपुर से आते हैं, वहीं राज्य के मौजूदा अध्यक्ष और उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य इलाहाबाद का प्रतिनिधित्व करते हैं।

महेंद्र नाथ पांडे गाजीपुर के निवासी हैं और मुख्यमंत्री के तगड़े दावेदार माने गए केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा भी गाजीपुर से आते हैं। ये सभी क्षेत्र पूर्वांचल का हिस्सा हैं। इससे तो साफ है कि भाजपा पूर्वांचल से अपनी नजरें हटाना नही चाहती। यही नहीं, खुद प्रधानमंत्री भी पूर्वांचल की ही वाराणसी संसदीय क्ष्ोत्र से ही ताल्लुक रखते हैं। रणनीतिकारों का यह भी मानना है कि इस नियुक्ति के साथ ही पार्टी ने अगले लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है। इस फैसले से साफ है कि वह दलित और पिछड़ी जातियों के साथ-साथ अगड़ी जातियों को भी अपने साथ लेकर चलेगी। हालांकि अटकलें थीं कि इस बार किसी दलित चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिल सकती है।

केशव मौर्य के उप-मुख्यमंत्री बनने के बाद ही ये तो तय था कि वे ज़्यादा दिन तक प्रदेश अध्यक्ष नहीं रहेंगे, लेकिन जिस तरह से पार्टी चौंकाने वाले फ़ैसले करती रही है, महेंद्र नाथ पांडेय का नाम भी प्रदेश अध्यक्ष के लिए कुछ वैसा ही है। जानकारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनते ही जिस तरह से अगड़ी जातियों के कुछ वर्गों में सरकार और पार्टी के प्रति मोहभंग की स्थिति आ रही थी, महेंद्र नाथ पांडे को संगठन की कमान सौंपना, उस स्थिति को रोकने की कोशिश है।

दरअसल भाजपा दलित, मुस्लिम, पिछड़ा वर्ग समेत चाहे जिन जातियों और समुदायों में सेंध मार ले, लेकिन उसे पता है कि उसके असली मतदाता अगड़ी जातियों के ही हैं, ख़ासकर ब्राह्मण और ठाकुर। योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाने के बाद प्रदेश अध्यक्ष की सीट ब्राह्मण को सौंप कर पार्टी ने इसी समीकरण को साधने की कोशिश की है। जहां तक पिछड़े वर्ग का सवाल है तो केशव मौर्य उपमुख्यमंत्री बने ही हैं। महेंद्र नाथ पांडेय भले ही बहुत ज़्यादा चर्चित नेताओं में न गिने जाते हों लेकिन छात्र जीवन से ही वो आरएसएस के अनुयायी रहे हैं, संगठन और सरकार दोनों में उनका अच्छा अनुभव है और सबसे बड़ी बात कि व्यवहार कुशल हैं।

बहरहाल, जानकारों का कहना है कि पार्टी ने फ़िलहाल क़रीब 12 प्रतिशत ब्राह्मण मतों के साथ कुल क़रीब 22-23 प्रतिश अगड़ी जातियों पर फ़ोकस कर रही है। साल 2०19 आते-आते दूसरी जातियों को साधने की कोई अलग रणनीति तैयार कर लेगी। रही बात क्षेत्रीय संतुलन की, तो उसे साधने के अभी कई मौक़े हैं। कलराज मिश्र भी अहम कारण महेंद्र नाथ पांडेय को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के पीछे एक तर्क ये भी दिया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी के बड़े नेता कलराज मिश्र हो सकता है कि अगले कुछ दिनों में केंद्र सरकार में होने वाले बदलाव में हटाए जाएं, क्योंकि वो 75 साल की उम्र पूरी कर चुके हैं।

ऐसी स्थिति में डैमेज कंट्रोल न करना पड़े, पार्टी ने महेंद्र नाथ पांडेय को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर वो काम पहले ही कर दिया है। कलराज मिश्र फ़िलहाल यूपी बीजेपी में अकेले बड़े ब्राह्मण नेता माने जाते हैं। हालांकि उन्हें मंत्रिमंडल में कोई ख़ास जगह नहीं दी गई है, फिर भी यदि उन्हें मंत्रिमंडल से हटाया गया तो इसका संदेश ठीक नहीं जाएगा, ये सरकार को पता है। ख़ासकर तब जबकि ब्राह्मण वर्ग मौजूदा सरकार की कार्यप्रणाली से ख़ुद को बहुत ज़्यादा संतुष्ट नहीं पा रहा है।

उपेक्षित महसूस कर रहा था ब्राह्मण समाज बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण मतदाता योगी सरकार में ख़ुद को उपेक्षित महसूस कर रहा है। गोरखपुर में बीएसपी विधायक विनय शंकर तिवारी के घर पर छापेमारी की घटना हो या फिर रायबरेली में ब्राह्मण समुदाय के पांच लोगों की ज़िंदा जलाकर हुई हत्या हो, ब्राह्मण समुदाय में सरकार के प्रति काफी ग़ुस्सा था। रायबरेली की घटना को लेकर तो सरकार के कई मंत्री तक आमने-सामने आ गए थे।

दलित ब्राह्मण कार्ड ख्ोलने की तैयारी भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए अपना समीकरण अभी से तय कर लिया है। उसने दलित ब्राह्मण खेलकर बसपा की सोशल इंजीनियरिंग को पलीता लगा दिया है। भाजपा में इस समय खुद प्रधानमंत्री पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। जबकि मुख्यमंत्री राजपूत बिरादरी से, डिप्टी सीएम पिछली बिरादरी से, राष्ट्रपति दलित बिरादरी से और अब प्रदेश अध्यक्ष ब्राह्मण वर्ग को साधने के लिए उतारा गया है। लक्ष्मी कांत वाजपेयी के हटाये जाने के बाद से ब्राह्मण वर्ग अपने को भाजपा में उपेक्षित महसूस कर रहा था। इसीलिए भाजपा ने 12 फीसद ब्राह्मण को लुभाने के लिए ब्राह्मण कार्ड खेला है।

 

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