इंदिरा गांधी की ‘तानाशाही’ की वजह से 1977 में इन 5 राज्यों में हो गया था कांग्रेस का पतन

नई दिल्ली। 25 जून, 1975 की वो रात कौन भूल सकता है जिसे खासतौर पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ‘तानाशाही’ के रूप में जाना जाता है। ये वही रात थी जब तत्कालीन राष्ट्रपति फ़खरुद्दीन अली अहमद ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर देश में आपातकाल की घोषणा की थी।

स्वतंत्र भारत के इतिहास का वो सबसे काला दिन था। आपातकाल की घोषणा होते ही देश में सभी छोटे-बड़े चुनाव स्थगित कर दिए गए और नागरिकों के अधिकारों को खूब हनन किया गया। इस दौरान इंदिरा गांधी और सरकार का विरोध करने वाले सभी विरोधियों को कैद कर लिया गया। यहां तक कि प्रेस की स्वतंत्रता भी छीन ली गई और उसे कई तरह की बेड़ियों से जकड़ दिया गया।

आपातकाल का ये सारा किस्सा 1971 के लोकसभा चुनाव से शुरू हुआ था। दरअसल इस चुनाव में कांग्रेस ने भारी मतों से जीत हासिल की थी और इंदिरा गांधी ने अपने मुख्य विपक्षी राजनारायण सिंह को हराकर दूसरी बार प्रधानमंत्री का पद हासिल किया था।

शुरुआत में सब ठीक था, लेकिन 4 साल के बाद अचानक राजनारायण ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनाव परिणामों को चुनौती दे दी। उनकी दलील थी कि इंदिरा गांधी ने चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया, चुनाव में तय सीमा से ज्यादा पैसा खर्च किया और गलत तरीके से मतदाताओं को प्रभावित किया।

देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ

बहरहाल, मामले की जांच चली और 12 जून, 1975 को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी का चुनाव निरस्त कर दिया और उन्हें 6 सालों के लिए चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया गया।

साथ ही राजनारायण सिंह को विजयी घोषित कर दिया गया। लेकिन इंदिरा गांधी ने कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ जाकर इस्तीफा देने से इनकार कर दिया और इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की घोषणा की। इसी के साथ 26 जून को देश में आपातकाल की घोषणा कर दी गई।

आपातकाल के दौरान सभी प्रकार के चुनाव स्थगित कर दिए गए। सरकार विरोधी भाषणों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया और राजनीतिक विरोधियों को अज्ञात स्थानों पर कैद कर दिया गया। साथ ही ‘प्रेस की स्वतंत्रता’ पर भी अंकुश लगा दिया गया।

आपातकाल करीब दो साल तक लागू रहा। लेकिन इस बीच सरकार के प्रति विरोध की लहर तेज हो गई, जिसके बाद 1977 में इंदिरा गांधी ने लोकसभा भंग कर चुनाव कराने की सिफारिश कर दी। लेकिन ये चुनाव कांग्रेस और इंदिरा गांधी के लिए घातक सबित हुआ।

जहां इंदिरा गांधी अपने गढ़ रायबरेली से चुनाव हार गईं, तो वहीं कांग्रेस ने सत्ता भी गंवा दी और पहली बार देश में गैर-कांग्रेसी (जनता पार्टी) सरकार का गठन हुआ।

इस चुनाव के बाद संसद में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 352 से घटकर 153 पर आ गई। आपातकाल के बाद चुनाव का ये असर हुआ कि 5 राज्यों में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब शामिल हैं। बाकी राज्यों को छोड़ दें तो बिहार में कांग्रेस की स्थिति अभी भी जस की तस है।

 

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