आखिर यादव सिंह को बचाने में क्यों जुटी है सपा सरकार?

ysतहलका एक्सप्रेस प्रतिनिधि, लखनऊ। उत्तर प्रदेश मे पूर्व की सत्तारूढ़ बसपा सरकार के कार्यकाल मे हुए भ्रष्टाचार को हथियार बनाकर सत्ता तक पहुंची समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार इन दिनों धनकुबेर यादव सिंह को बचाने मे जुटी हुई है। 20 हजार करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति के मालिक यादव सिंह के बचाव मे सपा सरकार सर्वोच्च न्यायालय तक पहुँच गई है। वह भी इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले के बाद जिसमे अदालत ने यादव सिंह पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच सीबीआई को सौंपी है।
अब सवाल यह उठता है कि आखिर सपा सरकार यादव सिंह को बचाने की कोशिश क्यों कर रही है जबकि उसपर एक महाघोटाले का आरोप लगा है। आपको बता दे कि सपा सरकार यादव सिंह मामले की जांच सीबीआई से कराने मे शुरुआत से ही आनाकानी कर रही थी, लेकिन बीते 16 जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। सीबीआई ने मामले की जांच भी शुरू कर दी है। उसने बीते दिन यादव सिंह के कई ठिकानों पर छापेमारी भी की। अब यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट मे एक याचिका दाखिल की है। सरकार ने यादव सिंह मामले का केस भारत के जाने माने चार ऐसे वकीलों को सौंपा है जिनकी फीस लाखों मे हैं। इनके नाम कपिल सिब्बल, हरीश साल्वे, राकेश द्विवेदी और दिनेश द्विवेदी है। सपा सरकार जिस तरह से यादव सिंह को बचाने मे जुटी है उससे यह बात तो जाहिर हो रही है कि कहीं न कहीं इस मामले मे कई ऐसे सफ़ेदपोशो के नाम भी शामिल हैं जिनका संबंध समाजवादी पार्टी से है और इनका नाम उजागर होने से सपा सरकार को खासा नुकसान पहुँच सकता है। यादव सिंह पर आरोप है कि नोएडा प्राधिकरण में तैनाती का फायदा उठाते हुए उन्होंने अपनी पत्नी के नाम से रजिस्टर्ड फर्म को सरकारी दर पर बड़े-बड़े व्यावसायिक प्लॉट आवंटित करा देते थे। बाद में इन्हीं प्लॉट को वह बिल्डरों को काफी ऊंचे दाम में बेच देते थे। उल्लेखनीय है कि नोएडा प्राधिकरण समेत तीन प्राधिकरणों के प्रमुख रहे इंजीनियर यादव सिंह के घर पड़े इनकम टैक्स के छापे में गाड़ी से 10 करोड़ रुपये नकद मिले थे। इसके अलावा 100 करोड़ रुपये कीमत के हीरे के गहने जब्त किए गए थे।

 

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