अरुण जेटली की शिवसेना को सलाह, पब्लिसिटी के लिए न करे हंगामा

arun3तहलका एक्सप्रेस

नई दिल्ली। बीते दिनों की गतिविधियों पर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शिवसेना का नाम लिए बिना उसे नसीहत दी है।जेटली ने कहा है कि वैचारिक मतभेद हो सकते हैं, पर विरोध करना है तो तर्क के साथ विचार रखने चाहिए।

संवाददाताओं से बात करते हुए जेटली ने कहा कि प्रचार, पब्लिसिटी के लिए हंगामा नहीं करना चाहिए, बल्कि संयम के साथ अपनी बात कहें।

इन घटनाओं को जेटली ने दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि यह निंदनीय है। जेटली ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि बीजेपी में किसी ने विरोध करने के लिए इस तरह के हिंसक और बर्बरतापूर्ण तरीकों का सहारा लिया है। उन्होंने कहा, ‘यह भारत में ही संभव है कि यहां विभिन्न विचार एकसाथ रहे हैं। यहां पर विरोधी विचारों को सभ्य तरीके से रखने की परंपरा रही है।’

उन्होंने शिवसेना का नाम लिए बिना कहा, ‘तोड़फोड़ करने के बजाए बहस का स्तर बढ़ाना चाहिए। इसमें शामिल लोगों की कड़ी आलोचना की जानी चाहिए। मुझे नहीं लगता कि बीजेपी में कोई इन तरीकों का समर्थन करता है। ऐसे कदम उठाने वालों को सोचना चाहिए कि क्या वे लोकतंत्र की गुणवत्ता बढ़ा रहे हैं या देश का नाम खराब कर रहे हैं।’

जेटली ने आगे कहा, ‘संवेदनशील मुद्दों जैसे विभिन्न समुदायों के बीच संबंध, जम्मू-कश्मीर, पड़ोसी देशों पर बयान देने में सावधानी बरतनी चाहिए। मुझे नहीं लगता कि बीजेपी में किसी ने ऐसे तरीके अपनाए हैं। कुछ संवेदनशील मामलों पर बयान दिए गए थे, पार्टी अध्यक्ष ने उन सभी से कढ़ाई से बात की है, पीएम ने भी अपने विचार जाहिर कर दिए हैं।’

वित्त मंत्री ने कहा, ‘पिछले दिनों में देखने को मिला है कि कुछ लोग अपने विचारों को जाहिर करने के लिए तोड़फोड़ को हथियार बना रहे हैं। यह परेशान करने वाली बात है कि इन्हें प्रचार मिल रहा है। इससे और लोग भी यह कदम उठाने को प्रेरित हो सकते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि लोग इनकी आलोचना कर रहे हैं। सही सोच वाले लोगों को इन तरीकों से दूरी बनानी चाहिए।’

आपको बता दें कि शिव सैनिकों ने पाकिस्तान के साथ क्रिकेट संबंध बहाल करने के विरोध में सोमवार को मुंबई में बीसीसीआई के दफ्तर में जबरन घुसकर हंगामा किया था और काले झंडे लहराए थे।

इससे पहले शिवसैनिकों ने पूर्व पाकिस्तानी रक्षा मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी की किताब का विमोचन करवाने के विरोध में पत्रकार सुधींद्र कुलकर्णी के चेहरे पर स्याही पोत दी थी। इतना ही नहीं, बाद में अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कुलकर्णी की तुलना अजमल कसाब से भी की थी।

शिवसैनिकों के विरोध के चलते ही मुंबई में मशहूर पाकिस्तानी गजल गायक गुलाम अली के शो रद्द करना पड़े थे।

 

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