अयोध्या में त्रेतायुग के मायने

राजेश श्रीवास्तव

अयोध्या । नाम से ही ख्यात है कि जहां कभी युद्ध न हो, उसे ही अयोध्या कहते हैं। अयोध्या को इतनी ख्याति तो तब भी नहीं मिली थी जब विवाद चरम पर था। बुधवार को योगी आदित्यनाथ ने जब अयोध्या में कदम रखा तो ऐसा लगा कि मानो अयोध्या में ही `ोतायुग आ गया हो। इससे पहले भले ही कई बार भाजपा की उप्र में सरकार रही। बल्कि कट्टर हिंदुत्व का चेहरा और प्रतीक माने जाने वाले मुख्यमंत्री कल्याण सिंह भी कभी इतने बड़े आयोजन का साहस नहीं कर सके।

आदित्यनाथ ने अयोध्या में छोटी दीपावली के दिन इतने दीप जलाए जितनी अयोध्या की जनसंख्या है। खुद अयोध्या के कई महंतों ने सरिता प्रवाह से बातचीत में कहा कि हमने कभी अयोध्या में इतनी भव्य दीपावली नहीं देखी। इस भव्य आयोजनन में सरयू पूजन, महाआरती, 1.71 लाख दीयों का विश्व रिकॉर्ड बना।

राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री ने अयोध्या में पर्यटन पर्व पर दीपोत्सव कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए 133 करोड़ रुपये की पर्यटन तथा अन्य विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया। उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना, नि:शुल्क बिजली कनेक्शन, विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों को प्रतीकात्मक स्वीकृति-पत्र, बच्चों को वस्त्र एवं मिष्ठान का वितरण भी किया। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार के संगम से उत्तर प्रदेश में रामराज्य आएगा।

सीएम योगी ने कहा कि अयोध्या ने मानव कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया लेकिन स्वयं उपेक्षित रही। दुनिया को दीपोत्सव का त्यौहार देने वाली अयोध्या को विकास की नई ऊँचाइयों पर ले जाया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बुधवार को अयोध्या के आयोजन ने साबित कर दिया है कि भगवान राम कीदूसरी तरफ मेगा शो से अयोध्या के लोग खुश नजर आ रहे हैं। उन्हें लगता है कि अयोध्या की पहचान फैजाबाद जिले से नहीं बल्कि खुद अयोध्या से होने जा रही है। पहली बार अयोध्या नगर निगम के तौर पर बना है और यहां पहला मेयर चुना जाने वाला है।

हालांकि अयोध्या में एक वर्ग ऐसा भी है जो मानता है कि अयोध्या में भव्य दिवाली मनाने का कार्यक्रम कहीं न कहीं राम मंदिर से फोकस हटाने की कोशिश है। दिगबर अखाड़े और रामलला के पुरोहित ने बातचीत में कहा कि योगी सरकार दिवाली के इस जश्न को इतना भव्य बनाना चाहती है कि अयोध्या का मूल मुद्दा यानी राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का मुद्दा इसके आगे छोटा पड़ जाए, क्योंकि सरकार पर 2०19 के पहले राम मंदिर बनाने का दबाव है।

इसलिए ये मूल मुद्दे को दबाने की कोशिश है। उधर, योगी सरकार का दावा है कि अयोध्या में कुल खर्चा तीन करोड़ से ऊपर नहीं आया। हालांकि सरकार ये जताना भी नहीं भूल रही कि 133 करोड़ की विकास परियोजनाओं से अयोध्या पर्यटन के मानचित्र पर आ जाएगा। योगी आदित्यनाथ के इस प्रयास का विरोधी और समर्थक कुछ भी टिप्पणी करें लेकिन इतना तो तय है कि योगी आदित्यनाथ के जरिये भाजपा ने अपना एजेंडा सेट कर लिया है।

अब 2०19 के चुनाव में भाजपा राम मंदिर का वादा पूरा न भी करे तो भी योगी आदित्यनाथ ने फेस सेविंग तो कर ही ली है। सरकार के इस भव्य आयोजन के पीछे मंशा 2०19 ही है, भले ही सरकार इसे दीप पर्व के नाम से जोड़ दे। लेकिन इतना तय है कि अयोध्या के लगभग दो लाख दीपों से जो रोशनी निकली है उसे 2०19 तक रोशन करने की तैयारी सरकार ने कर ली है। लेकिन सरकार के इस प्रयास पर अयोध्या के ही तेज तर्रार नेता विनय कटियार पलीता लगाते हुए दिखते हैं। वह कहते हैं कि हमें राम मंदिर से कम कुछ भी मंजूर नहीं। लेकिन कटियार अब इस मुद्दे को कितना गरमा पाएंगे, यह समय बतायेगी। लेकिन मेगा शो के जरिये योगी सरकार ने अयोध्या के संतों और महंतों को भी अपने पाले में खड़ा कर लिया है।

 

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