एक मंदिर में दान देना मना तो दूसरे में नेता और नौकरशाहों की एंट्री बैन

tempalतहलका एक्सप्रेस प्रतिनिधि

नई दिल्ली। देश में दो मंदिर ऐसे भी हैं जिनमें से एक मंदिर में दान देना मना है तो दूसरे में नेता और नौकरशाहों की एंट्री बैन है। वीजा टेंपल के नाम से मशहूर हैदराबाद का चिलकुर बालाजी मंदिर ऐसा है, जहां दान देना सख्त मना है। आपको इस मंदिर में एक भी दान पात्र नहीं मिलेगा। हफ्ते में सिर्फ 3 दिन खुलने वाले इस मंदिर में 70 हजार से 1 लाख श्रद्धालु आते हैं लेकिन मंदिर इन श्रद्धालुओं से एक रुपया भी दान नहीं लेता है। उलटा यहां के पुजारी अपने मंदिर में दान देने की जगह भक्तों को गरीबों पर खर्च करने की सलाह देते हैं। मंदिर का खर्चा परिसर के बाहर बने पार्किंग से आने वाले पैसों से अच्छे से चलता है।
वहीं, एक दूसरा मंदिर कानपुर का भ्रष्ट तंत्र विनाशक शनिदेव मंदिर है जहां नौकरशाहों यानी जज, आईएएस-पीसीएस तथा नेता यानी मंत्री और सांसद-विधायकों की एंट्री बैन है। मंदिर का मानना है कि इनके चलते ही भ्रष्टाचार बढ़ रहा है।
एक तरफ देश में ऐसे अपने तरह के दो अलग मंदिर है वहीं दूसरी ओर भारत के सबसे बड़े मंदिरों में से एक शिर्डी साईं बाबा मंदिर के महंत यानी मुख्य पुजारी सुलेखाजी को दान के पैसों को चोरी करना गलत नहीं लगता है।
उनका कहना है कि जहां तक दान के पैसों के गलत इस्तेमाल की बात है तो मेरी नजर में मंदिर में आए दान में से 5 या 10 फीसदी की चोरी करना कोई गलत नहीं है।
अब जानें देश के 6 बड़े मंदिरों का हाल जहां एक दिन में आता है 10 करोड़ रुपए का दान।
वैष्णो देवी, जगन्नाथ पुरी, तिरुपति तिरुमला, शिर्डी साईं बाबा, सिद्धि विनायक और काशी विश्वनाथ। इन 6 मंदिरों की एक दिन की औसत कमाई करीब 10 करोड़ रुपए है। वहीं, सालाना कमाई 3,287 करोड़ रुपए से भी ज्यादा है। ये पैसा दान के रूप में मंदिरों के पास आता है। पैसा मंदिरों के रख-रखाव के अलावा भी कई तरह से इस्तेमाल होता है।
दरअसल, अकेले तिरुपति तिरुमला मंदिर की ही कुल संपत्ति 1.30 लाख करोड़ रु. है, जो मुकेश अंबानी की दौलत से भी ज्यादा है। फोर्ब्स 2015 की रिपोर्ट के अनुसार, अंबानी 1.29 लाख करोड़ रु. के मालिक हैं।
देश के चार मंदिरों (तिरुपति तिरुमला मंदिर, शिर्डी साईं बाबा, सिद्धि विनायक, काशी विश्वनाथ) की कुल संपत्ति 1.32 लाख करोड़ रु. है। यहां करीब 5 लाख श्रद्धालु रोजाना आते हैं। चारों मंदिरों की सालाना कमाई 2691 करोड़ रु. है लेकिन मंदिरों पर केवल सालाना 40 करोड़ रु. ही खर्च किया जाता है। यानी कमाई का केवल 1.40 फीसदी। बाकी बचा पैसा या तो बैंक में जमा कर दिया जाता है या सरकार व ट्रस्ट को दान व सैलरी जैसी मदों में जाता है।

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button