उत्तर प्रदेश में मदरसों के नाम पर हो रहा गंदा खेल

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के जनपद मुरादाबाद में मदरसा आधुनिकीकरण योजना के नाम पर जमकर दोहन किया जा रहा है। पूरे प्रदेश में ऐसे मदरसों की भरमार है जो सिर्फ कागजों में ही चल रहे हैं। कुछ मदरसों की बिल्डिंग तो खड़ी है, लेकिन पढ़ाई नहीं होती। वहां सिर्फ सुविधाओं का लाभ लिया जा रहा है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार काफी मदरसों में शिक्षकों के बैंक एकाउंट्स में पैसा आता है उएएन शिक्षकों ने कभी मदरसे का मुंह तक नहीं देखते है। कुछ लोग द्वारा मदरसों में शिक्षा के नाम पर सरकार को जमकर चूना लगाया जा रहा है। मदरसा संचालक मदरसा शिक्षक बनाने के नाम पर 2 से 3 लाख रुपया रिश्वत लेते है। जानकारी यह है कि पैसा देने वाले को यह अश्वत किया जाता है कि उसे कभी पढ़ाने के लिए लिए मदरसे नहीं जाना होगा। वर्तमान समय में मदरसा शिक्षक तो प्रतिमाह 15 हजार रुपये मानदेय मिल रहा है।

दारूल उलूम देवबंद करता रहा है विरोध
विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक संस्था दारूल उलूम देवबंद किसी भी सरकारी मदद लेने का विरोध करता रहा है। सन 2015 में भी दारूल उलूम देवबंद ने देशभर में फैले अपने 3000 मदरसों के आधुनिकीकारण के लिए किसी भी प्रकार की सरकारी मदद लेने से इंकार कर दिया था।

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तालीम के नाम पर गंदा मजाक
तालीम के नाम पर यह गंदा मजाक धड़ल्ले से हो रहा है। उत्तर प्रदेश की जनता को उम्मीद है कि अब सरकार बदली है तो इस ओर भी ध्यान दिया जाएगा। योगी सरकार इस ओर ध्यान देती है तो सरकार पर पड़ रहा यह बोझ कम होने के साथ ही मदरसा शिक्षा व्यवस्था में सुधार सम्भव है।

 

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