अब US ने ऐक्शन के लिए कहा तो बातचीत होगी बंद: पाकिस्तान

कराची। इस महीने अपनी संभावित पाकिस्तानी यात्रा के दौरान यूएस के वरिष्ठ अधिकारी इस्लामाबाद के साथ ट्रंप की अफगानिस्तान को लेकर नई नीति पर बात कर सकते हैं। हालांकि, सूत्रों के मुताबिक यह बातचीत ‘बराबरी’ के आधार पर होगी और अगर यूएस अधिकारी अपने पुराने बयानों की तरह ही पाकिस्तान पर आतंकवाद के खिलाफ और ऐक्शन की मांग करेंगे तो इस्लामाबाद बातचीत रद्द कर सकता है।

‘डेली एक्सप्रेस’ के मुताबिक अमेरिकी अधिकारियों की यह यात्रा दोनों देशों के बीच काफी समय से चले आ रहे तनाव को खत्म करने के मकसद से होगी। इस दौरान अफगानिस्तान में शांति की स्थापना में पाकिस्तान की भूमिका और ट्रंप की अफगान नीति पर पाकिस्तान की आपत्तियों को लेकर भी चर्चा होगी।

सूत्र ने बताया कि प्रधानमंत्री शाहिद खाकन अब्बासी ने अपने हाल के न्यू यॉर्क दौरे पर संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर यूएस प्रेजिडेंट डॉनल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति माइक पेंस के साथ मुलाकात की थी। इन मुलाकातों में, वॉशिंगटन ने इस्लामाबाद को आश्वासन दिया था कि वह बातचीत के जरिए अफगान नीति पर उसकी सभी आपत्तियों को दूर करेगा। अमेरिकी अधिकारियों ने पाकिस्तान के साथ अन्य मसलों पर भी बातचीत को हरी झंडी दी थी।

इसके बाद ही पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने अमेरिका का दौरा किया था। इस दौरे पर उन्होंने अपने अमेरिकी समकक्ष रेक्स टिलरसन से मुलाकात की थी। सूत्रों के मुताबिक, ख्वाजा आसिफ ने टिलरसन को यह स्पष्ट किया था कि ट्रंप की अफगान को लेकर नई नीति को पाकिस्तान स्वीकार नहीं करेगा और वह इसे पूरी तरह खारिज करता है। बदले में यूएस विदेश मंत्री ने यह संकेत दिए थे कि ट्रंप प्रशासन पाकिस्तान से अफगान नीति सहित सभी मुद्दों पर बातचीत करेगा।

‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ वेबसाइट की खबर के मुताबिक टिलरसन की प्रस्तावित पाकिस्तानी यात्रा काफी महत्वपूर्ण है और इसलिए इस्लामाबाद ने इस यात्रा को लेकर रणनीति पर विचार कर लिया है। एक सूत्र ने बताया, ‘अगर अमेरिकी विदेश मंत्री इस्लामाबाद से और ऐक्शन की मांग करंगे तो अब सरकार की तरफ से सिर्फ एक जवाब दिया जाएगा: थोड़ा और, अब और नहीं। पाकिस्तान अब अमेरिका सहित किसी भी देश की तरफ से ऐसी मांगों को नहीं मानेगा।’

सूत्र के मुताबिक, ‘इस यात्रा के दौरान पाकिस्तान यह भी देखेगा कि यूएस उसके साथ रिश्तों के विस्तार को लेकर गंभीर है या नहीं। अगर यूएस विदेश मंत्री ने यह आश्वासन दिया कि वे अफगान नीति को लेकर पाकिस्तान की आपत्तियों को दूर करेंगे तो ही इस्लामाबाद ट्रंप प्रशासन के साथ अगले दौर की बातचीत करेगा।’

आपको बता दें कि ट्रंप ने अफगानिस्तान को लेकर नई नीति की घोषणा के समय पाकिस्तान को काफी खरी खोटी सुनाई थी और सैन्य सहयोग पर भी रोक लगाने की बात कही थी। ट्रंप ने पाकिस्तान को आतंकियों का सुरक्षित पनाहगाह बताया था। इसके बाद पाकिस्तान बार-बार यही कहता आ रहा है कि उसने आतंकवाद के खात्मे के लिए पहले ही बहुत से बलिदान दिए हैं। अब अमेरिका और पूरी दुनिया के लिए समय आ गया है कि वे कुछ ज्यादा करें।

 

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