अवॉर्ड वापसी से सरकार को नहीं पड़ता फर्क!

mahesh-sharmaतहलका एक्सप्रेस, नई दिल्ली। दादरी हत्याकांड पर कई लेखकों की तरफ से साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने पर केंद्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने चुप्पी तोड़ दी। उन्होंने कहा है कि अगर कोई साहित्यकार या कवि अपने सिद्धांत के कारण पुरस्कार लौटाते हैं, तो यह उनकी पसंद का मामला है।

शर्मा के लोकसभा क्षेत्र में ही वह दादरी है, जहां बीफ खाने की अफवाह फैलाए जाने के बाद इखलाक को घेरकर मार दिया गया था। शर्मा ने कहा कि विरोध दर्ज करने के और भी तरीके हो सकते हैं।

उन्होंने कहा, ‘पुरस्कार लौटाना किसी साहित्यिक व्यक्ति की पसंद हो सकती है। अगर लोग अपनी विचारधारा के चलते विरोध का यह तरीका अपना रहे हैं, तो मैं उनकी चॉइस पर टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा। हालांकि, मैं यह सुझाव दूंगा कि इसके कई अन्य तरीके भी हो सकते हैं। वे इन मसलों पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और साहित्य अकादमी को भी चिट्ठी लिख सकते हैं। वे धरने पर भी बैठ सकते हैं।’

बीफ कांड के बाद अपनी टिप्पणियों को लेकर भी शर्मा आलोचना का शिकार हो चुके हैं। साहित्य अकादमी विजेता लेखकों द्वारा इस सम्मान को लौटाने की एक अहम वजह शर्मा की टिप्पणियां भी मानी जा रही हैं।
दादरी कांड के विरोध में बीते हफ्ते के शुरू में सबसे पहले नयनतारा सहगल ने साहित्य अकादमी का पुरस्कार लौटाया था। उन्होंने इसे देश की विभिन्नता पर ‘हमला’ करार देते हुए यह पुरस्कार वापस किया था।

इसके बाद हिंदी के जानेमाने कवि अशोक वाजपेयी और मलयाली लेखिका सारा जोसेफ ने भी अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिया था। शशि देशपांडे, के सचिच्दानंदन, पी के परक्कादवु अकादमी से इस्तीफा दे चुके हैं और उर्दू उपन्यासकार रहमान अब्बास ने भी साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटने का फैसला किया है। कश्मीरी भाषा के कवियों और विद्वानों के संगठन अब्दी मरकज कमराज ने भी इस फैसले को लेकर सहमति जताई है।

 

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