एसपी शासन में ही लगा UPPSC पर दाग

UPPSCतहलका एक्सप्रेस

इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की साख पर पहली बार दाग एसपी शासनकाल में ही लगा था। एसपी की सरकार के दौरान 2005 में पहली बार आयोग की नौकरियों में पक्षपात का आरोप प्रतियोगी छात्रों ने लगाया। 2005 में हुई स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी की भर्ती में आयोग के अध्यक्ष व उस समय सदस्य रहे अनिल यादव समेत दो सदस्यों पर यह आरोप लगे थे।

दर्जन भर प्रतियोगी तो इस मामले को लेकर हाई कोर्ट भी पहुंचे। कोर्ट के आदेश के बाद आयोग को ऐसे अभ्यर्थियों को जॉइनिंग भी देनी पड़ी। आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष राम सेवक यादव के साथ ही सदस्यों में अनिल यादव और पंकज श्रीवास्तव पर भर्तियों में हेरफेर करने का आरोप लगा। 2013 में अनिल यादव के अध्यक्ष बनने के बाद तो लगभग सभी भर्तियों को लेकर विवाद पैदा हुआ।

विवाद से सचिव बैकपुट पर
लोक सेवा आयोग के नवनियुक्त सचिव सुरेश कुमार ने पद का दायित्व तो संभाल लिया है। लेकिन भर्तियों को लेकर विवाद और हाई कोर्ट की सख्ती के कारण वह हर कदम फूंक-फूंककर रख रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक सचिव ने जॉइनिंग के साथ ही यह साफ कर दिया है कि वह किसी भी फाइल में बिना देखे साइन नहीं करेंगे। आयोग सचिवालय के कर्मचारियों के साथ मीटिंग के दौरान सचिव ने यह चेतावनी दी। सचिव के तेवर से कर्मचारी भी सजग हो गए हैं। क्योंकि अनिल यादव के कार्यकाल में सचिव रहे रिजवान-उल-रहमान, अध्यक्ष के निर्देश के मुताबिक ही काम करते थे।

 

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