आखिर हरियाणा के एथलीट्स की कमाई पर क्यों ‘गिद्ध दृष्टि’ लगा रही है खट्टर सरकार
खेलो की दुनिया में भारत में अगर किसी एक सूबे का नाम सबसे ऊपर माना जाता है, तो वह सूबा है हरियाणा. हाल ही में गोल्ड कोस्ट में आयोजित हुए कॉमनवेल्थ खेलों में देश के लिए सबसे ज्यादा मेडल हरियाणा के एथलीट्स ने ही जीते थे और इस बात को लेकर राज्य की खट्टर सरकार ने भी अपनी पीठ खूब थपथपाई थी.
लेकिन अब खट्टर सरकार के एक आदेश ने खेलों और एथलीट्स को लेकर हरियाणा सरकार के इरादों की कलई खोल दी है. राज्य सरकार के खेल डिपार्टमेंट की और से इसी साल 30 अप्रैल को जारी हुए एक सर्कुलर के मुताबिक राज्य सरकार अब अपने प्रदेश के एथलीट्स की प्रॉफेशनल खेल और कमर्शियल आमदनी का एक तिहाई हिस्सा लेना चाहती.
क्या है यह नया फरमान
राज्य के खेल एवं युवा मामलों के प्रिंसिपल सेक्रेटरी अशोक खेमका के दस्तखत से जारी हुए इस सर्कुलर के मुताबिक अब राज्य के एथलीट्स के लिए अपनी कमाई (प्रोफेशनल/कमर्शियल) कमाई का एक तिहाई हिस्सा हरियाणा स्टेट स्पोर्ट्स काउंसिल के फंड में डालना जरूरी कर दिया गया है. इस फंड का इस्तेमाल राज्य में खेलों के विकास के लिए किए जाने की योजना है.
अपनी तथाकथित ईमानदारी और लगातार होने वाले तबादलों के लिए मशहूर आईएएस अधिकारी अशोक खेमका के इस आदेश की मंशा समझ से परे प्रतीत हो रही है.
क्रिकेट के लिए दीवानगी रखने वाले इस देश में बाकी खेलों के एथलीट्स को बमुश्किल ही कमर्शियल विज्ञापन मिल पाते हैं और इनमें से भी अगर एक तिहाई हिस्सा सरकार के खाते में जमा करा दिया जाएगा तो फिर एथलीट्स का परेशान होना लाजिमी है.
यही नहीं, एक ओर जहां पीएम मोदी खेलो इंडिया के नाम से देश भर में खेल और खिलाड़ियों के पक्ष में माहौल बना रहे हैं और उनके मंत्री इस तरह की योजनाओं में बढ-चढ़ कर भागीदारी कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर हरियाणा सरकार का यह फरमान आसानी से गले उतरता नहीं दिख रहा है.
किसी भी प्रदेश में खेलों के विकास के लिए फंड की इंतजाम होना जरूरी है. लेकिन इसकी कीमत खिलाड़ियों से वसूलना अपने आप में बेहद अजीब फैसला है.
सरकार के इस फैसले से राज्य के एथलीट्स भी बेहद नाराज हैं. कॉमनवेल्थ खेलों की गोल्ड मेडलिस्ट रही गीता फोगाट ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है, ‘अगर यह फैसला क्रिकेटरों तक ही सीमित होता तो समझ में आता. लेकिन रेसलिंग और बॉक्सिंग जैसे खेलों में एथलीट्स की कमाई ही कितनी होती है जिसका 33 फीसदी हिस्सा सरकार मांग रही है.’ ओलिंपिक मेडलिस्ट योगेश्वर दत्त ने भी ट्वीट करके इस फैसले का विरोध किया है.
बहरहाल गीता और योगेश्वर के इस बयान से साफ है कि हरियाणा सरकार के इस फैसले से राज्य के एथलीट्स कितने नाराज हैं देखना होगा कि यह नया फरमान कब तक प्रभावी रह पाता है.
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