आरुषि हत्याकाण्ड :- CBI ने जिन लोगों को दोषी पाया था उनको उच्च न्यायालय ने बरी कर दिया

विनय झा
नौ वर्षों से अधिक हुए, इस काण्ड में CBI ने जिन लोगों को दोषी पाया था उनको उच्च न्यायालय ने आज बरी कर दिया |
इस काण्ड की सही तरीके से जाँच अरुण कुमार (ठाकुर) के नेतृत्व में हुई | उन्होंने आरुषि के माँ-बाप को दोषी सिद्ध किया | फलस्वरूप यूपी सरकार ने अरुण कुमार को CBI से वापस यूपी पुलिस में बुला लिया और आरुषि काण्ड से हटा दिया | CBI द्वारा पुनः जाँच कराई गयी जिसमें माँ-बाप को निर्दोष पाया गया, किन्तु CBI की ही अदालत ने इस दूसरी जाँच को फर्जी बताया और पहली जाँच को सही ठहराकर माँ-बाप को उम्र-कैद की सजा दी |

आज उच्च न्यायालय ने CBI की उपरोक्त दूसरी (फर्जी) जाँच के 100% अनुरूप निर्णय सुनाया है |अरुण कुमार दरभंगा के ही हैं, मैथिल ब्राह्मण होने का पाप किये | उनका जन्म दरभंगा के जिस हॉस्पिटल रोड में हुआ उसी में मेरा भी जन्म हुआ था | मेरी माँ डॉक्टर थी, वहीं के मेडिकल कॉलेज में शिक्षिका थी, और अरुण कुमार के पिता जी वहीं पर ‘ठाकुर फार्मेसी’ दवा की दूकान चलाते थे, आज भी चलाते हैं |

अरुण कुमार यूपी पुलिस के ADG के पद तक पँहुचे, ब्राह्मण थे अतः अखिलेश यादव ने उनको DGP नहीं बनने दिया | CBI में गए तो Anti-Corruption विंग के प्रभारी थे और CBI के जॉइंट-डायरेक्टर थे, डायरेक्टर के बाद दूसरा सबसे बड़ा पद | तभी की बात है, राष्ट्रीय स्तर के एक बड़े घोटाले के कई सबूत उनको मैंने दिखाए और कहा कि बिहार में मन्त्रियों की पैरवी भ्रष्ट लोगों के पक्ष में होने के बावजूद SP की supervision report सही तरीके से बनवा दी गयी है (मेरी सक्रियता के कारण), लेकिन उस गिरोह के कई बड़े लोग दिल्ली में भी बड़े पदों पर हैं जो देश के सभी राज्यों में उसी तरह के घोटाले शैक्षणिक संस्थाओं में कर रहे हैं |

अरुण कुमार ने इस बात की रत्ती भर भी परवाह नहीं की कि बिहार और दिल्ली के कई बड़े नेता और अफसर उस गिरोह के पृष्ठपोषक हैं, उन्होंने सीधे कहा कि जो सबूत आपने दिखाए हैं उनके आधार पर मैं CBI की तरफ से केस दर्ज करने का आदेश दे रहा हूँ और एक अधिकारी को जाँच के लिए प्रभार सौंप रहा हूँ, उनको सारे सबूत आप दे दें |

यह दूसरी बात है कि CBI से अरुण कुमार के हटने के बाद मेरे मामले पर CBI द्वारा कोई कार्यवाई नहीं हुई | यह तीसरी बात है कि बिहार में मन्त्रियों की पैरवी के फ़ोन SP, DIG और IG के पास आते रहे और मैंने उस गिरोह के सरगना को जेल भिजवा दिया | सुषमा स्वराज से मैंने शिकायत की थी कि देश भर के संस्कृत संस्थाओं को नष्ट करने का कुचक्र हो रहा है, अतः आपको यह मामला देखना चाहिए |

उनका उत्तर था कि आप दरभंगा के हैं, वहां के सांसद कीर्ति आज़ाद है, वे जबतक आपका मामला नहीं उठाएंगे तबतक मैं हस्तक्षेप नहीं करूंगी !! दिल्ली में उस गिरोह के मुख्य लोग बड़े पदों पर थे, देश भर की 800 संस्थाओं को लूट रहे थे, भाजपा संस्कृत की दुहाई देती रहती है, लेकिन कांग्रेस के पूर्व मुख्यमन्त्री भागवत झा आजाद के बेटे की पैरवी के बिना मेरी बात नहीं सुनेंगी !! सुषमा जी या मैं कीर्ति आज़ाद के रैयत थे क्या ? कीर्ति आज़ाद मेरा बहुत सम्मान करते थे, लेकिन जिस चोर को मैंने जेल भिजवाया था उसे जेल से निकलते ही पाँच लाख रूपये सांसद कोटे से दिए — लूटने के लिए | तब से आजतक मैंने कीर्ति आज़ाद से बात नहीं की |

उस भ्रष्ट गिरोह के मुखिया आजीवन कांग्रेस में थे, उनके सुपुत्र पहले JDU में थे, पिछले दो वर्षों से भाजपा में हैं – सुशील मोदी से पशुचारा काण्ड के उद्घाटक डॉ जगन्नाथ मिश्र जी के उन सुपुत्र को भाजपा का टिकट चुनाव के एन मौके पर मिला |
सभी पार्टियों के चोर आपस में मौसेरे भाई हैं | अरुण कुमार से किसी की नहीं बनी | लेकिन अरुण कुमार ने कभी किसी की नहीं सुनी | उनके सम्बन्धियों को भी शिकायत रहती है कि वे सगे भाई और बाप की पैरवी भी नहीं सुनते | ऐसे ईमानदार पुलिस अधिकारी की जाँच को उच्च न्यायालय ने आज नकार दिया |

अरुण कुमार भ्रष्ट होते तो आज भी उनके पिताजी छोटी से दवा की दूकान पर बैठे नहीं रहते | आरुषि की हत्या किसी ने नहीं की ?? अरुण कुमार की जाँच को सही पाकर CBI अदालत ने जो निर्णय दिया था वह जाँच फर्जी थी ?

 

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