इन 2 जनरलों पर है भारत-चीन के बीच तनाव को दूर करने की जिम्मेदारी, ये है खासियत

नई दिल्ली। भारत और चीन (China) के बीच सबसे बड़े सैनिक तनाव को हल करने की जिम्मेदारी शनिवार की सुबह 2 जनरलों पर रहेगी. लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और सेना की उत्तरी कमान के सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ये जिम्मेदारी संभालेंगे.

इस तनाव के समय पूरी भारतीय सेना में सबसे उपयुक्त अफसर ले.जनरल जोशी ही हो सकते थे. जनरल जोशी न केवल चीनी भाषा के जानकार हैं, बल्कि उन्होंने अपनी लगभग हर कमांड को लद्दाख में ही किया है.

जनरल जोशी को कारगिल युद्ध के समय वीर चक्र मिला, इस समय वो 13 वीं जम्मू-कश्मीर राइफल्स को कमांड कर रहे थे. तब के कर्नल जोशी की भूमिका एलओसी कारगिल फिल्म में संजय दत्त ने निभाई थी. इस यूनिट के कैप्टन बिक्रम बत्रा और राइफल मैन संजय कुमार ने इस युद्ध में परमवीर चक्र पाया था. इसके बाद ब्रिगेडियर बनने पर जनरल जोशी ने तांगसे स्थित ब्रिगेड कमांड की थी. इसी ब्रिगेड की जिम्मेदारी पेंगांग झील सहित उस सारे इलाके की होती है, जहां आज सैनिक आमने-सामने हैं.

इसके बाद 2005 से लेकर 2007 तक वो चीन में भारत के डिफेंस अताशे रहे और इसी दौरान दोनों देशों के बीच साझा सैनिक अभ्यास हैंड-इन-हैंड की शुरुआत हुई थी. मेजर जनरल बनने के बाद जनरल जोशी फिर लद्दाख लौटे और त्रिशूल डिवीज़न को कमान किया जिसके जिम्मे सारा पूर्वी लद्दाख है.

भारत-चीन के बीच हमेशा इसी इलाके में तनाव होता है. यहां के बाद जनरल जोशी सेना मुख्यालय गए, जहां मिलिट्री ऑपरेशंस में पोस्टिंग के बाद डीजी इफेंट्री बने. 31 अगस्त 2018 में जनरल जोशी फिर लद्दाख लौटे और लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर बने, जहां वो 9 अक्टूबर 2019 तक रहे. इसके बाद उन्हें सेना की उत्तरी कमान के चीफ ऑफ स्टाफ और बाद में सेना कमांडर बनाया गया.

लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह भी सेना मैडल से सम्मानित हैं जो उन्हें तब मिला था जब उन्होंने कैप्टन के पद पर रहते हुए पीओके में अकेले 24 घंटे तक रहकर एक पाकिस्तानी चौकी की टोह ली थी, जिसे बाद में भारतीय सेना ने गोलाबारी करके तबाह किया था. लेह में कोर कमांडर का पद संभालने से पहले जनरल सिंह ने डायरेक्टर जनरल मिलिटरी इंटेलीजेंस पद पर काम किया जिस दौरान उन्होंने चीन के हर पैंतरे को बहुत अच्छे से समझा.

 

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