एक महीना, तीन हस्तियां, एक गोली और जिंदगी खत्म! आखिर क्यों? जिंदगी इतनी सस्ती नहीं

आज ही एक महीना हुआ है जब देश के नामी पुलिस अफसर ने खुद को गोली मारी थी। इसी एक महीने में देश की तीन हस्तियों ने खुदकुशी कर ली।

लखनऊ। ग्लैमर की चकाचौँध छोड़ शांति की तलाश में आध्यात्म की राह अपनाने वाले भय्यूजी महाराज ने मंगलवार को खुदकुशी कर ली। खुदकुशी से पहले एक कागज पर उन्होंने लिखा- ‘बहुत ज्यादा तनाव में हूं, छोड़ कर जा रहा हूं।’ इसके बाद भय्यूजी ने अपनी बंदूक से खुद को गोली मार ली। जब तक अस्पताल लेकर पहुंचे तब तक भय्यूजी इस दुनिया को अलविदा कह चुके थे। भय्यूजी महाराज के लाखों-करोड़ों चाहने वाले थे। देश की नामी हस्तियां उनसे मिलने आती थीं। लेकिन फिर भी अकेलेपन से वो पार न पा सके और जिंदगी खत्म कर ली।
भय्यूजी पहली नामी शख्सियत नहीं हैं, जिन्होंने आत्महत्या की। मई महीने में देश के दो जाबांज अफसरों ने भी खुद को गोली मारकर जिंदगी खत्म कर ली। पहले मुंबई के सुपरकॉप कहे जाने वाले हिमांशु रॉय तो दूसरे यूपी एटीएस के अफसर राजेश साहनी। हिमांशु रॉय ने 12 मई को मुंबई में अपने घर में खुद को गोली मार ली तो वहीं राजेश साहनी, 29 मई को उनके दफ्तर में मृत मिले। खास बात ये है कि हिमांशु रॉय की मौत को आज पूरा एक महीना हुआ है। एक महीने में तीन हस्तियों ने अपनी जिंदगी खत्म कर ली।

हिमांशु थे सुपरकॉप
मुंबई के पुलिस विभाग में संयुक्त आयुक्त (अपराध शाखा) एवं आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) जैसी महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा चुके हिमांशु रॉय 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी थे। 23 जून, 1963 को मुंबई में ही जन्मे एवं पले-बढ़े रॉय की गिनती हाल के दिनों के तेजतर्रार पुलिस अधिकारियों में होती थी। उनके नेतृत्व में कई महत्त्वपूर्ण मामलों का खुलासा हुआ।

मुंबई पुलिस में साइबर क्राइम विभाग की स्थापना भी उन्होंने ही तत्कालीन पुलिस आयुक्त डी.शिवनंदन के सुझाव पर की थी। इसके अलावा हिमांशु कई महत्वपूर्ण मामलों से भी जुड़े रहे थे। 2013 के आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले की जांच का श्रेय हिमांशु रॉय को ही जाता है। रॉय 2008 में मुंबई पर हुए आतंकी हमले की जांच टीम का भी हिस्सा रहे। 11 जुलाई, 2006 को पश्चिम रेलवे की उपनगरीय ट्रेन में हुए सिलसिलेवार धमाकों की जांच में रॉय शामिल रहे थे। इन धमाकों में 209 लोग मारे गए थे, 700 घायल हुए थे। लेकिन इतने बहादुर अफसर भी अकेलेपन से पार न पा सके और जीवन लीला समाप्त कर ली।

राजेश साहनी की मुस्कुराहट के पीछे था अकेलापन ?
पुलिस महकमे में साहनी ऐसे चंद अफसरों में शुमार थे, जो किसी तरह के विवाद और चर्चाओं से दूर थे। तमाम व्यस्तताओं के बीच उनका चेहरा हमेशा मुस्कराता रहता था। महकमे के साथी हों या फिर मीडियाकर्मी सब उनके कायल थे। 1992 बैच के पीपीएस सेवा में चुने गए राजेश साहनी 2013 में अपर पुलिस अधीक्षक बने थे। वह मूलतः बिहार के पटना के रहने वाले थे।

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1969 में जन्मे राजेश साहनी ने एमए राजनीति शास्त्र से किया था। राजेश साहनी ने बीते सप्ताह आईएसआई एजेंट की गिरफ्तारी समेत कई बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया था। उत्तर प्रदेश पुलिस के काबिल अधिकारियों राजेश साहनी की गिनती होती है। बीते सप्ताह आईएसआई एजेंट की गिरफ्तारी समेत कई बड़े ऑपरेशन को राजेश साहनी ने अजाम दिया था। राजेश साहनी 1992 में पीपीएस सेवा में आए थे। 2013 में वह अपर पुलिस अधीक्षक के पद पर प्रमोट हुए थे। इतनी काबिलियत और जुनून के बावजूद राजेश साहनी अकेलेपन की भेंट चढ़ गए।

जिंदगी इतनी सस्ती तो नहीं !
इन तीनों हस्तियों के जीवन को देखें तो शायद ही कोई कमी नजर आए। एक इंसान को जिस पद, प्रतिष्ठा और पैसे की चाह होती है, वो भय्यूजी महाराज से लेकर साहनी तक तीनों के पास था। लेकिन फिर भी तीनों की मौत का कारण पहली नजर में अवसाद यानी तनाव है। वो तनाव जिसने इन तीनों को भरी दुनिया में अकेला कर दिया। इसीलिए जरूरी है कि आप भी जीवन ने तनाव न लें और न ही खुद को अकेलेपन का शिकार होने से बचाएं।

 

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