इलाहाबाद रैली में विपक्षी पार्टियों पर जमकर बरसीं मायावती, कहा- बीजेपी के पास हैं बड़े-बड़े धन्ना सेठ

mayawatiलखनऊ। बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने आज इलाहाबाद की अपनी रैली में पार्टी के लोगों को विरोधी दलों और विरोधी मीडिया से सावधान रहने को कहा. उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी पर हमले जारी रखा, लेकिन बीएसपी को लेकर पैदा हुए अंदेशों पर देर तक सफाई दी.

इलाहाबाद के अलोपीबाग में बसपा सुप्रीमो मायावती को सुनने भीड़ जमा थी. इस मौके का पूरा फायदा उन्होंने बीएसपी को लेकर उठे अंदेशों पर सफाई देने के लिए किया. पिछले दिनों दो न्यूज चैनलों के सर्वे बीएसपी को यूपी में तीसरे नंबर पर दिखा चुके हैं. ऐसे में मायावती ने इल्जाम लगाया कि मीडिया का एक बड़ा तबका दलित विरोधी और दूसरे दलों से मिला हुआ है.

पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा, “चुनाव होने तक कांग्रेस और बीजेपी, खासतौर पर बीजेपी बड़े पैमाने पर मीडिया का गलत इस्तेमाल करेगी. उनके पास कोई धन की कमी नहीं है. उनके पास बड़े-बड़े धन्ना सेठ हैं. बड़े-बड़े पूंजीपति हैं. ऐसे में भाजपा, उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार बनाने के लिए हर हथकंडे का इस्तेमाल करेगी. मीडिया का भी बड़े पैमाने पर उपयोग करने की कोशिश करेगी.”

मायावती पर इस चुनाव में टिकट बेचने के अलावा सवर्णों की उपेक्षा के भी इल्जाम लगे हैं. गौरतलब है कि 2007 में मायावती ने सोशिल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर चुनाव लड़ा और 90 टिकट ब्राम्हणों को दिए जबकि इस बार सिर्फ 34 टिकट दिए हैं. बृजेश पाठक ने उन पर ब्राम्हणों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है. मायवती ने सफाई दी कि वह सवर्णों के साथ हैं.

हालांकि, मायावती इस बार दलित-मुस्लिम वोट पर ज्यादा जोर दे रही हैं लेकिन चुनाव में वह सवर्णों की उपेक्षा का इल्जाम भी अपने सिर नहीं लेना चाहतीं. लिहाजा कहती हैं, “लोग कह रहे हैं कि मैं सवर्ण समाज के खिलाफ हूं जबकि सच तो यह है कि मैंने सवर्ण समाज के लोगों को पार्टी में ऊंचा स्थान दिया है. अगर मैं ऐसी होती तो यह नहीं करती.”

पिछले करीब एक साल में बीएसपी के 7 बड़े नेता पार्टी छोड़ गए. पहले राज्यसभा सांसद अखिलेश दास और जुगुल किशोर, फिर बीएसपी विधायक दल के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य. संयोजक आर.के.चौधरी, विधायक बृजेश वर्मा और रोमी शाहनी और पूर्व सांसद बृजेश पाठक इसमें शामिल हैं. इससे पार्टी को धक्का लगा है. मायावती ने कार्यकर्ताओं को समझाने की कोशिश करते हुए कहा कि इससे कोई नुकसान नहीं होगा.

मायावती कहती हैं, “यदि किसी भी समाज का पार्टी से जुड़ा बड़े से बड़ा नेता भी अपने व्यक्तिगत व पारिवारिक स्वार्थ में किसी भी विरोधी पार्टी के हाथ में चला जाता है तो फिर वह अधिकंशत: अकेला हो जाता है किंतु उसके साथ में उसका खुद का समाज नहीं जाता है. और फिर उसका समाज उसके स्थान पर पार्टी में अपना नया नेता तैयार करके आगे बढ़ता चला जाता है.”

स्वामी प्रसाद मौर्य से लेकर बृजेश पाठक तक का पार्टी से चले जाना, उन पर टिकट बेचने का इल्जाम लगना और चुनावी सर्वे में उनकी पार्टी का तीसरे नंबर पर होना ये सब वे फैक्टर हैं जिन्होंने मायावती की चिंता बढ़ाई है. इसलिए इन रैलियों के जरिये वह कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ा रही हैं और जनता का भरोसा जीतने की कोशिश कर रही हैं.

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button