एफडीआई बढ़ने में ‘मेक इन इंडिया’ का योगदान नहीं: रिपोर्ट

make-in-indiaतहलका एक्सप्रेस

नई दिल्ली। अमेरिका और चीन जैसी दिग्गज अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भारत के टॉप एफडीआई डेस्टीनेशन बनने में मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान का योगदान नहीं है। इस कामयाबी को मोदी की इस योजना से नहीं जोड़ा जा सकता। घरेलू ब्रोकरेज फर्म एमके (Emkay) ग्लोबल की रिपोर्ट के मुताबिक इस योजना से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई, इसकी बजाय जोरदार घरेलू मांग की वजह से एफडीआई में यह इजाफा देखने को मिला है।

एमके से जुड़ें धनंजय सिन्हा और कृति शाह के मुताबिक भारत में मैन्युफैक्चरिंग की वजह से इतना एफडीआई नहीं आया है, इसकी बड़ी वजह देश में मजबूत घरेलू मांग है। ब्रोकरेज फर्म ने अपने इस निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ का संचालन करने वाले औद्योगिक योजना एवं प्रोमोशन विभाग के आकंड़ों का इस्तेमाल किया है।

ब्रोकरेज फर्म के मुताबिक बीते छह महीनों में एफडीआई के आंकड़े में जो ग्रोथ देखने को मिली है, उसकी वजह ई-कॉमर्स और ऑटोमोबाइल्स जैसे कारोबार में तेजी है। इन पेशों में ग्रोथ की वजह से बढ़े एफडीआई को ‘मेक इन इंडिया’ का नतीजा नहीं कहा जा सकता। यह रिपोर्ट मोदी सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान पर बड़े सवाल खड़े करती है।

 

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