आखिरकार जिंदगी की जंग में मौत से हार गए हॉकी लीजैंड मो. शाहिद

MORESHAHIDनई दिल्ली।  पिछले काफी समय से लीवर और किडनी रोग से जूझ रहे हॉकी के मशहूर खिलाड़ी और पूर्व भारतीय कप्तान मो. शाहिद नहीं रहे। उन्होंने मेदांता हास्पिटल में आखिरी सांस ली। उनके निधन की खबर से खेल जगत में शोक छा गया। बनारस से निकलकर हॉकी में बुलंदिया छूने वाले मो. शाहिद की गोल से 1980 में भारत को गोल्ड मेडल मिला था। उनकी हाकी के जादुई खेल की दुनिया दीवानी रही। कई मौकों पर उन्होंने भारत का नाम हॉकी जगत में रोशन किया।

मालूम हो कि भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद शाहिद को गत 30 जून यूपी के वाराणसी से गुड़गांव के मेदांता हॉस्पिटल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था. शाहिद की हालत पिछले कई दिनों से ख़राब चल रही थी।. जिसके चलते उन्हें इलाज के लिए पहले बीएचयू के अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन डाक्टरों ने उनकी हालत बिगड़ती देखकर उन्हें मेदांता के लिए रेफर कर दिया था, जिसके बाद से वह यहां अपने परिवार के साथ मौत और जिंदगी से जूझ रहे थे।

गौरतलब है कि देश को अपनी करिश्माई कलाई के जादू से साल 1980 में गोल्ड मेडल दिलाने वाले हॉकी खिलाडी शाहिद को ‘पदमश्री’ अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है. जिसके चलते उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र के सम्मानित नवरत्नों में से एक माना जाता है।

दुनिया के सबसे बेहतरीन फारवर्ड हॉकी खिलाडी के ख़िताब से नवाजे जा चुके भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान शाहिद के लिवर में दिक्कत होने के कारण उन्हें पहले वाराणसी के बीएचयू के अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इसके बाद जब डाक्टरों ने उनकी हालत नाजुक देखी तो उन्हें गुड़गांव के मेदांत हॉस्पिटल में लिवर ट्रांसप्लांट करने के लिए रेफर कर दिया. मालूम हो कि साल 1980 के ओलंपिक मैच में भारत को जो जीत मिली थी उसका सारा श्रेय भारतीय टीम के पूर्व कप्तान मो. शाहिद को ही जाता है. मैच में अपने करिश्माई प्रदर्शन से उन्होंने भारत को मैच जिताकर गोल्ड मेडल दिलाया था.

 

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