इलाहाबाद : जेल से रिहा हुईं अमित शाह के काफिले को काला झंडा दिखाने वाली छात्राएं, जमकर हुआ स्वागत

इलाहाबाद। इलाहाबाद में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के काफिले को रोककर उन्हें काला झंडा दिखाने के मामले में जेल भेजी गई इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की दोनों छात्राएं आज जेल से रिहा हो गईं. जेल से बाहर निकलते ही स्टूडेटंस और सपा कार्यकर्ताओं ने उन्हें फूल -मालाओं से लाद दिया और ढोल नगाड़ों की थाप के बीच उनका ज़ोरदार स्वागत किया. जेल से रिहा होने के बाद दोनों छात्राएं सबसे पहले सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ भवन पर पहुंची और वहां हुए सम्मान समारोह में शामिल होने के बाद शहर में लगी महापुरुषों की मूर्तियों पर गईं और वहां फूल चढ़ाए.

जेल भेजी गई दोनों छात्राओं ने इस मौके पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर जमकर निशाना साधा. छात्राओं ने कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करने पर अमित शाह के काफिले में शामिल पुलिसकर्मियों ने जिस तरह सरेआम उनका बाल पकड़कर घसीटा और सरेआम लाठी से पीटा, वह मोदी सरकार के ”बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” अभियान की हकीकत खुद ही बयान करता है. दोनों छात्राओं के साथ जेल गए एक छात्र भी उनके साथ रिहा हुआ है. तीनों को कल ही इलाहाबाद की सेशन कोर्ट से जमानत मिली थी. हालांकि जेल गए तीनों स्टूडेंट्स समाजवादी छात्र सभा से भी जुड़े हुए हैं.

जेल भेजी गई नेहा यादव, रमा यादव और किशन मौर्य ने 27 जुलाई को इलाहाबाद में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के काफिले को रोककर काला झंडा लहराया था. इस पर पुलिस ने इन्हे मौके से ही हिरासत में ले लिया था. छात्राओं को पुरुष पुलिस वालों ने दबोचा था और बाल पकड़कर उन्हें घसीटने के बाद सरेआम लाठी भी मारी थी. तीनों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 188, 341 और 505 के साथ ही 7 क्रिमिनल लॉ एमेंडमेंट के तहत धूमनगंज थाने में केस दर्ज किया गया था.

केस दर्ज होने के बाद शनिवार को इन्हे मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, जहां मजिस्ट्रेट ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी और ज्यूडिशियल कस्टडी में चौदह दिनों के लिए जेल भेज दिया था. नेहा-रमा और किशन तीनों ही इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट हैं. उनका दावा है कि दर्जनों बार शिकायत के बावजूद सेंट्रल युनिवर्सिटी के वीसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किए जाने के मुद्दे पर ही उन्होंने अमित शाह को काला झंडा दिखाया था. छात्राओं को पुरुष पुलिसवालों द्वारा बाल पकड़कर घसीटे जाने और उन्हें लाठी मारे जाने की वजह से यह मामला सियासी गलियारों में खूब गूंजा था.

 

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