इतने मरीज कि जमीन पर भी नहीं बची जगह

denguलखनऊ। शहर के अस्पताल बुखार के मरीजों से पटे पड़े हैं। बेड न मिलने पर कई गंभीर मरीजों का भी इलाज जमीन पर हो रहा है। इमरजेंसी में जमीन पर ही इतने मरीज हैं कि डॉक्टरों के लिए राउंड लेना भी मुश्किल है। ओपीडी में भी डेढ़ से दो गुना मरीज आ रहे हैं। इसका सीधा असर पैथॉलजी पर पड़ रहा है। जांच करने के लिए लैब टेक्निशनों को रात 11 बजे तक रुकना पड़ रहा है।

एक बेड पर दो मरीज
बलरामपुर अस्पताल की इमरजेंसी में गुरुवार सुबह मरीजों को लिटाने के लिए जमीन पर भी जगह नहीं थी। कई बेडों पर दो-दो मरीज भर्ती थे, जबकि बाल रोग और जनरल वार्ड में एक भी बेड खाली नहीं था।

4 गुना आ रहे सैंपल
पैथॉलजी में आम दिनों में 150 से 200 मरीजों की करीब 900 जांचें होती थीं, लेकिन अब हर रोजाना करीब 700 मरीजों की 3500 से अधिक जांचें करनी पड़ रही हैं। उधर, बुखार के मरीजों का इलाज करने के लिए बलरामपुर, लोहिया और सिविल अस्पताल में पेट, हड्डी, आंख और ईएनटी के कई ऑपरेशन टालकर वार्ड खाली करवाए गए हैं। बलरामपुर अस्पताल में अलग इमरजेंसी मेडिकल अफसर की ड्यूटी लगाई गई है। दो नर्सों को मरीजों को इमरजेंसी से वार्ड में शिफ्ट करने के लिए लगाया गया है।

पैथॉलजी की जांच रिपोर्ट बांटने के लिए अलग काउंटर खोले गए गए हैं। बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. ईयू सिद्दीकी ने बताया कि मैनपावर बढ़ाई गई है और इलेक्टिव सर्जरी टालकर मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। शहर में कुल 54 अर्बन पीएचसी हैं। हर पीएचसी में दो बेड हैं, लेकिन यहां मरीजों को अधिकतम पांच से छह घंटे भर्ती किया जाता है। फिर सीधे अस्पताल रेफर कर दिया जाता है।

 

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