कर्नल पुरोहित के खिलाफ कांग्रेसी साजिश का पूरा सच

लखनऊ। पूरे 9 साल बाद सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को जेल से रिहाई मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत की अर्जी को मंजूर कर लिया है। कर्नल पुरोहित उन लोगों में से हैं, जिन्हें पिछली कांग्रेस सरकार ने हिंदू आतंकवादी बताकर जेल में ठूंस दिया था। 2008 में मालेगांव ब्लास्ट के बाद उन्हें साजिश के तहत गिरफ्तार कर लिया गया था। मामले की जांच कर रहे मुंबई एटीएस ने उन पर आरोप लगाया कि उन्होंने ही कथित हिंदू आतंकी संगठनों को आरडीएक्स मुहैया करवाया था। उनके घर से 60 किलोग्राम आरडीएक्स की बरामदगी भी दिखा दी गई। उस वक्त कांग्रेस सरकार ने कर्नल पुरोहित से जुड़ी कई फर्जी खबरें एनडीटीवी और दूसरे चैनलों के जरिए फैलाईं, ताकि उनके खिलाफ आरोपों को साबित किया जा सके। लेकिन कांग्रेस की सरकार होते हुए भी महाराष्ट्र एटीएम कर्नल पुरोहित के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल नहीं कर पाई। इसके बजाय वो ये कोशिश करती रही कि मामला कोर्ट में ज्यादा से ज्यादा लंबा खिंचे। हालांकि इस दौरान सेना ने उन्हें कभी नौकरी से नहीं निकाला। उन्हें हर महीने वेतन, समय-समय पर प्रोमोशन और बहादुरी पुरस्कार भी मिलते रहे।

कर्नल पुरोहित के खिलाफ साज़िश!

कोर्ट की कार्यवाही के दौरान यह लगभग साफ हो चुका है कि कर्नल पुरोहित दरअसल सेना के मिशन पर थे, लेकिन उनके खिलाफ साजिश करके उन्हें फंसा दिया गया। अपने मिशन के दौरान देश में सक्रिय कई धार्मिक संगठनों में गहरी पैठ बना ली थी। वहां से मिलने वाली सूचना वे लगातार सेना में अपने कमांड को भेज रहे थे। उच्चस्तरीय सूत्रों के मुताबिक कर्नल पुरोहित जाली नोटों के एक रैकेट तक पहुंच गए थे, जिसमें देश के कुछ कद्दावर नेता भी शामिल थे। यह बात उन नेताओं को पता चल गई और उन्होंने एक पूरी साजिश के तहत उन्हें हिंदू आतंकवादी घोषित करके गिरफ्तार करवा दिया। कर्नल पुरोहित को फंसाना आसान था, क्योंकि वो जिस मिशन पर थे, उसके तहत उन्होंने कुछ हिंदू संगठनों में भी घुसपैठ की थी। हालांकि उन्होंने वहां पर कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला था।

2014 में नरेंद्र मोदी के शपथ लेने के फौरन बाद 31 मई को कर्नल पुरोहित ने उन्हें चिट्ठी लिखी थी। 18 पेज की इस चिट्ठी में उन्होंने पूरी साजिश का सिलसिलेवार ढंग से जिक्र किया था। उन्होंने लिखा कि कैसे एटीएस ने उन्हें साजिश के तहत फंसाया, जबकि धमाकों के वक्त वो मध्य प्रदेश के पंचमढ़ी में थे। उस वक्त एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे ने कांग्रेस के बड़े नेताओं के इशारे पर उन्हें न सिर्फ बुरी तरह से टॉर्चर किया, बल्कि उन पर वो गुनाह कबूलने के लिए दबाव बनाया, जो उन्होंने कभी किया ही नहीं था। जाहिर है शक की सुई कांग्रेस पार्टी के हाईकमान की ओर है। साथ ही एनडीटीवी और कुछ अखबारों की भूमिका भी शक के दायरे में है, जिन्होंने कर्नल पुरोहित को लेकर एटीएस के हवाले से फर्जी खबरें उड़ाईं। जिसके कारण सेना के एक होनहार अफसर को 9 साल तक जेल में रहना पड़ा

दरअसल 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद पहली बार यह खुलासा हुआ कि लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित पर अब तक चार्जशीट नहीं हुई है। इस दौरान सेना उन्हें बेगुनाह मानती रही और उन्हें हर महीने वेतन मिलता रहा। सेना कहती रही है कि कर्नल पुरोहित उनके ही मिशन पर थे, लेकिन उन्हें सियासी साजिश के तहत फंसा दिया गया। मोदी सरकार आने के बाद तेजी से कानूनी कार्रवाई शुरू हुई 15 अप्रैल 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया कि कर्नल पुरोहित के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं, इसलिए उनकी जमानत पर विचार होना चाहिए। उन पर मकोका भी हटा दिया गया। लेकिन कांग्रेस सरकार ने उनके इर्दगिर्द साजिशों का ऐसा ताना-बाना बुना था कि जमानत में लगातार देरी होती गई।

 

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