…अल्लाह का सम्मान नहीं किया तो भारत के टुकड़े-टुकड़े हो जाएँगे: सुप्रीम कोर्ट से मुस्लिम पक्षकार

नई दिल्ली। राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज मुस्लिम पक्षकार राजीव धवन ने अपनी दलीलें पेश की। जन्मस्थान को ‘न्यायिक व्यक्ति’ माने जाने पर धवन ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा विवाद ही इस बात को लेकर है कि राम का जन्मस्थान कहाँ है?

सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से पेश धवन ने दलील दी “हम राम का सम्मान करते हैं, जन्मस्थान का भी सम्मान करते हैं। इस देश में अगर राम और अल्लाह का सम्मान नहीं होगा तो देश खत्म हो जाएगा।” उन्होंने कहा कि अगर मान भी लिया जाए राम का जन्म वहाँ हुआ था, तो भी जन्मस्थान के रूप में उतने बड़े क्षेत्र पर दावा ठोकना एक निहायत ही कमज़ोर दलील है। धवन ने हिन्दू पक्ष की उस दलील पर आपत्ति जताई, जिसमें कहा गया था कि विवादित स्थल के सारे ढाँचों को ध्वस्त कर एक भव्य मंदिर का निर्माण होना चाहिए।

धवन ने कहा कि हिन्दू पक्ष सिर्फ़ यहाँ राम का जन्म होने की बात करते हैं, लेकिन उनकी अर्जी में कहीं भी उस क्षेत्र की बाउंड्री का जिक्र नहीं है। पूरी विवादित जमीन जन्मस्थान नहीं हो सकती। कुछ तो निश्चित स्थान होगा। पूरा क्षेत्र जन्मस्थान नहीं हो सकता।

Bar & Bench@barandbench

: I am giving in to the argument that Ram was born there, but does it make the place a juristic personality? Nobody till 1989 claimed the place as juristic personality, Rajeev Dhavan.

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: Lord Ram has to be respected, no doubt about it, Rajeev Dhavan.

If Lord Ram and Allah are not respected, this great nation which has diversity like no other nation will will fall apart, Rajeev Dhavan.

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धवन ने राम के साथ अल्लाह का भी नाम लिया। उन्होंने कहा:

“इसमें कोई शक नहीं है कि राम का सम्मान किया जाना चाहिए। अगर राम और अल्लाह का सम्मान नहीं किया गया तो भारत जैसा विविधताओं से भरा देश अलग-थलग हो जाएगा। हिन्दू पक्ष ने यह दिखाया है कि जन्मस्थान को लेकर आस्था है, लेकिन उन्होंने यह नहीं साबित किया है कि यहाँ पूजा होती थी। हाँ, ये कहा जा सकता है कि चबूतरे पर प्रार्थना होती थी लेकिन पूरे क्षेत्र के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता। 1949 तक तो भीतरी क्षेत्र में एक प्रतिमा तक नहीं थी।”

धवन ने बाबरी मस्जिद को लेकर कहा कि वहाँ हमेशा से नमाज़ पढ़ी जाती रही है। उन्होंने दावा किया कि मस्जिद कभी भी वीरान नहीं पड़ा। अर्थात, इतिहास में किसी भी समय मस्जिद सुनसान नहीं रहा। राजीव धवन ने दावा किया कि ज्यादा से ज्यादा यह हुआ होगा कि कुछ दिनों तक मस्जिद का प्रयोग किसी ने नहीं किया गया होगा। धवन ने कहा कि जो भी शासक रहा हो और उसने धर्म या क़ुरान में से किसी का भी उल्लंघन किया हो, फ़ैसला संविधान के अनुरूप ही होना है।

Bar & Bench@barandbench

: Rajeev Dhavan citing precedents on juristic persons, deity.

Now on how Guru Granth Sahib can be a juristic person.

Every Guru Granth Sahib not a juristic person unless installed in a Gurudwara.

Likewise every idol is not a juristic person, Dhavan.

Bar & Bench@barandbench

: Bench persisiting with questions on the objective manifestation of belief and what constitutes the same.

There should be a temple, worship, continuous use or some kind of dedication/ practice that runs with it, Rajeev Dhavan.

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राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि 18 अक्टूबर तक सुनवाई पूरी हो जाने की उम्मीद है, ताकि कोर्ट को फ़ैसला लिखने के लिए पर्याप्त समय मिल सके। सुब्रह्मण्यम स्वामी सहित तमाम विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि 17 नवम्बर से पहले इस मामले में निर्णय आ जाएगा।

 

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