ऑपरेशन यंग इंडियन: राहुल-सोनिया की कंपनी को कालाधन सफेद करने वाली कंपनी ने दिया था लोन!

national heraldनई दिल्ली। ऑपरेशन यंग इंडियन.. एबीपी न्यूज ने एक बड़ा खुलासा किया जिसके तार देश पर 50 साल तक राज करने वाली पार्टी कांग्रेस और उसके सबसे ताकतवर परिवार यानी सोनिया गांधी और राहुल गांधी से जुड़ा है. हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे कर्ज की कहानी जिसके पीछे छिपा है काले धन को सफेद करने का धंधा.

ऑपरेशन यंग इंडियन –  ना तो ये कहानी आज के युवा भारत की है और ना ही हमारी युवा पीढ़ी की. बल्कि ये खबर है उस यंग इंडियन कंपनी की जिसके 76 फीसदी हिस्से की मालिक हैं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी.

500 करोड़ की हेराफेरी करने वाले से राहुल-सोनिया की कंपनी ने लिया था एक करोड़ रूपये का लोन! आपको बता दें कि यंग इंडियन उस नेशनल हेरल्ड अखबार को छापने वाली कंपनी की मालिक है जिसे पंडित जवाहर लाल नेहरू ने आजादी से पहले शुरू किया था. यंग इंडियन कंपनी जिस तरीके से नेशनल हेरल्ड की मालिक बनी थी वो मामला तो पहले से ही अदालत में है.

 

जो बड़ा खुलासा हुआ है उसके लिए हमने दिल्ली, कोलकाता और लखनऊ में गहरी छानबीन की है. सोनिया और राहुल गांधी की यंग इंडियन कंपनी को जिस डोटेक्स कंपनी ने 1 करोड़ रुपये का कर्ज दियाया था वो काले धन को सफेद करने के धंधे में लगी हुई थी.

इस खुलासे को आप तक पहुंचाने से पहले हमने कांग्रेस पार्टी और डोटेक्स की मौजूदा मालिक आरपीजी ग्रुप से उनका पक्ष जानने की कोशिश की है. दोनों की ओर से जवाब आया है कि कर्ज के लेन-देन में कोई गड़बड़ी नहीं हुई. कांग्रेस ने मामले पर अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि कर्ज लौटा दिया है. जबकि आरपीजी कहा है कि आरोप में कोई सच्चाई नहीं है और आरोप निराधार हैं. लेकिन हम आपको ये पूरी कहानी बताने जा रहे हैं ताकि आप खुद सही और गलत का फैसला कर सकें.

ऑपरेशन यंग इंडिया यानी 10 जनपथ पर होने वाली सोनिया और राहुल की बैठकों में हुए एक ऐसे फैसले का खुलासा जिसके तार कोलकाता तक जुड़े हुए हैं. दरअसल सोनिया और राहुल की कंपनी ने एक कर्ज लिया था – 1 करोड़ का कर्ज लेकिन जब एबीपी न्यूज ने कर्ज देने वाली कंपनी की पड़ताल की तो सामने आया एक चौंका देने वाला सच.

सोनिया गांधी – कांग्रेस अध्यक्ष

राहुल गांधी – सोनिया गांधी के बेटे और कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष

मोतीलाल वोरा –कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष

और ऑस्कर फर्नांडीस – कांग्रेस के राज्यसभा सांसद

ये चारों नाम किसी पहचान के मोहताज नहीं है सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बारे में लगभग हर शख्स जानता है जबकि मोतीलाल वोरा औऱ आस्कर फर्नाडीस भी अपनी खासी पहचान रखते है ये चारो कांग्रेस पार्टी की धुरी माने जाते हैं.

कांग्रेस के इन चार अहम लोगों ने मिलकर साल 2010 के नवंबर महीने  में यंग इंडियन नाम से एक कंपनी बनाई और चारों कंपनी के डायरेक्टर बन गए.

यंग इंडियन कंपनी की हिस्सेदारी भी समझ लीजिए

सोनिया गांधी – 38 फीसदी

राहुल गांधी – 38 फीसदी

मोतीलाल वोरा – 12 फीसदी

ऑस्कर फर्नांडीज – 12 फीसदी

यानी कुल मिला कर 76 फीसदी शेयर के साथ यंग इंडियन कंपनी का बड़ा हिस्सा गांधी परिवार के पास ही है. यंग इंडियन नाम की इस कंपनी के दस्तावेज बताते हैं कि इस कंपनी की कम से कम एक बैठक दस जनपथ में हुई थी. वही दस जनपथ जिसे विरोधी डेढ़ साल पहले तक देश की सत्ता का केंद्र कहते थे.

यंग इंडियन से जुड़े दस्तावेज बताते हैं कि यंग इंडियन कंपनी को साल 2011 में एक कंपनी से 1 करोड़ रुपये का लोन मिला था. ये लोन जिस कंपनी से मिला वो कंपनी काले धन को सफेद करने का धंधा भी करती थी.

बडे औऱ प्रभावशाली लोगो की कंपनी ने साल 2011-12 में एक कंपनी से जो लोन लिया वो कंपनी थी कोलकाता की. लोन था एक करोड रूपये और शर्त ये थी कि यंग इंडियन कंपनी 1 करोड़ रुपये का लोन एक साल में लौटा देगी.

सुनने और कहने में ऐसा कुछ नहीं लगता कि इसमें गलत क्या है कोई भी लोन ले सकता है औऱ कोई भी लोन दे सकता है लेकिन फर्क पडता है कि लोन लेने वाला कौन है और लोन देने वाला कौन है और लोन की रकम आगे किस पार्टी को जा रही है. यहां सवाल था कि आखिर ये लोन देने वाला है कौन – वो क्या करता है और क्या पाक-साफ है उसका दामन?

 

कांग्रेस पार्टी के इन दिग्गजो की कंपनी ने एक करोड रुपये का लोन डोटेक्स कंपनी से लिया था आयकर विभाग को पता चला कि कंपनी कोलकाता की है औऱ उसका पिछला रिकार्ड भी पाक साफ नहीं है यह भी पता चला कि कंपनी बनने के बाद दो बार बिकी थी लिहाजा आय़कर विभाग के कान खड़े हो गए.

इनकम टैक्स विभाग के दस्तावेजों के मुताबिक डोटेक्स मर्चेन्डाइज प्राइवेट लिमिटेड दरअसल एक कागजी कंपनी थी. सोनिया गांधी और राहुल गांधी की कंपनी को 1 करोड़ का कर्ज देने वाली डोटेक्स कंपनी दरअसल काले धन को सफेद यानी ब्लैक को व्हाइट करने के लिए खड़ी की गयी थी. इस सच को खुद डोटेक्स कंपनी के मालिक उदय शंकर महावर ने आयकर विभाग के अधिकारियों के सामने कबूला था.

उदय महावर ने आयकर विभाग के अधिकारियों से बताया था कि कुछ कंपनियां मैने मार्केट से खरीदी थी और इन कंपनियों को मैं बोगस शेयर कैपिटल रेज कर के बेच देता था. मैं इन कंपनियों में कैश डिपोजिट कराता था जिससे उसकी शेयर कैपिटल बढ़ जाती थी ये नगदी भी उन्हीं लोगों की होती थी जो इससे फायदा उठाते थे.

आयकर विभाग के सामने उदय महावर ने अपनी जिस कंपनी डोटेक्स के बारे में जो खुलासा किया था वो वही कंपनी थी जिसके कर्ज को लेकर सोनिया गांधी के निवास 10 जनपथ पर बैठक हुई थी.

एबीपी न्यूज के पास मौजूद यंग इंडियन कंपनी से जुड़े ये दस्तावेज हैं. इन कागजों पर मोतीलाल वोरा औऱ आस्कर फर्नाडीस के हस्ताक्षर मौजूद हैं औऱ बाकायदा 26 अगस्त 2014 की तारीख भी पड़ी हुई है और ये भी साफ तौर पर कहा गया है कि कंपनी के निदेशकों की बैठक में आईटम नंबर चार को मंजूरी दी गई. आयटम नंबर चार यानी यंग इंडियन कंपनी को डोटेक्स मर्चेन्डाइस प्राइवेट लिमिटेड से लिए गए एक करोड़ रूपये के लोन लौटाने के लिए एक साल का वक्त और दिया जाता है यानी सोनिया और राहुल की कंपनी अभी एक साल और लोन नहीं चुकाएगी.

10 जनपथ और डोटेक्स कंपनी के बीच पैसों का लेनदेन कैसे हुआ? अब आपको बताते हैं कि आखिर सोनिया और राहुल गांधी ने यंग इंडियन कंपनी क्यों बनाई? फिर यंग इंडियन कंपनी और नेशनल हेरल्ड अखबार छापने वाली कंपनी एसोसिएट जनरल लिमिटेड के बीच कैसे हुआ सौदा और इस सौदे पर क्यों उठ खड़ा हुआ विवाद.

आपके चैनल एबीपी न्यूज के खुलासे के तार साल पंडित जवाहर लाल नेहरू के अखबार नेशनल हेरल्ड तक जाते हैं जिसे उन्होंने साल 1938 में शुरू किया था. तब जवाहर लाल नेहरू खुद इसके संपादक थे और इसका प्रकाशन लखनऊ से शुरू हुआ था. बाद में नेहरू के दामाद और इंदिरागांधी के पति फिरोज गांधी इसे चलाने वाली कंपनी एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर भी रहे थे. घाटे की वजह से 70 साल बाद साल 2008 में नेशनल हेरल्ड अखबार छपना बंद हो गया. अखबार तो छपना बंद हो गया लेकिन अखबार को चलाने वाली कंपनी एसोसिएट जनरल लिमिटेड के पास संपत्ति की कमी नहीं थी. करीब 17 साल तक देश के प्रधानमंत्री रहे जवाहर लाल नेहरू और कांग्रेस सरकारों ने एजीएल को सस्ते दामों पर दिल्ली मुंबई लखनऊ और मध्यप्रदेश के शहरो में जमीन दी थी जिसकी कीमत आज 2000 करोड़ रुपये बताई जा रही है.

बीजेपी नेता सुब्रमण्य स्वामी का आरोप है कि एजीएल की 2000 करोड़ की इसी संपत्ति को हासिल करने के लिए कांग्रेस के नेताओं ने यंग इंडियन कंपनी बनाई थी जबकि कांग्रेस का तर्क है कि नेशनल हेरल्ड को दोबारा जिंदा करने के लिए उन्होंने यंग इंडियन कंपनी बनाई. ये सब कैसे हुआ इसे समझते हैं.नेशनल हेरल्ड अखबार को चलाने वाली कंपनी एजीएल को कांग्रेस पार्टी से 90 करोड़ रुपये का बिना ब्याज वाला लोन दिया था.

एबीपी न्यूज के पास मौजूद आय़कर विभाग के दस्तावेजों में बड़ा खुलासा यह भी है कि जनता से चंदे के नाम पर फंड लेने वाली राजनैतिक पार्टी कांग्रेस ने एजीएल को 90 करोड रूपये का बिना ब्याज का लोन दिया था. नेशनल हेरल्ड अखबार चलाने वाली कंपनी एजीएल 90 करोड़ का वो ब्याज रहित लोन नहीं चुका पा रही थी. ऐसे में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिज जैसे चार बड़े कांग्रेसी नेताओं ने यंग इंडियन नाम से कंपनी बनाई थी.

आय़कर विभाग के दस्तावेज को इस पर हस्ताक्षर है लखनऊ आयकर विभाग के डिप्टी डायरेक्टर वीएस नेगी के…दस्तावेज में साफ तौर पर लिखा है कि एजीएल कंपनी को आल इंडिया कांग्रेस कमेटी ने 90 करोड़ रुपये का ब्याज रहित लोन दिया था. एजीएल इस लोन को चुका नहीं पा रहा था लिहाजा इस लोन को यंग इडियन कंपनी ने कांग्रेस पार्टी से डीड आफ एसाइनमेंट यानी एक करार करके एजीएल का लोन अपने नाम कर लिया और बदले में एजीएल ने उसे अपने लगभग 90 प्रतिशत शेयर दे दिए.

अब दस्तावेजो में यंग इंडियन ने 90 फीसदी शेयरों के साथ एजीएल को अपनी सब्सडिरी कंपनी भी बता दिया है. यानि अब तकनीकि तौर पर 4 कांग्रेसी नेताओं की कंपनी यंग इंडियन ही एजीएल की मालिक बन गई है. आय़कर विभाग के सूत्रों के मुताबिक एजीएल अपना लोन चुका नहीं पा रही थी औऱ कांग्रेस पार्टी अगर सीधे एजीएल की प्रापर्टी को अपने कब्जे में लेती तो फौरन हंगामा शुरू हो जाता क्योंकि भले ही एजीएल का गठन पंडित नेहरू ने किया लेकिन वो टेक्नीकल तौर पर कांग्रेस के अंडर में नहीं आती है और स्वतंत्र कंपनी के तौर पर है.

दरअसल कांग्रेस एक राजनीतिक संगठन है जो किसी कारोबारी कंपनी का मालिक नहीं बन सकता. ऐसे में यंग इंडियन कंपनी देश के कंपनी एक्ट के सेक्शन 25 के तहत गठित की गई. सेक्शन 25 के तहत बनी कंपनी एक ट्रस्ट की तरह होती है जो मुनाफा कमाने के लिए नहीं होती. सेक्शन 25 के तहत बनी कंपनी के निदेशकों को तनख्वाह भी नहीं मिलती. लेकिन सेक्शन 25 के तहत बनने वाली कंपनी किसी व्यापारिक संस्थान की मालिक हो सकती है.

ऐसे में नेशनल हेरल्ड चलाने वाली कंपनी एजीएल पर नियंत्रण रखने के लिए ही देश के दिग्गजो की कंपनी यंग इंडियन ने कांग्रेस का लोन चुकाने के लिए करार किया और एजीएल ने बदले में 90 प्रतिशत शेयर यंग इडियन  को दे दिए औऱ यंग इंडियन एजीएल की मालिक हो गई. आय़कर विभाग के अलावा ईडी और सीबीआई भी इस मामले में आरंभिक जांच कर रहे है.

आय़कर विभाग लखनऊ की रिपोर्ट में यंग इडिया को कांग्रेस पार्टी द्वारा दिए गए 90 करोड के लोन को गिफ्ट माना है और दि्ल्ली आय़कर विभाग से उसकी जांच करने को कहा जिसके आधार पर इस मामले की जांच आय़कर विभाग ने शुरू भी कर दी है.

भाजपा नेता सुब्रहमयम स्वामी भी एजीएल के मामले को कोर्ट में उठा चुके है औऱ निचली अदालत द्वारा इस पर सोनिया गांधी समेत कई लोगो को कोर्ट में पेश होने को सम्मन भी किए गए औऱ कोर्ट में पेशी को लेकर कांग्रेस पार्टी हाईकोर्ट चली गई जहां उस पर सुनवाई जारी है. बड़ा सवाल है कि देश के दिग्गजो की कंपनी यंग इंडियन ने ऐसी कंपनी से लोन क्यों लिया लिया जो लोगो का काला धन सफेद करने में मदद करती है औऱ इस बात को खुद कंपनी का निदेशक आय़कर विभाग के सामने कबूल कर चुका है.

सभार : ए. बी. पी न्यूज़ चैनेल 

 

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