असदुद्दीन ओवैसी का उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में उतरने का ऐलान

ओवैसी के इस एलान के बाद यूपी में मुस्लिम वोट बैंक को अपना मानने वाली समाजवादी पार्टी की नींद उड़ गई है

ovaisiतहलका एक्सप्रेस ब्यूरो, लखनऊ। मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन (एमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में उतरने का ऐलान कर दिया है| एमआईएम पार्टी के प्रमुख ने कहा है कि वह यूपी में चुनाव जरूर लड़ेगी। कभी हैदराबाद तक ही सीमित रही मजलिए-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन ने (एमआईएम) मुंबई में दो सीट जीतकर सभी को चौंका दिया था| अब उसी एमआईएम ने 2017 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनावों में उतरने का एलान कर दिया है| इसी के तहत असदुद्दीन ओवैसी अपने दो दिनों के दौरे पर उत्तर प्रदेश आ रहे हैं| जहां पहले वह मेरठ में एक इफ्तार पार्टी में शिरकत करेंगे उसके बाद उनका आगरा जाने का कार्यक्रम है| इसके बाद वह पूर्वांचल के कुछ इलाकों का भी दौरा करने वाले हैं|
ओवैसी के इस एलान के बाद यूपी में मुस्लिम वोट बैंक को अपना मानने वाली समाजवादी पार्टी की नींद उड़ गई है। यूपी की 406 विधायकों वाली विधानसभा की बात की जाए तो इनमें से करीब 140 सीटों पर जीत का फैसला मुस्लिम वोटर करते हैं। इन सीटों पर 18 से 45 प्रतिशत मतदाता मुस्लिम हैं। राजनीति के लिए जातिवाद और संप्रायवाद पर निर्भर यूपी में मुख्यमंत्री पद की लड़ाई इन सीटों को और भी अहम बना देती है। आगामी चुनाव में एआईएमआईएम इन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार कर उस वोटबैंक में सेंधमारी कर सकती है, जो इन सीटों को समाजवादी पार्टी का गढ़ बना साबित करता आया है। मौजूदा राजनीति की चर्चा की जाए तो पारंपरिक रूप से सपा, बसपा और कांग्रेस तीन ऐसी पार्टियां हैं जिनके बीच मुस्लिम वोटबैंक का बंटवारा होता आया है। जिसमें सबसे बड़ा हिस्सा सपा के हिस्से आता है, तो बसपा की हिस्सेदारी पार्टी उम्मीदवार पर निर्भर करती है जबकि कांग्रेस को यूपी में उसके कद के हिसाब से सबसे कम मुस्लिम वोटर मिलते हैं। राजनीति विशेषज्ञों की माने तो अयोध्या कांड के बाद से पिछले दो दशकों में समाजवादी पार्टी धीरे-धीरे मुस्लिम वोटरों का भरोसा जीतने में कामयाब रही, सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव मुस्लिमों के रहनुमा बन गए और मुस्लिम वोटर और यादव वोट बैंक के साथ मिलकर उनकी पार्टी का जनाधार। सूबे में सपा ही एक मात्र ऐसी पार्टी है जिसके पास आज़म खां जैसा बड़ा और कद्दावर मुस्लिम चेहरा है। लेकिन आने वाले समय में एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी और अकबरुद्दीन ओवैसी यूपी के मुस्लिमों के सामने एक नए विकल्प के रूप में सामने होंगे, जो सपा और आज़म खां दोनों को चुनौती देते नज़र आएंगे। ऐसे में अगर आगामी विस चुनावों में एआईएमआईएम मुस्लिम वोटरों को लुभाने में थोड़ी सी भी कामयाब हो जाती है तो सीधा और बड़ा नुकसान सपा का ही होगा। विशेष कर उन सीटों पर जहां अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक वोटरों की संख्या में बहुत ज्यादा अंतर नहीं हैं। मोटे तौर पर सपा को 10 से 15 सीटों का नुकसान होने का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

 

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